मन चंगा कठौती में गंगा: संत रविदास।।

संत रविदासजी भारत के मध्य काल के संत कवि माने जाते हैं। संत रविदास को संत शिरोमणि की उपाधि दी गई थी। संत रविदासजी जाति पाती के घोर विरोधी थे। वह सामाजिक एकता के पक्षधर थे। सिख समुदाय के पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में संत रविदास जी के 40 से अधिक दोहें भजन शामिल किए गए हैं ।संत रविदास जी का जन्म लगभग 1376 ईस्वी में गोवर्धनगांव बनारस में माना जाता है। उनके पिता का नाम संतोखदास तथा माता का नाम कर्मादेवी था।संत रविदासजी की कविता वाणी में भक्ति की सच्ची भावना समाज में व्यापक हित की भावना तथा मानव प्रेम का संदेश होता था। उन्होंने दोहे एवं पदों के माध्यम से समाज में जातिगत भेदभाव को मिटाने एवं सामाजिक एकता पर बल दिया गया था। उन्होंने मानवतावादी मूल्य की नींव रखी थी। संत रविदास जी ने अपनी कविता में जनसाधारण के लिए ब्रजभाषा का प्रयोग किया है उनके काव्य में अवधि राजस्थानी खड़ी बोली का भी मिश्रण मिलता है। वैष्णव पंत के स्वामी रामानंदाचार्य को उनका आध्यात्मिक गुरु माना जाता है। संत रविदास कबीर के समकालीन संत कवि माने जाते हैं ।प्रसिद्ध संत मीराबाई उनकी अनन्य शिष्या थी। वाराणसी में 1540 ईस्वी में उन्होने देह त्याग दी। वाराणसी में उनका भव्य मंदिर और मठ बनाया गया है। शासन द्वारा उनकी स्मृति में गुरु रविदास स्मारक और गुरु रविदास पार्क भी स्थापित किया गया है। वह संत परंपरा के महान संत कवि माने जाते हैं।
संत रविदास को पंजाब में रविदास उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश में रैदास गुजरात महाराष्ट्र में उन्हें रोहिदास के नाम से जाना जाता है। भगवान श्री कृष्ण और श्री राम उनके आराध्य थे। रविदास जी मानते थे कि अंतर्मन की पवित्रता ही सच्ची ईश्वर भक्ति है। संत रविदासजी एक राष्ट्रवादी कवि थे जो उत्तर भारतीय आंदोलन के सबसे प्रसिद्ध संत में से एक थे।
डॉ विजय पाटिल
सेंधवा जिला बड़वानी मप्र