सिंधु संस्कार सेवा समिति द्वारा थदड़ी का भव्य आयोजन, विश्व की सबसे छोटी महिला ज्योति आमगे बनीं मुख्य आकर्षण


रायपुर। प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी सिंधु संस्कार सेवा समिति की महिला विंग द्वारा एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन पूज्य सिंधी पंचायत भवन, तेलीबांधा में किया गया। इस कार्यक्रम की विशेषता यह थी कि इसमें विश्व की सबसे छोटी महिला, ज्योति आमगे, जिन्हें गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज किया गया है, को आमंत्रित किया गया। ज्योति की लंबाई मात्र दो फीट है, और उनकी उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और भी खास बना दिया।

इस आयोजन के मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाजसेवी श्री आनंद कुकरेजा जी थे। उन्होंने अपने उद्बोधन में “थदड़ी ” के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम समाज में होते रहने चाहिए, ताकि बच्चों को सिंधी समाज की संस्कृति और परंपराओं की जानकारी मिल सके।

विशेष अतिथि के रूप में पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी जी ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि सिंधु संस्कार सेवा समिति इस प्रकार के भावनात्मक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए बधाई की पात्र है। वहीं, अजीत कुकरेजा ने समिति की पूरी टीम की प्रशंसा करते हुए सभी सदस्यों को बधाई दी।

पूज्य सिंधी पंचायत, रवि ग्राम के अध्यक्ष बसंत कुकरेजा ने भी “थदड़ी ” के महत्व पर बल देते हुए सिंधु संस्कार सेवा समिति को इस तरह का आयोजन करने के लिए बधाई दी। भारतीय सिंधु सभा के संरक्षक अशोक नेनवानी ने समाज के लोगों को इस प्रकार के आयोजनों में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था की अध्यक्ष डिंपल शर्मा ने की, जिन्होंने कार्यक्रम की पूरी जानकारी दी और अपने भाषण में संस्था के उद्देश्यों को स्पष्ट किया। इस आयोजन में चार प्रमुख प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिनमें डांस, जोड़ी नंबर वन, रैंप वॉक, और ब्राइडल मेकअप शामिल थीं। सभी विजेताओं को ज्योति आमगे द्वारा सम्मानित किया गया।

इस भव्य आयोजन के प्रमुख आयोजक देवानंद शर्मा थे, जबकि प्रमुख सहयोगियों में बेल बॉटम फैमिली स्टोर, श्री राजा बजाज, किरण ठाकुर, सागर दुल्हानी, दीपिका जेठानी, भूमि रामानी, पूजा सेहरानी  पायल तालरेजा ज्योति और रेखा आहूजा का शीला प्रितवानी भावना बिरजू रेजा चंचल बजाज दिव्या आडवाणी जूही दरयानी रोमा वाधवानी योगदान सराहनीय रहा। कार्यक्रम के अंत में भावना चांदनी ने आभार व्यक्त किया।

इस आयोजन ने सिंधी समाज की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसे समाज के सभी वर्गों द्वारा सराहा गया।