दिल की सच्ची बात,और विजय की कढ़वी बात….एक गाने की पंखडी मुझे हमेशा याद आती है जब मेरी माँ थी तो मैं उसे सुनता भी था

विजय दुसेजा/सम्पादकीय : (सब कुछ सीखा मैंने ना सीखी होशियारी सच है दुनिया वालों की मैं हूं अनाड़ी)
तब यह गाने का बोल सुनकर माँ कहती थी तू अनाड़ी क्यों बनता है बेटा तू खिलाड़ी बन तब मैं माँ को कहता था मै अनाड़ी बनकर ही तो मैं दुनिया को देख रहा हूं सीख रहा हूं समझ रहा हूं आंखें होने के बाद भी लोग दुनिया को नहीं देख पाते हैं और एक जो नेत्रहीन होता है वह दुनिया को देख लेता है समझ लेता है तो मैं भी वही कर रहा हूं मैंने अपनी उम्र से ज्यादा काम किया है और तर्जुबा हासिल किया है और अपने तर्जुबे से और जो देखा है समझा है जाना है उसके आधार पर यह सीखा है घर हो शहर हो नगर हो प्रदेश हो देश हो कहीं भी रहने वाला व्यक्ति हो हर किसी को कोई ना कोई गॉडफादर बनाया है अपने चेहरे पर नकाब लगाया है अंदर कुछ है बाहर कुछ है और हर जगह दो चेहरे हैं दो पार्टी है दो लोग, समिति दो लोगों की ही बात है यां चाहे तो धर्म हो चाहे तो समाज हो ज्यादातर इन दो में ही समाया है तीसरे का वजूद ना के बराबर है और तीसरा कोई आ भी जाए तो इन लोगों से मतलब मत रखें सिर्फ सच धर्म कर्म और न्याय की बातें करता हो और वही कार्य करता हो तो जो इनको तकलीफ होती है फिर यह दोनों ही शैतानी खोपड़ी का दिमाग दोड़ा कर तीसरे को फसाना चाहते हैं दाम दंड भेद सब अपना कर जब देखते हैं कि तीसरा नहीं फस रहा है तो सोचते हैं कि यह कैसे फसेगा इसकी कमजोरी क्या है पता लगाया जाए और जो पता लगा लेता है वह तीसरे ईमानदार को फंसा देता है वह जानते हैं कि यह धर्म-कर्म शास्त्र की नीति पर चलने वाला ईमानदार इंसान है तो यह अपने चेहरे के ऊपर ईमानदारी का चेहरा लगा लेते हैं जुबान👅 में मिठी मिश्री वाली बोली बोलते हैं और वह तीसरे व्यक्ति जो चुपचाप बैठा है नाम जप रहा है प्रभु का उसे फंसा कर अपने साथ ले चलते हैं और लाकर उसे पिंजरे में कैद कर लेते हैं जैसे एक तोते🦜 को शिकारी पकड़ के लाता है और घर 🏠 में पिंजरे🗑️ में कैद कर लेता है और वह तोता पिंजरे में बंद रहता है और सब कुछ देखते रहता है उनकी सारी बातें सुनते रहता है और बहुत कुछ जान जाता है कि यह बड़े शिकारी हैं और मक्कार है लेकिन वह बताएं किसको यहां पर सब तो वही है इसलिए चुपचाप पिंजरे में अपने दिन काटते रहता है प्रभु को याद करता है राम नाम जपता है ताकि भगवान एक दिन उसकी बात सुनेगा किसी न किसी को भेजेगा जो उसे पिंजरे से आजाद कर देगा राम राम का नाम जपते रहता है और वह शिकारी सोचता है कि तोता इतना अच्छा है राम-राम का नाम ले रहा है हम सबका नाम पुकार रहा है लेकिन असल में वह अपने प्रभु को याद करते रहता है और इनके सारी सच्चाई को जान लेता है और वह दिन भी आ जाता है कि एक दिन रात को घर में चोर घुस जाता है तब वह तोता जाग जाता है और चोर को पता चल जाता है कि तोता बोलने वाला है अगर यह बोलेगा तो हम सब पकडे जाएगे चोर कहता है कि तू चिंता मत कर अपने मालिक को मत जगा मैं तुझे आजाद कर देता हूं तोता बोलता है ठीक है मुझे आजाद कर जैसे चोर तोते को आजाद करता है वैसे ही तोता उड़ जाता है और चोर चोरी करके नौ दो ग्यारह हो जाता है तब तोता उड़कर जंगल में पहुंचकर अपने साथियों को सारी कहानी बताता है और पैड़ में बैठकर एक ही बात बोलता है शिकारी आया दाना डाला जाल बिछाया ओर तोता पकड़ के ले जाएगा इसलिए कोई भी इसके जाल में न फंसे। इस तोते की कहानी की तरह मुझे भी जाल में फसाया गया 20 सालों तक अपने खतरनाक अधर्मी पापी चेहरों पर नकली नकाब लगाया गया समाज हित की बातें की गई धर्म की बातें की गई संस्कृति की बातें की गई मुझे भी उस तोते की तरह वहां जाकर पता चला कि मैं शिकारीयो के बीच में फंस चुका हूं मकान के अंदर आ गया हूँ पिंजरे में केद हो चुका हूं पर मुझे भी इंतजार था कुछ लगो का की कोई आए मुझे भी आजादी दिलवाएं और वह दिन आ गया जब मुझे भी आजादी मिली और जब अब मैं अपनी कलम के माध्यम से शिकारी के मुंह से खतरनाक चेहरा हटा रहा हूं लोगों को सच दिख रहा हूं तो उनको तकलीफ हो रही है जैसा कर्म करोगे वैसा फल मिलेगा अपने किए का फल तो तुम्हें यही भोगना पड़ेगा।
मैं तो समझ गया लेकिन देर से समझा पर आप देर से मत समझना क्योंकि आपको समझने वाला सामने तोता खड़ा है और बता रहा है समझ जाओ वरना आप भी पिंजरे में बंद हो जाओगे ओर आजाद नहीं हो पाओगे, इसलिए जल्दी निकल जाओ और नौ दो ग्यारह हो जाओ अपने जीवन को सत्य की राह में लगाओ अपना जीवन सुधारो वह धर्म कर्म करें