विजय की कलम
(संपादकीय)
बिलासपुर:- छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक भी सिंधी समाज के उम्मीदवार को टिकट नहीं दी थी 90 विधानसभा सीटों में से जबकि बिलासपुर और रायपुर की दो सीटों की मांग सबसे ज्यादा थी उम्मीद थी दोनों जगह मिलेगी पर कहीं से भी नहीं मिली ना ही रायपुर उत्तर से और ना ही बिलासपुर से उसके बाद भी समाज के लोगों ने दोनों जगह से भारी वोटो से पार्टी के उम्मीदवार को जिताया आने वाले लोकसभा चुनाव में भी बढ़कर पार्टी के लोकसभा उम्मीदवारों को जिताया जैसा कि कई विधायक चुनाव लड़े और सांसद बने जिसमें रायपुर दक्षिण के विधायक बृजमोहन अग्रवाल भी रायपुर लोकसभा चुनाव लड़े और भारी वोटो से चुनाव जीते और विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया खाली हो गई, जिसका चुनाव नवंबर में होने जा रहा है समाज को 2023 के विधानसभा चुनाव के समय पर भी टिकट नहीं मिली पर अब जब उप चुनाव होने जा रहा है तो रायपुर दक्षिण से जरूर समाज को टिकट मिलेगी इसके दो कारण है पहले रायपुर उत्तर से ज्यादा रायपुर दक्षिण में सिंधी समाज के मतदाता हैं और लोग रहते हैं दूसरा समाज के लोगों ने विधानसभा लोकसभा में बढ़-चढ़कर पार्टी को सपोर्ट किया और उम्मीदवार को जिताया और कई दिनों से समाज के लोगों के नाम भी चल रहे थे की फला को टिकट मिलेगी उस फला को टिकट मिल सकती है पर वह सिर्फ कौरी अफवाह ही रह गया हकीकत में कुछ नहीं हुआ टिकट , पूर्व महापौर और रायपुर के पूर्व लोकसभा सदस्य सुनील सोनी को रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव में पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है जो की रायपुर के नगर निगम के महापौर भी रह चुके हैं लोकसभा के पूर्व सदस्य रह चुके हैं अब उसे विधानसभा का उम्मीदवार बना दिया गया,
आठ बार बृज मोहन अग्रवाल विधायक बने और वह कहते भी हैं की सिंधी समाज का उन्हें भारी समर्थन मिलता है हर बार और वह विजय प्राप्त करते हैं और ऐसा नहीं है कि सुनील सोनी को टिकट देने से पहले पार्टी ने बृजमोहन से पूछा ना हो क्योंकि सुनील सोनी बृजमोहन के ही करीबी माने जाते हैं ? उन्ही की सहमति से ही उन्हें टिकट मिला है अगर बृजमोहन चाहते तो वहां से सिंधी समाज के उम्मीदवार को टिकट दिला सकते थे पर उन्होंने ऐसा नहीं किया क्या यह उचित है?
क्या उन्होंने भी सिंधी समाज के साथ धोखा नहीं किया?
जिस समाज ने उन्हें सर आंखों पर बिठाया आज भी उनका मान सम्मान वही मिलता है फिर उस समाज के व्यक्ति को टिकट उन्होंने क्यों नहीं दिलवाई?
सबसे ज्यादा सपोर्टर सिंधी समाज के हैं उनके फिर भी ऐसा क्यों?
जिस व्यक्ति को टिकट दी गई है उसका खुद का जनाधार नहीं है ?
और ना ही जनता में उसकी कोई ज्यादा लोकप्रियता है?
फिर भी उन्हें टिकट दिया गया तो इसका कारण सीधा-साधा है बृजमोहन के कहने पर दिया गया होगा ?
अब बात यह आती है कि समाज अब क्या करेगा हाथ पर हाथ धरे बैठा रहेगा?
अपनी शक्ति दिखाएगा और निर्दलीय सिंधी समाज के उम्मीदवार को खड़ा करेगा?
अगर ऐसा करता है तो बहुत बढ़िया रहेगा पूरे छत्तीसगढ़ से 15 दिन के लिए सभी सिंधी समाज के लोग रायपुर पहुंच जाए और अपने प्रत्याशी को जीतने के लिए एक-एक घर में भी जाएंगे एक-एक दो दो वोट भी अगर निकाल लिए तो हमारा प्रत्याशी जीत जाएगा जब पहली बार इंदौर से शंकर लालवानी चुनाव लड़ रहे थे तो देश भर से सिंधी समाज के लोग पहुंचे थे उन्हें जीतने के लिए और उन्हें जीता भी दिया इस तरह रायपुर दक्षिण से भी सिंधी समाज के उम्मीदवार को खड़ा करके पूरे छत्तीसगढ़ के सिंधी समाज को एक होकर उसे जीतने के लिए आगे आना होगा अपनी शक्ति दिखानी होगी तभी कुछ हो सकता है वरना बंधुआ मजदूर की तरह रहना पड़ेगा?
आजादी से लेकर अब तक हमें अपना हक नहीं मिला अन्य जातियों को उनके अनुपात के हिसाब से ज्यादा लोकसभा विधानसभा राज्यसभा में सिटे मिली उनके मुख्यमंत्री बना, प्रधानमंत्री बना, राष्ट्रपति बना, राज्यपाल बना, लेकिन हमारे समाज का क्या बना?
वक्त की पुकार यही है पैसा बहुत कमा लिया है अब राजनीतिक में अगर ताकत दिखानी है कुछ हासिल करना है तो थोड़े समय के लिए धंधा और दुकानदारी छोड़नी पड़ेगी और अगर नहीं तो भूल जाओ फिर राजनीति करना और पार्टीयो के आगे हाथ फैलाना छोड़ दो चुपचाप दुकान में बैठे रहो और बंधुआ मजदूर बने रहो?
बार-बार जगाने के लिए कोई नहीं आएगा नई पिढी पैदा हो चुकी है उनके भविष्य के लिए कम से कम सोचो आने वाले समाज को क्या देकर जाओगे उसके बारे में सोचो जो पैसा कमाया है इनके पास पहुंच जाता है हाथ फैलाने से अच्छा है हाथ को मजबूत करना सीखो अभी नहीं तो कभी नहीं की तर्ज पर आगे बढ़ो क्योंकि नगरी निकाय चुनाव भी सामने हैं अपनी ताकत दिखाओगे तभी नगरी निकाय चुनाव में पार्षद उम्मीदवारों की टिकट ज्यादा से ज्यादा समाज को मिल सकती है और कम से कम एक दो महापौर तो हमारे बन सकते हैं ,
लॉलीपॉप खाकर खुश होने से कुछ नहीं होगा नेताओं के जी हजूरी करने से कुछ नहीं होगा अब आगे बढ़ना होगा अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ेगी अगर समाज के मुखिया यह नहीं कर सकते हैं तो इस्तीफा दे दे अपने पदों से आने दो युवाओं को आगे और लड़ने दो अपनी लड़ाई खुद आप पीछे बैठे रहो,
टिकट अभी भी बदली जा सकती है अगर अभी दबाव बनाना शुरू करोगे तो हो सकता है कि पार्टी उम्मीदवार चेंज भी कर दे और समाज के किसी व्यक्ति को टिकट दे भी दे वक्त कम है और कार्य ज्यादा है इसलिए समय को बर्बाद मत करो तुरंत एक्शन मूड में आ जाना चाहिए और कार्य करना चाहिए
( नहीं तो खाली आए थे खाली जाएंगे बैगाने
की शादी में अब्दुल्ला दीवाने जैसी हालत आपकी हो जाएगी अगर अभी भी नहीं समझोगे तो )
(आओ एक कदम समाज को मजबूत बनाने के लिए राजनीतिक में आगे बढ़ाने के लिए उठाएं,)
जय छत्तीसगढ़ जय झूलेलाल
भवदीय
विजय दुसेजा