दूसरा गलती करे तो उसे सजा और अपना गलती करे तो उसे बचा क्या यही है कुछ 💰धन्ना सेठों की पहचान समाज में ?

विजय की ✒कलम

बिलासपुर :- आजकल एक फैशन बन गया है अपनी डबंली अपना राग मुर्गी की एक टांग खाता न बही जो हम कहें वही सही, तुम पियो तो शराब है अगर हम पिए तो अमृत हैं
ऐसे कहावत और ऐसे स्लोगन बहुत पढ़ने को मिले हैं और सुनने को मिले हैं पर यह सभी आज हमारे समाज में बिल्कुल फिट बैठते हैं कुछ लोगों पर अभी हाल ही में कुछ दिन पूर्व एक व्यक्ति ने हमारे समाज के साथ-साथ अन्य समाज के गुरुओं को ओर उनके भगवान पर भी आपत्तिजनक टिप्पणी की थी उसके विरोध में पूरे प्रदेश में जगह-जगह हल्ला मचा और लोग सड़कों पर उतरे रेलीयां निकली , बयान बाजी हुई और समाज में भी बड़ी संख्या में लोगों ने वीडियो जारी किए इकट्ठा किया और ज्ञापन देने चल पड़े कलेक्टर और एसपी कार्यालय, बहुत दिनों के बाद मैंने यह नजारा देखा बिलासपुर में मुझे याद है इससे पहले यह नजारा करीबन 8 साल पहले देखा था जब शहर के एक पूर्व मंत्री ने सिंधी कॉलोनी मिट्टी तेल लाइन गली के कच्चे गरीबों के मकानों को तोड़ा गया था स्मार्ट रोड बनाने के लिए समाज के लोग एक साथ होकर कलेक्टर ऑफिस जाने के लिए निकले पडे थे उस समय के हेमू नगर के पार्षद ने आकर रोका था और कहां उधर मत चलिए भैया के घर के लिए वहां बात करते हैं?
महिलाएं बड़े बुजुर्ग सभी लोग चल पड़े पूर्व मंत्री के निवास स्थान पर कुछ लोग बाहर धूप में खड़े थे घंटो पर और कुछ लोगों को अंदर बुलाया गया चर्चा करने के लिए?


और उसके बाद क्या हुआ सबको पता है यह बात तो पुरानी थी कहने का तात्पर्य यह है कि उस समय समाज एक हुआ था उसके बाद कोई अन्य मुद्दे पर एक नहीं हुआ अब हाल ही में कुछ ऐसी घटनाएं घटी तब भी एक नहीं हुआ पर जो विगत दिनों घटना घटी जो आपत्तिजनक बातें एक व्यक्ति के द्वारा जो बोली गई उसके विरोध में समाज के लोग एक हुए सबको देखकर वीडियो देखकर फोटो देखकर मुझे अच्छा लगा की चलो भाई गलत करने वाले के विरोध में आप एक हुए और विरोध प्रकट किया दर्ज कराया अच्छी बात है करना चाहिए बिल्कुल किसी भी व्यक्ति को कोई अधिकार नहीं है वह किसी भी धर्मगुरु या उनके भगवान को अप शब्द कहे चाहे वह हमारा हो चाहे किसी अन्य समाज का हो या किसी भी धर्म के लोगों का हो सभी समाज का सभी धर्म के भगवान ,व धर्मगुरु सम्माननीय हैं सबका सम्मान करना चाहिए पर मुझे आश्चर्य इस बात का हो रहा है कि 2 वर्ष पूर्व समाज के एक धन्ना सेठ ने जो उच्च पदों पर रह चुका है वर्तमान में भी कई पदों पर बैठा है उस व्यक्ति ने समाज के बड़े बुजुर्गों को जो भगवान के पास चले गए हैं उनके बारे में आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया अपने भगवान के बारे में आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया जिसका वीडियो बहुत खूब वायरल हुआ और एक व्यक्ति ने तो बेचारा ग्रुप में लिख लिख कर लिख लिख कर थक गया एक समिति के द्वारा बिलासपुर से लेकर रायपुर तक संत महात्माओं को नेताओं को और कई पंचायत को समितियों को लेटर दिया कि भाई ऐसी घटना घटी है हम चाहते हैं कि वह अपने किए हुए कार्य के लिए माफी मांगे जो उन्होंने गलत शब्द का उपयोग किया उसके लिए समाज से और आराध्य देव भगवान झूलेलाल से माफी मांगे 2 साल से अलख जगा रहे हैं
हर बार बोलते आ रहे हैं पर किसी के कानों तक झू तक न रहेंगी?


और आज वही व्यक्ति जब कोई दूसरा व्यक्ति गलत बोलता है तो उसको सजा दिलाने के लिए उस पर रिपोर्ट लिखाने के लिए भीड़ में सबसे आगे रहता है फोटो खींचाने के लिए यह सब देखकर मैं आश्चर्य हो गया?
यह तो वही कहावत हो गई की एक चोर खुद दूसरे चोर की रिपोर्ट लिखाने पहुंच गया थाने?
सबसे बड़ी सोचने की बात है कि जितने लोग आए थे सबको पता है कि इस व्यक्ति ने अपमान किया है पर किसी की हिम्मत नहीं हुई उसे बोलने की,
कि तुमने भी तो गलत शब्द कहा था तुम भी तो माफी मांग लो हम तुम्हारे ऊपर कोई रिपोर्ट लिखाना नहीं चाहते
नहीं बात को आगे बढ़ना चाहते हैं


बट इतना कहना चाहते अगर गलती तुमने महसूस की है मानते हो कि गलती हुई है तो उसको कबूल करके माफी मांग लो समाज भी सामने हैं भगवान भी सामने हैं मीडिया भी सामने हैं अगर मीडिया के सामने नहीं मांगना है तो मंदिर में चलकर मांग लो पर किसी की हिम्मत नहीं हुई ऐसा बोलने की?
और सबसे बड़ी आचार्य की बात थी जिस व्यक्ति ने इसका वीडियो बनाया था और खूब वायरल किया वही व्यक्ति इस पूरी खबर को कवर करने पहुंचा था और खूब वायरल कर रहा है?
उस फर्जी 420 व्यक्ति को देखकर गिरगिट भी बैचारा शर्मा गया और कहने लगा की भाई इसे तो नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए रंग बदलने में इसने तो मुझे भी पीछे छोड़ दिया है और झूठ बोलने में इसने ट्रंप को भी भी हरा दिया है?
ऐसे फर्जी 420 व्यक्ति और ऐसे बेईमान लोग जब घट जोड़ करेंगे तो समाज का क्या होगा यह तो भगवान ही जाने?


पर दुख इस बात का होता है जो महाभारत के समय बोले गये भगवान कृष्ण के एक श्लोक की दुहाई देते हैं भीड़ को इकट्ठा करने के लिए वह उस समय कहां जाते हैं जब एक धन्ना सेठ पाप के ऊपर पाप करता है झूठ के ऊपर झूठ बोलता है? अत्याचार के उपर अत्याचार करता है? अधर्म का कार्य करता है तब कहां गए थे तब यह भगवान कृष्ण का श्लोक याद क्यों नहीं आया? तब सच की रहा और धर्म की राह पर चलने के लिए याद क्यों नहीं आई?
और आज जब चल रहे हो तो उस व्यक्ति को साथ लेकर चल रहे हो जिसने पहले ही अधर्म कि रहा पकड चुका है पाप की राह पकड़ चुका है ? और उसे सबके आगे सामने लेकर चल रहे हो जैसे वह कोई महात्मा हो धर्म पुरुष हो?
यह देखकर एक ही बात समझ में आती है की प्यार भगवान से नहीं है झूलेलाल से नहीं है ?
कुर्सी से है और पैसे से है ?
पेपर में मीडिया में फोटो आना चाहिए नाम होना चाहिए जय जयकार होनी चाहिए इसलिए यह सब किया गया है?


असल में प्यार होता भगवान से तो 2 साल पहले जब उसने कहा था तभी इसे कहते कि आपने गलती की है उसके लिए क्षमा मांगीए पर 2 साल बीत गए किसने कुछ नहीं कहा और एक व्यक्ति ने कहा तो दो दिन में ही सड़कों पर आ गए?
इसका मतलब कोई दूसरा करें तो उसे सजा और कोई अपना करें तो उसे बचा?
वह रे 💰धन्ना सेठो क्या कानून है तुम्हारा?
और फर्जी 420 व्यक्ति जो खुद को पत्रकार कहता है पहले बता कभी पत्रकारीता की एबीसीडी पड़ी है?
दूसरों की नकल करना आधा पाव दारू पि के लिखना उसे पत्रकारिता नहीं कहते हैं?
लोगों को ब्लैकमेल करना उनके वीडियो बनाना रिकॉर्डिंग करना और उसे सोशल मीडिया में चलाना , उसे पत्रकारिता नहीं कहते?


लोगों को ब्लैकमेल करना महिलाओं से छेड़खानी करना अय्याशी करना उसे पत्रकारिता नहीं कहते हैं?
कुछ भी किसी व्यक्ति के बारे में लिखना और अपने आप को भारत का सर्वश्रेष्ठ पत्रकार कहना उसे पत्रकारिता नहीं कहते हैं? और लंगर का अपमान करना अधर्मी लोगों का काम है तुमने भी तो लंगर खाया था पन्नी में भरकर अपने मां बाप के लिए लेकर गया था तब याद नहीं आया यह लंगर है भगवान का ?
एक कार्यक्रम में कोरबा में जब लंगर बांट रहा था भंडारा चल रहा था तुम्हारा बाप भी खड़ा था भंडारा खाने के लिए लंगर खाने के लिए तब याद नहीं आया यह भी भंडारा है लंगर है भगवान का ? अरे अधर्मी हमें तो खुशी है कि हमें भगवान का लंगर खाने को मिलता है भंडारा खाने को मिलता है हम तो किस्मत वाले अपने आप को समझते हैं और उसका प्रसाद सबके मुख में जाए यही प्रभु की इच्छा होती है पर तुज जैसा बेवड़ा दरूवा कपटी 420 क्या जाने?
एक कहावत बहुत पुरानी है कुत्ते को कभी घी हजम नहीं होता है
जब तुम खा रहे थे लंगर जब मिल रहा था लिफाफे जब हो रहा था सम्मान मिल रही थी टोकरी तब था बड़ा था अभिमान, वह सब इसलिए मिल रहा था कि साथ में हम खड़े थे हमारा साथ था तभी यह सब हो रहा था पर अपने आप को महा ज्ञानी महा तपस्वी समझने वाले याद कर जब तुमने किया पीठ पर वार दिया हमें धोखा किया फरेब हमारे साथ उसके बाद क्या हुआ तुम्हारा हाल ?
सोच लेना याद कर लेना जैसी करनी वैसी भरनी बोया बबुल तो आम कहां से पाओगे करोगे पाप चलोगे अधर्म की रहा तो फल भी वैसा ही मिलेगा?
थोड़ी सी भी शर्म बाकी हो तो अपने किए गलग कर्मों के लिए माफी ईमानदारी से मांगो और जो गलत किया है उस पर प्रायश्चित करो और उसे सुधार करो और ईमानदारी से कार्य करो इसमें तुम्हारा भला है वरना 56 दिन तो अभी होकर आए हो पता नहीं आगे कितने दिन जाओगे यही जिंदगी गुजर जाएगी और कीड़े मकोड़े की तरह मर जाओगे?


हमें चले हो सीखाने अरे मूर्ख पहले तू तो चल उस राह पर मैं तो कब का निकल चुका हूं मंजिल पर पहुंचने वाले है अकेला चला था अकेला हूँ अकेला ही पहुंचूंगा न कल डरा था न आज डरुगा न आगे डरूंगा सच के लिए लड़ा था सच के लिए लडूंगा और आगे बढ़ता जाऊंगा भीड़ में आए हुए सभी लोगों से कहना चाहूंगा अगर भूल गए हो तो फिर से याद दिलाता हूं उस धन्ना सेठ की शक्ल याद करो जो सबके आगे था जिसने समाज के बड़े बुर्जोंगो को व आराध्याय देव के बारे में क्या गलत कहा था याद करो और थोड़ी सी भी अगर लाज बाकी हो तो उससे भी माफी मंगवा लो इसमें ही समाज का भला है इसमें आपका भला है भगवान झूलेलाल आप सबको सद्बुद्धि दे

संपादकीय