नई पीढी को सिन्धी भाषा के ज्ञान से रोजगार के अवसर मिल रहे है-प्रो. नत्थाणी

अजमेर : सिंधी भाषा के मशहूर साहित्यकार कवि स्व. श्री नारायण गोकलदास नागवाणी ‘श्याम’ के 101 से जन्म दिवस के उपलक्ष पर आज सिन्ध इतिहास एवं साहित्य शोध संस्थान प्रकल्प सिन्धी समाज महासमिति द्वारा समाज को साहित्यकार की स्मरण करते हुये सिन्धी भाषा और रोजगार पर ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में वक्ताओं प्रो. मुरारीलाल नत्थाणी, साहित्यकार व कवि, सेवानिवृत्त असिस्टेंट कमिश्नर ;रायपुर छत्तीसगढ, ़डॉ. प्रदीप गेहाणी, शिक्षाविद् जोधपुर, गिरधर तेजवानी वरिष्ठ पत्रकार, अजमेर, महेन्द्र कुमार तीर्थाणी राष्ट्रीय मंत्री भारतीय सिन्धु सभा, कंवल प्रकाश किशनानी सिन्ध इतिहास एवं साहित्य शोध संस्थान संगोष्ठी में सिन्धी भाषा के इतिहास, और आज के परिवेश में युवाओं को सिन्ध के गौरवमयी इतिहास व भाषा के ज्ञान से रोजगार से जोड़ने के लिए किये जा रहे प्रयासो पर चर्चा की।
परिचर्चा की शुरूआत करते हुये संस्थान के अध्यक्ष कवंल प्रकाश किशनानी ने साहित्यकार नारायण ‘श्याम’ की उस पक्ति कि कहीं ऐसा ना हो कि ’किताबों में पढ़ा जाये कि थी सिन्ध व सिन्ध वालों की बोली’ इस कटाक्ष पर चिंता करते हुये इस संगोष्ठी का आयोजन रखा गया है। शोध संस्थान लगातार अपनी दैनिक गतिविधियों के साथ सार्थक गोष्ठियां आयोजित करेगी।
ऑनलाइन परिचर्चा में रायपुर छत्तीसगढ़ से प्रो. मुरारीलाल नत्थाणी ने कहा कि हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम नई पीढ़ी को सिन्धी भाषा जोड़ते हुये भाषा व ज्ञान से रोजगार के मिलने वाले अवसर को भी रूबरू करावें। पूज्य सिन्धी पंचायतों को सामाजिक कार्यक्रमों में सिन्धी भाषा को बढ़ावा देने पर जोर देना चाहिये। राजस्थान में केन्द्रीय सिन्धी विश्वविद्यालय की स्थापना होना इसलिये आवश्यक है कि विभाजन के पश्चात राजस्थान में सिन्धी भाषी संख्या अधिक मात्रा में है, और यह प्रयास तेज होने चाहिये।

वरिष्ठ पत्रकारं गिरधर तेजवानी ने कहा कि सिन्धी भाषा को बढ़ाने के लिए प्रयास करना बेहद जरुरी है, सिन्धी भाषा सीखाने वाली संस्था को सिंधी सिखाने के बाद भी सिन्धी भाषा का साहित्य लोगों को उपलब्ध करना चाहिएं। साथ ही कहा कि युवाओं को भी सिन्धी भाषा से जुड़ना चाहिए, जिसके लिए सिन्ध इतिहास एवं साहित्य शोध संस्थान हर सम्भव प्रयास करेगी व रीति रिवाज व त्यौहार की जानकारी भी घर घर तक पहुंचानी है। समाज आर्थिक और सामाजिक रुप से मजबूत होने के बाद भी राजनितिक इच्छा शक्ति में कमी है। समाज के स्तर पर एक सिस्टम खड़ां करना पडेगा।
राष्ट्र मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने कहा कि लगातार सिन्धी भाषा पर शोध कार्य चल रहा है। वरिष्ठ लोगों द्वारा देश भर में सिन्धी भाषा पर अध्ययन किया जा रहा है। सिन्धु सभा राजस्थान में आयोजित सिन्धु महाकुम्भ में पारित प्रस्ताव पर सभी सामूहिक प्रयास कर रहे हैं जिससे सिन्धी विश्वविद्यालय खुलने में सफलता हासिल की जा सके।

जोधपुर से शिक्षाविद् डॉ. प्रदीप गेहाणी ने सिन्धी भाषा पर अपने विचार रखते हुए कहा कि साहित्यकार नारायण श्याम ने कभी अपनी भाषा से नाता नहीं छोडां हमें भी सिन्धी पुस्तकों का प्रकाशन लगातार होते रहना चाहिए, जिससे युवाओं को लगातार पुस्तके उपलब्ध होती रहे। साथ ही उन्होने कहा की वहीं अब सिन्धी भाषा में पढ़ाई काफी हद तक आसान हुई है, जिसके चलते रोजगार को बढाने के भी भविष्य में प्रयास किये जा सकते है। सिन्धी भाषा का छात्रों को औपचारिक और अनौपचारिक ज्ञान देना जरुरी है। भाषा अध्ययन में आ रही कठिनाइयों को भी हटाने का हर सम्भव प्रयास किया जा रहा है।
परिचर्चा में ऑनलाइन टिप्पणी करते हुये पूर्व कुलपति मधुर मोहन रंगा ने लिखा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारतीय संविधान की शेड्यूल में वर्णित सभी भाषाओं के उत्थान ,संवर्धन एवम उन्नति की बात कही है इसी संदर्भ में आज की यह गोष्ठी सार्थक है। आभार महासचिव हरी चंदनानी ने दिया।