देश के समृद्ध इतिहास, संस्कृति को बचाना है तो मातृभाषा को बचाना होगा – रुपन

सिंधु एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी अयोध्या ने सिंधी लोक साहित्य प्रतियोगिता का आयोजन कीया
अयोध्या

अयोध्या :+ सिंधी साहित्य, कहानी, लेखन, कहावते एवं सिंधी लोक गीत की हजारों वर्ष पुरानी संमृद्ध सभ्यता रहीं है और भारत सरकार, की संस्था “राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद” भाषा प्रसार व इसके संरक्षण के प्रति जो गंभीरता दिखा रही है उसका स्वागत होना चाहिए देश को विकसित बनाने के लिए बालपन से ही समाज को अपने बच्चों को मातृभाषा मे अवश्य शिक्षा देनी चाहिए यह उदगार आज “सिंधु एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी” द्वारा जनपद अयोध्या के राम नगर मे आयोजित प्रतियोगिता के शुभारम्भ पर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद” सदस्य प्रतिनिधि विश्वप्रकाश “रुपन” ने व्यक्त किए।
आयोजन समिति के अध्यक्ष सुमित माखेजा ने विस्तृत जानकारी देते हुवे बताया कि प्रतियोगिता का आयोजन तीन ग्रुपो मे कीया गया, प्रथम ग्रुप मे 08 से 14 वर्ष के बच्चों को प्रभु झूलेलाल पर लेख लिखना था, दृतीय ग्रुप मे 15 से 20 वर्ष के किशोरो को “हम सिंधी हैं ” का आत्म गौरव प्रदान करने वाला विषय पर काहानी लेखन करना था वही तृतीय ग्रुप मे सभी उम्र लें प्रतिभागियों को “सिंधी लोक साहित्य के प्रमुख रचनाकार ” विषय पर लेखन करना था।
विजयी प्रतियोगियों को संस्था द्वारा नगद पुरस्कार भी दीया जाएगा।
श्री माखेजा ने बताया कि इस प्रतियोगिता मे कुल 53 प्रतिभागियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था व 34 ने प्रतिभाग कीया, प्रतियोगिता मे सिंधी विषय को पढ़ाने वाले अद्यापकों मे गीत हासानी, कनक चैननी, कपिल हासानी, चंदा माखेजा, लक्ष्मी लखमानी, सपना खेटपाल, साक्षी वासवानी, हर्षा हासानी, लक्ष्मी देवी, गरिमा मंध्यान व प्रिया आहूजा आदि उपस्थित रहे।