होली अर्थात बीती बातों को चिंतन नहीं करना


प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय रामा ग्रीन सिटी में होली का पर्व मनाया गया और सभी एक दूसरे के ऊपर रंग-बिरंगी फूलों की वर्षा करके बहुत धूमधाम से उमंग और उत्साह पूर्वक होली का पर्व मनाए होली त्यौहार में हम अक्सर करके देखते हैं सभी एक दूसरे को रंग लगाते हैं इसी कड़ी में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय रामा ग्रीन सिटी की मुख्य संचालिका राजयोगिनी राखी दीदी जी ने होली का वास्तविक अर्थ बताते हुए कहा कि हो ली अर्थात बीती हुई बातों का चिंतन नहीं करना है दूसरा अर्थ होली अर्थात मैं भगवान की हो गई तथा होली अर्थात पवित्रता । दुनिया में भी हम ऐसा कहते हैं होली के दिन दुश्मन भी गले मिल जाते हैं गले मिलना अर्थात अपनी सारी कड़वाहट को भूल आपस में भाई-भाई होने के नाते सबसे प्रेम पूर्वक रहना इस दिन एक दूसरे को रंग भी लगाते हैं दीदी जी ने कहा कि लाल रंग शक्ति का प्रतीक है हम जिसको भी यह लाल रंग लगाए शुभ संकल्प से उन्हें शक्तियां प्रदान करें पीला रंग सुख का प्रतीक है इस रंग को लगाते हुए एक दूसरे को सदा सुखी रहने का वरदान देना है, हरा रंग प्रेम का प्रतीक है इस रंग को लगाते हुए सभी को प्रेम देना है किसी से भी घृणा या नफरत नहीं करनी है, नीला रंग शांति और ज्ञान का प्रतीक है केसरिया रंग पवित्रता का प्रतीक है तो हम सभी को इन रंगों के गुणों  को अपने जीवन में धारण करना है वास्तव में यही सच्ची होली मनाना है सभी रंगों के दिव्य गुणों को जीवन में लाना और होली अर्थात बीती बातों को चिंतन ना कर अपने जीवन को नई उमंग उत्साह खुशियों के साथ शुरुआत करना, होली के दिन मुख मीठा भी करते हैं मुख मीठा अर्थात हमेशा अपने मुख से मधुर बोल बोलना