नक्सल समस्या पर लिखी गई किताब पढ़ाई करने और ड्यूटी देने वालों को होगी सहायक सिद्ध। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में पदस्थ सीआरपीएफ अधिकारी ने लिखी है पुस्तक।

बिलासपुर। “नक्सलवाद उन्मूलन के प्रयास और इस पर पुलिस प्रशासन की भूमिका और वर्तमान परिदृश्य” यह पुस्तक बहुआयामी है। यह नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के रहवासी,नक्सल पीड़ित परिवारों, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कार्यरत पुलिस बल या अर्द्धसैनिक बल के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस पुस्तक में नक्सल से प्रभावित क्षेत्रों के बारे में काफी विस्तार पूर्वक बताया गया है । इस पुस्तक से नक्सल पीड़ित परिवार, पुलिस बल अर्द्धसैनिक बल एवं किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा के लिए अध्ययनरत् छात्र एवं छात्राओं जैसे कि (यू०पी०एस०सी०. एस०एस०सी० पी०एस०सी०, बैंकिंग इत्यादि) के लिए भी महत्वपूर्ण पुस्तक साबित होगी।ये कहना है,विनोद कुमार टण्डन का,जो इस वक्त जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जम्मू में पदस्थ है। बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने अपनी इस लिखी गई पुस्तक के बारे में जानकारी दी कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के रहवासियों के लिए भी यह लाभप्रद है क्योंकि सरकार के द्वारा संचालित योजनाओं को विस्तार पूर्वक बताया गया है। प्रचार प्रसार के अभाव और अज्ञानतावश कई सरकारी योजनाओं का लाभ ग्रामवासियों को विद्यार्थीयों को नहीं मिल पाता है और बिना लाभ के इन योजनाओं के मदों की राशि बिना उपभोग विलोपित हो जाती है। इस पुस्तक के माध्यम से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए संचालित योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर उस योजना का लाभ लिया जा सकता है। इसमें खास बात यह भी है कि पुस्तक में नक्सल प्रभावित क्षेत्र के जमीनी हालात के बारे में बताया गया है जिससे की पुलिस तथा अर्द्धसैनिक बल को वहाँ पर की जमीनी हालात की जानकारी प्राप्त हो सकती है। उन्होंने कहा कि जब जमीनी हालात प्राप्त हो जाएगी तो वहाँ पुलिस तथा अर्द्धसैनिक बल को अपनी ड्यूटी पूर्ण करने में काफी मदद मिलेगी इसलिए यह पुस्तक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के रहवासी, नक्सल पीड़ित परिवारों, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों मे कार्यरत पुलिस बल या अर्द्धसैनिक बल के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रहवासियों को सरकारी योजनाओं के माध्यम से जोड़कर मुख्य धारा में समाहित किया जा सके,जिससे कि लोकतंत्र मजबूत होगा।

विनोद कुमार टण्डन का जन्म 12 जुलाई 1981 में रायपुर जिले (वर्तमान सारंगढ़-बिलाईगढ़) के ग्राम जैतपुर में हुआ। माता श्रीमती रामेश्वरी देवी एवं पिता श्री भागवत प्रसाद हैं। वर्ष 1996 में उच्च विद्यालय पटेवा जिला महासमुंद से मैट्रिक, वर्ष 1998 में हिन्दु उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रायपुर से बारहवीं वर्ष 2001 में छत्तीसगढ़ महाविद्यालय रायपुर से स्नातक, वर्ष 2004 में लोकप्रशासन विषय से स्नातकोतर एवं (UGC) NET-JRF उतीर्ण हुए। वर्ष 2003 बैच संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा के द्वारा प्रथम श्रेणी के राजपत्रित अधिकारी (समूह ‘क’ के केन्द्रीय सेवा) में चयनित होकर केन्द्रीय रिर्जव पुलिस बल में सहायक कमाण्डेंट के पद पर नियुक्त हुए आधारभूत प्रशिक्षण के पश्चात देश के विभिन्न उग्रवाद ग्रस्त उतर-पूर्वी राज्यों जैसे मणिपुर, असम और नागालैण्ड, आतंकवाद ग्रस्त जम्मू-कश्मीर तथा नक्सल प्रभावित क्षेत्र छत्तीसगढ़, ओडिसा में अपनी सेवायें दी जिसमे से नौ वर्ष का कार्यकाल छत्तीसगढ़ के अति नक्सल प्रभावित जिला सुकमा और दंतेवाड़ा की थी। छत्तीसगढ़ में तैनाती के दौरान “नक्सलवाद उन्मूलन में पुलिस प्रशासन की भूमिका (जिला- सुकमा छ.ग. के विशेष संदर्भ में)” शीर्षक पर प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय प० रविशंकर शुक्ल, जिसके शोध केन्द्र एस० आर० सी० एस० कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय दुर्ग (छ.ग.) से शोध कार्य (Ph.D.) पूर्ण किये और उसी अनुभव के आधार पर “नक्सलवाद उन्मूलन के प्रयास और इस पर पुलिस प्रशासन की भूमिका और वर्तमान परिदृश्य” पुस्तक लेखन का कार्य पूर्ण किये। वर्तमान में डा० विनोद कुमार टण्डन द्वितीय कमान अधिकारी के रूप मे केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल मे सेवारत है।