विजय की कलम
( संपादकीय)
बिलासपुर:- सिंध में भगवान झूलेलाल जी का अवतरण क्यों हुआ था क्योंकि वहां का एक राजा था मिरघशाह बादशाह जो हिंदू धर्म को मानने वाले सिंधी समाज के लोगों को जबरदस्ती अपने धर्म में लाना चाहता था इसके लिए वह उनकी चोटी और जनेऊ काटता था ताकि वह इस्लाम धर्म कबूल कर दें नहीं तो उनकी गर्दन काट दी जाएगी प्रतिदिन सवा सैर जनेऊ लोगों के उतारता था उसके पापों के जुल्मों से तंग आकर परेशान होकर हिंदू धर्म के लोगों ने सिंधु नदी के किनारे भगवान वरुण देव की पूजा अर्चना की और आकाशवाणी हुई की बहुत जल्द इस पापी का सर्वनाश होगा और नसरपुर में रतन राय के घर में माता देवकी के कोख से तारणहार का जन्म होगा आकाशवाणी सत्य हुई तारणहार भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ भगवान झूलेलाल ने उस महा पापी मिरघशाह बादशाह को खत्म नहीं किया बल्कि उसके अहंकार को खत्म किया वह उसे सद मार्ग पर लेकर आए यह जो घटना व कहानी थी लगभग 1078 साल पहले की बात है
अब आज की ताजा खबर अपको बता रहे हैं हमारे यहां भी एक मिरघशाह बादशाह जैसा मठाधीश पैदा हो गया है जो अपने आप को मिरघशाह बादशाह से भी ज्यादा बड़ा मानता है और बड़ा महा पापी है इस कलयुग का महा पापी दो चेहरे लगा के रखता है एक लोगों को गुमराह करने के लिए दूसरा पाप करने के लिए उस राजा ने तो हिंदुओं को अपने धर्म में मिलाने के लिए कार्य करता था पर यह मठाधीश अपने ही हिंदू धर्म सिंधी समाज के कुछ लोगों के साथ जैसा व्यवहार कर रहा है वह बहुत गलत है व मठाधीश कहता की ईन पत्रकारों को इस मंदिर में आने मत देना कोई समाज की समाचार संकलन करने मत देना भगवान झूलेलाल के कार्यक्रम में जाने मत देना,ओर उसके जो साथ दे रहे हैं उन्हें भी आने मत देना.,
लोग तो खुद बुलाते हैं कि आओ भैया भगवान के घर में आओ, सत्संग में आओ, कीर्तन में आओ ताकि आपके पाप खत्म हो और आप सदमार्ग में चल सको पर इस महा पापी में इतना अहंकार भरा गया है कि लोगों को मना कर रहा है कि इनको सत्संग कीर्तन और मंदिरों में आने मत दो तुम में और उस राजा में कोई फर्क नहीं है तुम ऐसा अत्याचार करके यह जताना चाहते हो कि हम अपना हिंदू धर्म छोड़कर अन्य धर्म अपना लें पर याद रखना महा पापी

( हमारे पूर्वजों ने सिंध छोडा़ पर अपना धर्म नहीं छोड़ा तो हम भी अपना धर्म नहीं छोड़ेंगे,ओर अपने वतन को भी नहीं छोडेंगे )
यही रहेगें ओर अपना काम करते रहेगे
अपना कर्म नहीं छोड़ेंगे जो करना है कर लो क्योंकि तुम्हारा भी काल आ चुका है हमारा तारणहार आ चुका है उसका अवतार हो चुका है अब देखना यह है कि तुम्हारा अहंकार खत्म होता है या तुम खत्म होते हो ?
यह सब पाप करके तुम अपने पाप खुद बढ़ाते जा रहे हो और याद रखना सात पीढ़ी तक तुम्हारे यह पाप का बोझ उठाती रहेगी तुम्हारे मरने के बाद भी और वे लोग भी इतने दोषी हैं जो उनके कहने पर आ रहे हैं एक बात कहते हैं ना
( जुल्म करना तो पाप है पर उसे सहने वाला उससे बड़ा महापापी है)
अब इस महा पापी मठाधीश जिसके जुल्म सहन कर रहो ओर उसके कहने पर आ रहे हो तो आप भी पाप के भागीदार बन रहे हो फिर यह धर्म का दिखावा क्यों ? भगवान का घर सबके लिए है राजा हो या रंक हो कोई भी आकर पूजा अर्चना कर सकता है ,माथा टेक सकता है, किसी को
कोई रोक नहीं है पर जैसा व्यवहार आप कर रहे हो उससे आप खुद पाप के भागीदार बन रहे हो हमें किसी बात की चिंता नहीं है भगवान झूलेलाल ने तो हमारे लिए अनेक दरवाजे खोल कर रखे हैं कहा है बेटा चिंता मत कर
,पूरे देश के दरवाजे तेरे लिए खुले हैं जहाँ जाना है जाकर मथा टेक,जहां घूमना है घूम कार्यक्रम संकलन कर कोई मना नहीं है और इस पापी का तो अंत निश्चित है तू बेफिक्र हो जा ,
ओर अपना कर्म अपना धर्म मत छोड़ना एवं सत्य कि राह पर चलते रहना और मैंने अपने कर्म अपने धर्म को नहीं छोड़ा है सत्य की राह पर चल रहा हूं आगे भी चलता रहूंगा , इस महा पापी मठाधीश, जिसको जो करना है करें हम अपनी सत्य की रहा नहीं छोड़ेंगे ढोल की पोल खोलना नहीं छोड़ेंगे
जब तक मठाधीश अपने किए गए गलत कार्यों का समाज से माफ़ी ना मांग ले तब तक लड़ाई जारी रहेगी सत्य की, असत्य की, धर्म की, अधर्म की चलती रहेगी भगवान झूलेलाल जी का चालिहा महोत्सव चल रहा है और हमें विश्वास है जीत सत्य की होगी धर्म की होगी
उन लोगों से मेरा एक सवाल है जो लोग अपने-अपने गुरु को मानते हैं घर में दुकानों में बड़े-बड़े फोटो टांग के रखते हैं और सत्संग कीर्तन में घूमते हैं फोटो खिंचवाते हैं सेल्फी डालते हैं क्या आपके गुरु ने आपको यही सिखाया है कि आप अधर्म कि राह पर चले,
अधर्म का साथ दे और मठाधीश जैसे लोगों की गुलामी करें
अपना नहीं तो अपने पूर्वजों का अपने गुरुओं कि इज्जत और मान सम्मान का धयान रखें नहीं तो उनके फोटो को वापस पहुंचा दीजिए और यह ढोंग बंद करें सच को कबूल करें जुल्म को, पाप को सहन नहीं करें
(सत्यमेव जयते)
भवदीय
विजय दुसेजा