
भारतवर्ष के राज्य उत्तर प्रदेश के धर्म नगरी प्रयागराज में गंगा_ जमुना- सरस्वती के तट पर सदियों से निरंतर हर वर्ष माघ माह में वृहद मेला का आयोजन होता है वहीं प्रत्येक 12 वर्षों में महाकुंभ का आध्यात्मिक आयोजन होता है जो हिंदुओं की आस्था का प्रतीक और देश का वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा धार्मिक समागम है। वर्ष 2025 में 144 वर्षों बाद ग्रहों के दुर्लभ संयोग बनने से विशेष महाकुंभ आयोजित हो रहा है यानी ऐसा अवसर हर पांचवीं पीढ़ी को प्राप्त होगा। महाकुंभ में करोड़ों- करोड़ श्रद्धालु, नागा, तपस्वी, साधु-संत, विभिन्न अखाड़ों के महंत, सभी जाति-धर्म के पुरुष व महिलाएं संगम में अद्वितीय उत्साह के साथ अमृत स्नान व शाही स्नान में भाग लेते हैं। गंगा तट पर लाखों परिवार घर गृहस्थी छोड़कर कल्पवास करते हैं। भारत शासन व उत्तर प्रदेश शासन इस वृहद आध्यात्मिक आयोजन को सफल बनाने हेतु सड़क, बिजली, शुद्ध पेयजल, रुकने की व्यवस्था, सुरक्षा, आवागमन व्यवस्था में कईअरब रुपए की व्यवस्था किया है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की तकलीफ ना हो। इस महाकुंभ मेले में कई देशों से श्रद्धालु गंगा दर्शन व संगम में डुबकी लगाने हेतु पहुंच रहे हैं।
गंगा मां के श्रद्धालुओं को सलाह –
चिकित्सा विशेषज्ञ डॉक्टर बी. एल. मिश्रा ने बताया कि महाकुंभ ठंड के मौसम में होता है अतः सभी बुजुर्गों, महिलाओं व बच्चों को ठंड से बचाना आवश्यक है जिसमें गर्म कपड़े व अलाव सहयोग कर सकते हैं। मेला प्रशासन द्वारा प्रदाय पेय जल का उपयोग करें, सुपाच्य भोजन करें, गरिष्ठ भोजन, डिब्बा बंद भोजन, तेलीय भोजन से बचें। 30 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोग महाकुंभ में जाने के पूर्व अपने ब्लड प्रेशर, डायबिटीज व हृदय रोग का परीक्षण करायें। यदि वह बीमारी से पीड़ित हैं तो नियमित इलाज लें, अपनी दवा साथ ले जायें व समय-समय में चिकित्सक द्वारा बताए गए सलाह अनुसार दवा लें। अन्यथा आप हार्ट अटैक व लकवा से पीड़ित हो सकते हैं व यह मूक हत्यारी बीमारियां जानलेवा हो सकती हैं।किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या होनें पर मेला के स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें, मेला परिसर को प्लास्टिक मुक्त बनाने व स्वस्थ पर्यावरण निर्माण हेतु अपने साथ थाली, गिलास, कप, लेकर जाएं साथ ही तंबाकू मुक्त बनाने में सहयोग करें, तंबाकू गुटखा छोड़ने का संकल्प लें व गंगा में तंबाकू का सेवन कर न थूकें। साथ ही गंगा में कपड़े न धोऐं,फूल-दूध-माला या अन्य सामग्री न फेंकें। सभी श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाकर व दर्शन कर अपना जीवन सफल बनाएं। जो लोग किसी कारण से महाकुंभ नहीं पहुंच पा रहे हैं वह अपने नहाने के पानी में गंगा जल डालकर “जय गंगा मां” बोलकर पुण्य प्राप्त करें।