श्री सिंधु अमर धाम आश्रम झूलेलाल नगर चकरभाठा के संत लाल सांई जी का दिव्य सत्संग का आयोजन पूज्य पंचायत भवन सिंधी कॉलोनी बिलासपुर में आयोजित किया गया जैसे ही सांई जी का आगमन हुआ भक्तों के द्वारा आतिशबाजी और फूलों की वर्षा के साथ भव्य स्वागत किया गया कार्यक्रम की शुरूआत भगवान झूलेलाल जी की फोटो पर पुष्प अर्पण कर वह दीप प्रजवलित करके की गई अपनी अमृतवाणी में संत लाल सांई जी ने ज्ञान वर्धक दो कथा सुनाई जिसमें एक है कि हम लोग कल की बातों को याद करके आज के दिन को खराब कर देते हैं जो बीत गया है उसे भूल जाइए वह जो आज है वह आने वाला कल है उसकी चिंता करें उसके लिए कार्य करें जो कुछ हुआ उसे याद ना रखें बल्कि आज को और अच्छा कैसे बनाएं आने वाले कल और अच्छा कैसा रहे उसके लिए कार्य करें
एक नगर में रामू नाम का आदमी रहता था अपनी पत्नी व दो बच्चों के साथ और गरीब था
एक दिन बाजार जाते समय उसका बेटा गोविंद खिलौना लेने के लिए मांग करता है क्योंकि खिलौना महंगा था ₹50 रुपये का था उसका बेटा गोविंद मान नहीं रहा था तब उन्होंने जेब से एक चमकीला रंगीन पत्थर निकल कर उसे दिया इससे खेलों और यह बहुत महंगा है ध्यान से रखना
रामु ने बच्चों को झूठ बोला ताकि बच्चा खुश रहे 2 दिन बाद गोविंद सोचने लगा इसको बेचकर कुछ पैसा मिल जाए पर इसे कहां बेचू तब उसके मित्र मारवाड़ी ने बताया कि सोने के चांदी की दुकान में चलते हैं वह पूछते हैं यह पत्थर कौन खरीदेगा जब वह चांदी की दुकान पहुंचे सोनार अमर ने उसे चमकते पत्थर को देखा और ध्यान से उसको परखा चेक किया तो उन्होंने ईमानदारी से बताया बेटा यह जो चमकीला पत्थर है असल में यह हीरा है और इसकी कीमत हजार 2000 नहीं लाखों में है कम से कम 20 से 25 लख रुपए यह सुनकर वह हैरान हो गए और इतनी रकम अभी मेरे पास नहीं है मुझे भी शहर में जाकर बेचना पड़ेगा और पैसा लाना पड़ेगा उसने कहा ठीक है पर अभी तो कुछ रुपए दे दो तो सोनार अमर ने कहा मेरे पास अभी ₹50000 हैं तुम ले जाओ बाकी दो दिन बाद दूंगा गोविंद और मारवाड़ी 50000 लेकर घर पहुंचे अपनी मां को दिया और सारी बातें बताई उनकी मां ने वह पैसे लेकर जब गोविंद के पिताजी के पास गई और सारी बात बताई तो बात सुनकर उसका पति बेहोश हो गया पानी डालकर कर चार दफा उसे उठाई और फिर यह बात सुनकर फिर बेहोश हो जाता उसकी पत्नी ने कहा अब बेहोश मत होना और क्या बात है मुझे बताओ तब उसका पति रामू ने कहा भाग्यवान जो यह चमकीले पत्थर जिसे तुम हीरा कह रही हो यह मुझे रास्ते में कोई पूरी एक ठैली मिली थी पर मैं बकरी को भगाने के लिए गुलेल से एक-एक करके उन पर वार किया और सारे पत्थर हीरे नदी में चले गए यह सोचकर मैं दुखी हूं तब उसकी पत्नी अनीता ने कहा आप यह सोचकर दुखी मत होइए कम से कम यह एक पत्थर हीरा तो तुम्हारे पास रह गया यह सोचकर खुश रहिए और आज हमें इतने पैसे मिलेंगे अगर यह भी चला जाता तब आप क्या करते और वह हीरा था आपको भी पता नहीं था तो जो गुजर गया उसे भूल जाईये जो अभी हमारे हाथ में है
उसे याद रखिए इस कहानी का तात्पर्य यही है जो बीत गया है उसे भूल जाइए कल की बातों को याद करके अपना आज को खराब ना करें और कोई अगर रिश्ता झुकने से बनता है तो झुक जाइए श्री झूलेलाल चालिहा महोत्सव 14 दिसंबर से आरंभ हो रहा है सांई जी ने चालिहा महोत्सव की महिमा बताई गाघर की महिमा बताइ गाघर कैसे रखना है घर में इसके बारे में पूरी विस्तार से जानकारी बताई इस अवसर पर वरुण साईं रवि रूपवानी अनिल पंजवानी के द्वारा कई भक्ति भरे भजन गाए गए सांई जी ने भी कई भक्ति भरे भजन गाए जिसे सुनकर उपस्थित भक्तजन झूम उठे कार्यक्रम के आखिर में पूज्य सिंधी पंचायत के अध्यक्ष रामलाल चंदानी , हरिश भागवानी, अजय टहल्यानी एवं झूलेलाल सेवा समिति के सदस्यों के द्वारा संतलाल सांई जी का पुष्प देकर शाल ओढाकर सम्मान किया गया वह स्वागत किया गया
सांई जी ने भी छाल पहनाकर सभी का सम्मान किया कार्यक्रम के अंत में आरती की गई पल्लव पाया गया प्रसाद वितरण किया गया सभी भक्तजनों के लिए आम भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या भक्त जनों ने भंडारा ग्रहण किया आज के इस पूरे आयोजन का सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव प्रसारण किया गया हजारों की संख्या में घर बैठे भक्तों ने आज के कार्यक्रम का आनंद लिया आज के इस पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में श्री झूलेलाल सेवा समिति बिलासपुर के सभी सेवादारियों का विशेष सहयोग रहा