दिल लगाना भक्ति में और दिमाग लगाना संसार में, संत सांई कृष्ण दास

तीन दिवसीय भक्तमाल कथा हुई आरंभ सिंधु भवन तोरवा बिलासपुर में


बाबा आनंद राम दरबार चक्कर भाटा के संत सांई कृष्ण दास जी की अमृतवाणी में तीन दिवसीय भक्तमाल कथा बिलासपुर में हुई आरंभ है कथा की शुरुआत के पहले राधा कृष्ण ,व बाबा भगत राम जी के फोटो पर पुष्प पर अर्पण कर दीप प्रज्वलित करके की गई कथा रात्रि 9:00 बजे आरंभ हुई 11:00 बजे समापन हुई आज प्रथम दिवस में जो कथाएं सांई जी के द्वारा सुनाई ,प्रमुख कथा है, जगन्नाथ पुरी की जगन्नाथ पुरी में एक गांव है यह सत्य कथा है यहां पर एक मुस्लिम परिवार रहता था जिसकी एक संतान सालबेग है उसकी माता हिंदू पिता मुस्लिम थे उनकी माता बचपन में अपने बेटे को रोज कोई न कोई भगवान की कहानी सुनाती थी उसका भी मन करता था वह भी भगवान से मिले दर्शन करें एक दिन उसने कहा अपनी मां से कि मुझे भी ले चलो भगवान के पास में भी देखूंगा दर्शन करूंगा तो उसकी मां ने कहा बेटा तेरा पिता नहीं मानेगा और अगर हम ऐसे चले भी गए मंदिर में तो हम मुस्लिम हैं क्या पता हमें अंदर आने देते हैं कि नहीं है बेटा निराश हो गया ऊपर छत में जाकर जगन्नाथ पुरी के मंदिर के तरफ़ देखता रहता था और भगवान से कहता कि मुझे आप दर्शन कब दोगे ,समय बिता गया एक दिन गांव में बहुत भीड़ लगने लगी पता चला आज जगन्नाथ जी की यात्रा करने वाली है मां ने कहा बेटा आज भगवान जगन्नाथ जी अपने मंदिर से बाहर निकलेंगे वह सब को दर्शन देंगे तो बेटे ने कहा मां मुझे दर्शन नहीं देंगे तो मां ने कहा बेटा भगवान से प्रार्थना कर तो वह तुम्हें दर्शन जरूर देंगे प्रार्थना करने लगा भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू होने वाली थी सभी भक्तजन पहुंच चुके थे राजा भी पहुंच चुका था पर एक कदम भी आगे रथ नहीं बढ़ रहा था सब लोग रस्सी खींचकर ताकत लगाकर देख लिए समझ में नहीं आया आखिर क्या है तब राजा ने जाकर प्रभु से कान में जाकर बात कही प्रभु आप ही बताइए कि क्या बात है तब भगवान ने कहा हमेशा मेरे रथ यात्रा के लिए लाखों भक्त आते हैं और आज कोई नहीं आया है राजा प्रभु की बात सुनकर हैरान हो गया और कहा प्रभु आप क्या बात कर रहे हैं यहां तो लाखों लोगों की भीड़ है देखिए भगवान ने कहा मुझे तो दिखाई नहीं दे रहा है तो राजा समझ गया कि भगवान जरूर कोई लीला कर रहे हैं और कुछ अलग ही बात है उन्होंने कहा प्रभु असली क्या बात है बताएं भगवान जगन्नाथ ने कहा हे राजन मेरा भक्त सालबेग उसे इस रथ पर बुलाओ वो बैठेगा तभी रथ आगे बढ़ेगा राजा ने सभी सैनिकों को भेजा जाओ जाकर सेलवेद को लेकर आओ सब लोग खोजते खोजते गांव पहुंचे देखा पेड़ के नीचे एक लड़का भगवान का नाम जप रहा है वह समझ गए यही है उसको लेकर सब पहुंचे और जैसे ही रथ में चढ़ने वाला था उसकी मां जैसा भगवान का वर्णन किया था वैसे ही धीरे-धीरे वह भगवान के दर्शन करते हुए ऊपर पहुंचा और जब संपूर्ण दर्शन हुए उसके आंखों से आंसू बह गए और अपने प्रभु को निहारत हुए अपने आंखों में समा लिया और उसी रथ में अपने प्राण त्याग दिए आज भी कहा जाता है जगन्नाथ पूरी में सालबेग की एक समाधि है और जब भी जगन्नाथ जी की रथयात्रा निकलती है तो रथ अपने आप 2 मिनट के लिए उस समाधि के पास रुक जाता है कहते हैं भगवान जगन्नाथ अपने भक्त को देखने के लिए वहां रुकते हैं जैसा कि नाम है कथा का भक्तमाल यह भक्त और भगवान की कथाओं का वर्णन है भगवान अपने भक्त के पास स्वयं पहुंच जाते हैं भगवान की नजर एक बराबर है चाहे वह किसी भी धर्म का हो भगवान को फर्क नहीं पड़ता है भगवान ने इंसान बनाया है धर्म जाति नहीं बनाई है कथा के आखिर में भजन गाए गए इसे सुनकर भक्तजन भाव विभोर हो गए ,आरती की गई पलव पाया गया विश्व🌏कल्याण के लिए अरदास की गई आए हुए सभी भक्तजनों के लिए प्रभु का प्रसाद रूपी आम भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्त जनो ने भंडारा ग्रहण किया आज के इस कथा में शामिल होने के लिए भक्त जन भिलाई कोरबा रायपुर बिलासपुर आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में पहुंचे थे कथा का आयोजन बाबा आनंद राम सेवा समिति चक्करभाटा, बिलासपुर के सेवादारियो के द्वारा किया गया है इस पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में बाबा आनंद राम सेवा समिति के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा

भवदीय
विजय दुसेजा