बिलासपुर:- श्री झूलेलाल चालिहा महोत्सव के समापन अवसर पर तेलीबांधा गली नंबर 3 रायपुर में झूलेलाल मंदिर नागपुर के महंत शंकर लाल ठाकुर जी एवं सेहरा वाले सांई जी के द्वारा चालिहा महोत्सव समापन के अवसर पर सत्संग कीर्तन और शोभा यात्रा कर चालिहा उत्सव का समापन किया गया कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 12:00 बजे भगवान झूलेलाल जी के मूर्ति पर पुष्प गुक्ष चढाकर पूज्य बहरणा साहब की अखंड ज्योत प्रजवलित करके की गई इस अवसर पर सत्संग में संत शंकर लाल ठाकुर सांई जी ने सत्संग कीर्तन करके साध संगत को निहाल किया उन्होंने फरमाया कि आज की पीढ़ी जो है व बच्चे को अपनी संस्कृति अपनी भाषा का ज्ञान नहीं है पूज्य बहराणा साहब क्यों निकाला जाता है इसके बारे में पता नहीं है जब बड़ों को पता होगा तभी वह अपने बच्चों को बता पाएंगे और समझा पाएंगे इसलिए जरूरी है कि बड़े पहले समझे भगवान झूलेलाल जी हमारे
इष्ट देव है यह सही है बस इतना ही काफी नहीं है बहाराणा साहब की महिमा बहुत बड़ी है समझने की देरी है समझेंगे तो आपका भला होगा वह अपनी संस्कृति से जुड़ाव रहेगा सिर्फ नाचना गाना है भंडारा खाना है और बहराणा साहब जाकर ढोल बाजे के साथ विसर्जन करना है तो कोई फायदा होने वाला नहीं है ना का कोई ,पूजा पाठ का लाभ होगा जब कोई तीज त्योहार मनाया जाता है तो उसके पीछे कोई न कोई कथा या कहानी होती है जब तक आप उसको समझोगे नहीं तब तक आपको पता कैसे चलेगा, आपका भाव कैसे जागेगा आपका जब भाव जागेगा तभी तो उसका फल आपको मिलेगा उसको आपके परिवार को मिलेगा इसलिए जरूरी है कि बहराणा साहब की महिमा को समझे जाने और अपने बच्चों को भी बताएं कथा है सिंध की वहा पर
प्रति दिन संत भेरूमल भगवान झूलेलाल जी की पूजा अराधना करते थे और पूज्य बहराणा बनाकर सिंधु नदी में प्रवाहित करने जाते थे एक दिन उसके मोहल्ले कि एक माता का बेटा खत्म हो गया और एक ही बैठा था वह रोते हुए भेरूमल के पास पहुंची और सारी बात बताई
भेरूमल ने कहा माता रो मत भगवान झूलेलाल पर विश्वास रखो सब अच्छा होगा ,
माता से घर से सामग्री मंगवाई और पूज्य बहराणा साहब बनाया और उसे लेकर सिंधु नदी के पास पहुंचे और भगवान झूलेलाल से आराधना करने लगे की है भगवान झूलेलाल इस माता का एक ही बेटा था जिसका स्वर्गवास हो चुका है मेरी आपसे प्रार्थना है विनती है कि इसके बेटे को जीवनदान दीजिए और उसके बहराणा साहब को कबूल कीजिए अगर आप ऐसा नहीं कर सकते हैं तो मेरे चार पुत्र हैं उनमें से किसी एक को भी आप अपने चरणों में रख लीजिए, उसकी बची हुई उमर को इसके बेटे को दे दीजिए
पर इसके बेटे को जीवन दान दीजिए यह बोलकर बहराणा साहब को सिंधु नदी में प्रभावित किया यह सब देखकर भगवान झूलेलाल बहुत प्रसन्न हुए और आकाशवाणी हुई और कहा आज के बाद जो भी बहराणा साहब
निकालेगा जब तक तीन बार आपका नाम नहीं लेगा तब तक उसकी पूजा सफल नहीं होगी और वह बहराणा साहब को मैं कबूल नहीं करूंगा और उसका फल भी सामने वाले को नहीं मिलेगा और जैसे ही
सिंधु नदी 🚣 से उसका जल लेकर उस बच्चे के मुंह में डाला गया बच्चा जीव उठा यह सब भगवान झूलेलाल ओर बहराणा साहब कि महिमा सच्चे मन से लगन से दिल से अगर बहराणा साहब की पूजा अर्चना करते हैं और उसकी कथा सुनते हैं और भेरुमल का नाम लेकर उसे विधि विधान के साथ नदि या तलाब में ज्योत को प्रवाहित और बहराणा साहब को विसर्जन करते
हैं तो उसका फल आपको ओर आपके परिवार को जरूर मिलेगा सांई जी के द्वारा भक्ति भरे भजन गाए जिसे सुनकर भक्तजन भाव विभोर हो गए इस अवसर पर रायपुर के संत सांई जल कुमार मसंत जी भी विशेष रूप से इस अवसर पर उपस्थित थे और साध संगत को अपने दर्शन देकर निहाल किया आए हुए सभी साध संगत के लिए आम भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में लोगों ने आम भंडारा ग्रहण किया
संध्या 6:00 बजे 151 आश जी मटकी वह 31 पूज्य बहराणा साहब की भव्य शोभायात्रा ढोल बाजे के साथ निकली गई जो कि नगर भ्रमण करते हुए तेलीबांधा के तालाब मरीन ड्राइव पहुंची शोभायात्रा का जगह-जगह फूलों की वर्षा के साथ आतिशबाजी के साथ भव्य स्वागत सत्कार किया गया
तालाब में पहुंच कर सांई सेहरा वाले जी ने विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कराई एवं अखंड ज्योत को प्रवाहित किया गया वह मटकी को विसर्जन किया गया आरती की गई पल्लव पाया गया प्रसाद वितरण किया गया धूमधाम के साथ भगवान झूलेलाल चालिहा महोत्सव का आज समापन हुआ बड़ी संख्या में भक्त जनों ने मटकी रखी थी घर में सांई जी ने भगवान झूलेलाल जी से प्रार्थना की सभी की मनोकामना जल्द से जल्द पूरी हो, इस अवसर पर पूज्य सिंधी पंचायत छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष महेश दरयानी कार्यकारी अध्यक्ष महेश रोहरा, सचिव सुभाष बजाज कोषाध्यक्ष कैलाश बालानी, एवं सदस्यों ने सांई जी का पुष्प 🌸🌺🌻🌹🌷🌼💐गूछ देकर स्वागत सत्कार किया
इस 40 दिनों में थावानी परिवार के द्वारा विधि विधान के साथ अखंड ज्योत की पूजा अर्चना की गई और कई संत महात्मा व भाई साहब के द्वारा सत्संग कीर्तन करके साध संगत को निहाल किया गया इस चालिहा महोत्सव को सफल बनाने में समस्त थावानी परिवार एवं अन्य सदस्यों का विशेष सहयोग रहा इनमें प्रमुख हैं, मुकेश थावानी विकास थावानी भरत थावानी दीपक थावानी गन्नू उदासी गुलशन उदासी तनेश भावेश,
आदि लोगों का सहयोग रहा
भवदीय
विजय दुसेजा