फौजी देश के लिए जीता है और देश के लिए ही शाहिद हो जाता है किसी पदक पाने के लिए नहीं भारत मां की संतान होने का कर्तव्य निभाता है

बिलासपुर :- कारगिल युद्ध में तीन गोली लगने के बाद भी युद्ध में डटे रहने वाले ऐसे परमवीर चक्र विजेता कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव जी का आज बिलासपुर आगमन हुआ चक्करभाटा से लेकर शहर में जगह-जगह उनका स्वागत सत्कार किया गया इसी कड़ी में ब्रह्माकुमारी केंद्र पुराना बस स्टैंड स्थित में पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने अपने जीवन के कई ऐसी बातें शेयर की जो आज तक बहुत कम लोगों को पता थी उन्होंने कहा कि बचपन में उन्हें भी खेलने कूदने का शौक था और कम उम्र में ही उन्होंने छठवीं क्लास में पढ़ाई करते हुए
पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने वाले वीर शहीद अब्दुल हमिद की कहानी पड़ी तभी से
सोच लिया था कि बड़े होकर वह सेना में शामिल होंगे और देश की सेवा करेंगे सपने सब देखते हैं पर सब के सपने साकार हो यह जरूरी नहीं है सपने साकार करने हैं तो सिर्फ सपने को देखना नहीं है बल्कि उसको अंतरात्मा के तहत देखेंगे तो वह भगवान उसे जरूर पूरा करते हैं फौजी अपने लिए नहीं जीता है बल्कि देश के लिए जीता है और देशवासियों के लिए जीता है

वह किसी पदक के लिए लड़ाई नहीं लड़ता है बल्कि देश की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ता है और हमारे देश में मेरे भाई बहन शांति से चैन से सो सके और व्यापारीगण शांति से व्यापार कर सके इसलिए वह सरहद पर खडा़ रहता है और जब जंग होती है तो दुश्मन की गोली सीने पर खाता है फिर भी चट्टान की तरह डाटा रहता है फौजी का जीवन और एक आम नागरिक का जीवन बहुत फर्क है आज के युवा रिल बनाने में व्यस्त हैं और लाखों फॉलोअर देखकर खुश होते हैं पर हकीकत में जब दुख तकलीफ आती है तो वह फॉलोअर काम नहीं आते हैं बल्कि घर परिवार के सदस्य ही काम आते हैं हकीकत में जीना सीखे और रिल लाइफ में नहीं बल्कि रियल लाइफ में जीना चाहिए, 1947 से लेकर 2025 तक मात्र 21 परमवीर चक्र मिले हैं उनमें 14 मरोउपरांत होने के बाद और 7 जीवित रहते हुए मिले हैं, 1954 से लेकर 2025 तक मात्र 55 लोगों को भारत रत्न मिला है परमवीर चक्र किसी की सिफारिश से नहीं मिलता है
उन्होंने खुशी व्यक्त की की ऐसा सौभाग्य मुझे बिलासपुर में ब्रह्माकुमारी बहनों के द्वारा मिल रहा है कि मैं शहीद हुए परिवारों का सम्मान करने का अवसर मुझे मिल रहा है धन्य है वह मां जिन्होंने अपने बच्चों को भारत मां की रक्षा के लिए कुर्बान कर दिया धन्य है वह बहन जिन्होंने अपने सिंदूर को भारत मां की सुरक्षा के लिए कुर्बान कर दिया


ताकि देश चैन की नींद सो सके
ऐसी माता और बहनों का सम्मान करने का अवसर मुझे ब्रह्मकुमारी बहनों ने दिया यह सामान उनका नहीं बल्कि हमारा है कि हमें ऐसा अवसर मिला
इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी बीके रानी दीदी लेफ्टिनेंट कर्नल विकास चौहान ने भी अपने विचार व्यक्त किया वह अपनी बातें रखी, ब्रह्माकुमारी केंद्र की प्रमुख स्वाति दीदी ने जानकारी देते बताया कि 26 तारीख को शाम 4:00 बजे से 7:00 बजे तक एक शाम शहीदों के नाम कार्यक्रम का आयोजन अशोकनगर चौक के पास ब्रह्माकुमारी केंद्र में रखा गया है