से. नि. क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं रीवा संभाग रीवा
दीपावली न केवल भारत बल्कि विश्व के एक अरब हिन्दू आबादी द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है।यह त्योहार हिन्दुओं के साथ साथ सभी धर्म के लोग पूरे जश्न के साथ मनाते हैं। दीपावली वैदिक पंचांग अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के अमावस्या तिथि को धूमधाम के साथ मनाया जाता है। भगवान श्रीराम दीपावली के दिन लंकापति रावण को हराकर अपनी नगरी अयोध्या लौटे थे जहां के नर-नारियों ने अपने घरों की सफाई कर रंगोली व फूलों से सजाया तथा नये कपड़े पहने, घरों के कोनों कोनों में दिया जलाए, पटाखे फोड़े व अपने परिवार जनों, मित्रों व रिश्तेदारों को मिठाइयां व उपहार बांटे। दीपावली को रोशनी व प्रेम-भाईचारा का त्योहार माना जाता है। साथ ही यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की, अज्ञान पर ज्ञान की, निराशा पर आशा की जीत का प्रतीक है। हर घरों में विघ्नहर्ता भगवान गणेशजी व लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।
पर्यावरण अनुकूल दीवाली हो- दीपावली में हमें आपने पर्यावरण को ध्यान में रखकर हरित दीवाली_ स्वस्थ दीवाली मनाना चाहिये। विगत शताब्दी में माननीय उच्चतम न्यायालय ने देश में स्वस्थ वातावरण हेतु संग्यान में लेकर पटाखों की गुणवत्ता हेतु गाइडलाइन जारी किया है। पटाखे क्रय करते समय पर्यावरण अनुकूल दीवाली मनानें हेतु विक्रेता का लाइसेंस अवश्य देखना चाहिये। रोशनी हेतु मिट्टी के दिये उपयोग करें ,पटाखों से कम प्रदूषण हो व शोर भी कम हो। तेज ध्वनि कानों के लिए हानिकारक होते हैं व वायु में जहरीली गैसें_ कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोंऑक्साइड , सल्फर डाइआक्साइड व अतिसूक्ष्म कण हमारे शरीर के त्वचा, आंख,फेफड़ा व सांस की नलियों को प्रभावित करते हैं, महिलाओं में एबार्शन हो सकता है। लगातार व तीव्र ध्वनि के आतिशबाजी से पालतू जानवर भी आक्रामक हो सकते हैं। हमें ग्रीन पटाखे दुर्घटना से बचनें के लिए खुले मैदान में चलाना चाहिये न कि संकरे क्षेत्र में। भारत विश्व का चीन के पश्चात पटाखों का दूसरा बड़ा निर्माता है जिसका वार्षिक कारोबार अनुमानित 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है।
दीपावली को लेकर बच्चे अति उत्साहित रहते हैं। ज्वलनशील पटाखों के उपयोग के समय बडों को भी बच्चों के साथ होना चाहिये। आंखों की सुरक्षा हेतु चश्मा लगाना चाहिये, सूती व मोटा टाइट कपड़ा पहनने चाहिये। आंखों में या कोई भी तकलीफ होने पर शीघ्र स्वास्थ्य केंद्र जायें। दीपाली के अवसर पर अस्पतालों में इमर्जेंसी सेवाओं की ब्यवस्था रहती हैं। हमेशा इमरजेंसी एम्बूलेंस नम्बर 108 की सेवा लें, प्राथमिक चिकित्सा की औषधियां, अग्निशामक यंत्र साथ में रखें।
दीपावली व मिठाइयाँ _
दीपावली त्योहार के अवसर पर पूरा बाजार विभिन्न प्रकार की मिठाइयों से सज जाता है।इस पवित्र पर्व में मिठाइयों के खाने व खिलानें का रिवाज है। पूजन पश्चात प्रसाद के रुप में मिठाई दी जाती हैं। घरों में विभिन्न प्रकार के पकवान भी बनते हैं। डायबिटीज,ब्लड प्रेशर गर्भवती महिलाओ, मोटापा से पीड़ित लोगों व बच्चों को उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर मीठे व धी-तेल से बनें ब्यंजन लेना चाहिए। त्योहार में ज्यादा मांग को दृष्टिगत रखते हुये व्यवसाय से जुड़े ब्यापारी विभिन्न प्रकार के पदार्थों को मिला देते हैं जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। यद्यपि शासन नें “मिलावट से मुक्ति अभियान” चलाया है जिसके अन्तर्गत मिलावटखोरों के विरुद्ध कडी कार्यवाही के निर्देश हैं। फिर भी आम नागरिकों को चौकन् रहना चाहिए। यथासंभव फल व ड्राई फ्रूट्स का उपयोग करना चाहिये।