भारत वैश्विक शक्ति बनने की अपनी आकांक्षा को सुरक्षा दृष्टि से भी पूरी मज़बूती के साथ आगे बढ़ानें में सक्षम
60वें सम्मेलन में वामपंथी उग्रवाद आतंकवाद -निरोध, आपदा प्रबंधन,महिला सुरक्षा साइबर अपराध और फोरेंसिक विज्ञान एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग पर चर्चा मिल का पत्थर साबित होगी- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर भारत की आंतरिक सुरक्षा संरचना को अधिक मजबूत, अधिक तकनीक -आधारित और अधिक भविष्य- संवेदी बनाने की दिशा में 60वां अखिल भारतीय पुलिस महानिदेशक एवं महानिरीक्षक सम्मेलन एक ऐतिहासिक पड़ाव के रूप में उभर कर सामने आया है। यह सम्मेलन 28 से 30 नवंबर 2025 तक नया रायपुर स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान में आयोजित हो रहा है। इसमें देश के गृह मंत्री पहले ही शामिल हो चुके हैं, जबकि प्रधानमंत्री 29 और 30 नवंबर को अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। इतने उच्च-स्तरीय नेतृत्व की प्रत्यक्ष भागीदारी यह दर्शाती है कि भारत में सुरक्षा प्रशासन अब केवल कानून-व्यवस्था तक सीमित मुद्दा नहीं रहा,बल्कि विकसित भारत के व्यापक राष्ट्रीय दृष्टिकोण का अभिन्न और केंद्रीय घटक बन चुका है। विकसित भारत: सुरक्षा आयाम विषय-सार इस सम्मेलन की यही भावी और बहु-आयामी दिशा दर्शाता है।इसमें वामपंथी उग्रवाद आतंकवाद-निरोध,आपदाप्रबंधन महिला सुरक्षा, साइबर-अपराध और फोरेंसिक विज्ञान एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श हो रहा है। इन सभी क्षेत्रों में पिछले वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, और अब आवश्यकता है कि इन उपलब्धियों को एकीकृत कर एक ऐसे सुरक्षित भारत का निर्माण किया जाए, जो वैश्विक शक्ति बनने की अपनी आकांक्षा को सुरक्षा दृष्टि से भी पूरी मजबूती के साथ आगे बढ़ा सके।

यह सम्मेलन मूलतःएक ऐसे संवादात्मक मंच के रूप में विकसित हुआ है जहां राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े उच्चतम स्तर के निर्णयकर्ता पुलिस प्रशासन की वास्तविक चुनौतियों पर खुलकर चर्चा करते हैं।भारत जैसे विशाल, विविधतापूर्ण और निरंतर परिवर्तनशील देश में सुरक्षा चुनौतियाँ स्थिर नहीं हैं; वे लगातार रूप बदलती हैं, क्षेत्र विशेष के हिसाब से अपना अलग रूप लेती हैं और समय-समय पर तकनीकी, सामाजिक और भू-राजनीतिक स्वरूपों में विकसित भी होती रहती हैं। ऐसे वातावरण में पुलिस बलों के बीच अनुभवों का साझा होना, विभिन्न राज्यों के मॉडल का तुलनात्मक अध्ययन, और केंद्र तथा राज्य सरकारों के स्तर पर एक एकीकृत राष्ट्रीय सुरक्षा दृष्टिकोण तैयार करना अत्यंत आवश्यक है। यह सम्मेलन वर्षों से इसी भूमिका को निभाता आया है,मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र यह मानता हूँ कि 2025 का यह संस्करण अधिक महत्त्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि भारत अब 2030 तक विकसित राष्ट्र की श्रेणी में पहुँचने का लक्ष्य ले चुका है,और विकसित राष्ट्र बनने का अर्थ आर्थिक उन्नति भर नहीं, बल्कि उच्च स्तरीय घरेलू सुरक्षा संरचना भी है।
साथियों बात अगर हम इस वर्ष क़े सम्मेलन की करें तो यह वामपंथी उग्रवाद पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रहा है। पिछले एक दशक में वामपंथी हिंसा में उल्लेखनीय कमी आई है, लेकिन पूरी तरह से इसका उन्मूलन अभी शेष है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि वामपंथी उग्रवाद केवल पुलिस युद्ध नहीं है;यह सामाजिक विश्वास बहाली विकास की पहुंच,स्थानीय शासन के सुदृढ़ीकरण और सामुदायिक भागीदारी से भी जुड़ा हुआ मुद्दा है।यही कारण है कि इससम्मेलन में वामपंथी गतिविधियों के मूल कारणों की समीक्षा,प्रभावित क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे के विकास, सुरक्षा बलों के बेहतर संसाधन,और स्थानीय प्रशासन के समन्वय पर गहरी चर्चा हो रही है। इसके साथ ही ड्रोन, उपग्रह निगरानी और एआई- आधारित पैटर्न विश्लेषण जैसे आधुनिक उपकरणों द्वारा उग्रवाद-निरोध को अधिक प्रभावी बनाने पर भी विचार किया जा रहा है।आतंकवाद निरोध एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे केवल जमीनी संघर्ष के रूप में नहीं देखा जा सकता।आधुनिक आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय फंडिंग नेटवर्क, साइबर रिक्रूटमेंट, एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन और ड्रोन-आधारित हमलों जैसे नए रूपों में उभर रहा है।भारत के सामने चुनौती यह है कि वह वैश्विक आतंकवाद के इन नए चेहरों से निपटने के लिए अपने सुरक्षा संसाधनों को तकनीकी और वैचारिक दोनों स्तरों पर आधुनिक बनाए। सम्मेलन में यह चर्चा हो रही है कि आतंकवाद विरोधी तंत्र को मजबूत करने के लिए सूचना- साझाकरण तंत्र (इंटेलिजेंस शेयरिंग) को और अधिक समन्वित,तेजी से क्रियाशील और प्रौद्योगिकी- सक्षम बनाया जाए। साथ ही,कट्टरपंथ से लड़ने के लिए सामाजिक -मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है।
साथियों बात अगर हम इसके समानांतर,आपदा प्रबंधन भी इस सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण विषय है इसको समझने की करें तो जिस प्रकार जलवायु परिवर्तन प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ा रहा है, उससे पुलिस और सुरक्षा प्रशासन की भूमिका और चुनौती दोनों ही विस्तृत हुई हैं। बाढ़, भूकंप, तूफान, भूस्खलन और शहरी आग जैसी घटनाओं में पुलिस बल न केवल राहत और बचाव कार्यों में प्रथम उत्तरदाता के रूप में कार्य करता है,बल्कि संचार समर्थन, कानून- व्यवस्था बनाए रखने, तथा भीड़-प्रबंधन में भी उसका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस सम्मेलन में यह विचार किया जा रहा है कि पूरे देश में आपदा-प्रबंधन के लिए पुलिस बलों को किस प्रकार आधुनिक तकनीक, प्रशिक्षण और संसाधनों से लैस किया जाए, जिससे बड़ी त्रासदियों में त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक समन्वित योजना की आवश्यकता है, जिसमें केंद्रीय पुलिस बलों और राज्य पुलिस के बीच स्पष्ट भूमिकाएँ और तकनीकी सहायता संरचनाएँ निर्धारित हों।
साथियों बात अगर हम महिला सुरक्षा को वर्तमान स्थिति में समझने की करें तो, 21वीं सदी में किसी भी आधुनिक और विकसित राष्ट्र की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक है।भारत में महिला सुरक्षा के लिए अनेक योजनाएँ और तंत्र पहले से संचालित हो रहे हैं, लेकिन इस सम्मेलन का उद्देश्य इन योजनाओं का मूल्यांकन करना और एक समन्वित राष्ट्रीय दृष्टिकोण तैयार करना है ताकि महिला सुरक्षा न केवल शहरी क्षेत्रों में, बल्कि ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में भी समान रूप से सुनिश्चित हो। इसमें पुलिस की संवेदनशीलता प्रशिक्षण, महिला हेल्पलाइन सेवाओं का विस्तार, त्वरित जांच व्यवस्था, फोरेंसिक सहायता का बढ़ा हुआ उपयोग, और ऑनलाइन अपराधों से सुरक्षा जैसे पहलुओं को प्राथमिकता दी जा रही है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच अक्सर देरी का शिकार होती है, क्योंकि पारंपरिक जांच पद्धतियाँ अत्यधिक समय लेने वाली होती हैं;इसीलिए फोरेंसिक विज्ञान और एआई-आधारित उपकरणों का उपयोग भविष्य की पुलिसिंग में अनिवार्य भूमिका निभाएगा।
साथियों बात अगर हम फोरेंसिक विज्ञान और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग को
समझने की करें तो,यह इस सम्मेलन का सबसे नवोन्मेषी और आधुनिक पहलू है। विकसित देशों में फोरेंसिक- सक्षम पुलिसिंग अब अपराध नियंत्रण की मूलधारा बन चुकी है। भारत में भी 2023 के बाद से फोरेंसिक अनिवार्यता कानून लागू होने से बड़े अपराधों में वैज्ञानिक जांच प्रणाली को अनिवार्य किया गया है।2025 के इस सम्मेलन में यह चर्चा हो रही है कि फोरेंसिक लैब्स को वैश्विक मानकों पर कैसे विकसित किया जाए, डीएनए प्रोफाइलिंग, डिजिटल फोरेंसिक, साइबर- ट्रैकिंग और एआई-आधारित फेसियल रिकॉग्निशन जैसे क्षेत्रों में नए मानक कैसे स्थापित किए जाएं। एआई न केवल अपराध की जांच में मदद करेगा बल्कि अपराध की भविष्यवाणी, ट्रैफिक प्रबंधन, भीड़ नियंत्रण और आतंकवादी गतिविधियों के डेटा पैटर्न के विश्लेषण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे पुलिस की कार्यकुशलता बढ़ेगी, जांच तेजी से पूरी होगी और न्याय व्यवस्था अधिक विश्वसनीय बनेगी।इस सम्मेलन का एक व्यापक उद्देश्य यह भी है कि पुलिस बलों के बीच परिचालन अवसंरचनात्मक और कल्याणकारी चुनौतियों पर सामूहिक चर्चा हो। पुलिस व्यवस्था आज जिस तरह के दबावों में कार्य करती है, वह किसी भी लोकतांत्रिक देश की सुरक्षा-व्यवस्था की केंद्रीय धुरी है। लंबे कार्य घंटे, संसाधनों की कमी, तकनीकी प्रशिक्षण का अभाव, आवास एवं परिवार कल्याण से जुड़ी समस्याएँ, और आधुनिक उपकरणों की पर्याप्त उपलब्धता न होना,ये सभी मुद्दे पुलिसिंग की गुणवत्ता पर प्रभाव डालते हैं। सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य एक ऐसा वातावरण बनाना है जहां पुलिस बलों को अत्याधुनिक उपकरण, बेहतर प्रशिक्षण, मानसिक स्वास्थ्य समर्थन, और पेशेवर उन्नयन के अवसर प्राप्त हों।सम्मेलन में राष्ट्रीय स्तर पर एक दूरदर्शी सुरक्षा रोडमैप तैयार करने पर भी विचार किया जा रहा है। विकसित भारत की अवधारणा केवल आर्थिक समृद्धि से नहीं,बल्कि एक सुरक्षित समाज,सुव्यवस्थित कानून-व्यवस्था,सुचारु प्रशासन, और नागरिकों के अधिकारों की संपूर्ण सुरक्षा से ही संभव है। एक सुरक्षित भारत ही आर्थिक निवेश आकर्षित कर सकता है, वैश्विक व्यापार के लिए अनुकूल वातावरण बना सकता है और सामाजिक सद्भाव को मजबूत कर सकता है। इस दृष्टि से यह सम्मेलन भविष्य के भारत की सुरक्षा संरचना को परिभाषित करने वाला एक निर्णायक अवसर है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विशेषण करें तो हम पाएंगे कि 60वां अखिल भारतीय पुलिस महानिदेशक/महानिरीक्षक सम्मेलन भारत की आंतरिक सुरक्षा यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह सम्मेलन न केवल वर्तमान चुनौतियों की समीक्षा कर रहा है, बल्कि सुरक्षा प्रशासन के लिए एक नए युग की शुरुआत का संकेत दे रहा है, एक ऐसा युग जिसमें तकनीक, वैज्ञानिक जांच,मानव-केंद्रित पुलिसिंग,सामाजिक संवेदनशीलता,राष्ट्रीय सहयोग और वैश्विक सुरक्षा मानकों का सम्मिलन होगा। यह सम्मेलन एक सुरक्षित, सक्षम और विकसित भारत की दिशा में भारत की सुरक्षा नीति को एक समन्वित, वैज्ञानिक और दूरदर्शी रूप देने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभा रहा है।

-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 9226229318