फर्जी पत्रकारों पर हाईकमान की कड़ी नजर, आया सख्त निर्देश — “करें आप बेड रेस्ट”

छत्तीसगढ़

पिछले कुछ समय से पत्रकारिता के नाम पर लगातार बढ़ रही फर्जी गतिविधियों पर अब ऊपरी स्तर से सख्त रुख अपनाया जाने लगा है। विभिन्न जिलों से मिल रही शिकायतों के बाद मीडिया संगठनों के हाईकमान ने उन कथित ‘फर्जी पत्रकारों’ को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा है —

अभी के लिए करें बेड रेस्ट, पत्रकारिता हमारे हवाले छोड़ दें।”

फर्जी प्रेस कार्ड और बिना अनुमति कवरेज का चलन बढ़ा

सूत्रों के अनुसार कई लोग बिना किसी मान्यता, अनुभव और संगठन से जुड़ाव के प्रेस की पहचान का दुरुपयोग कर रहे थे। न केवल इससे पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर असर पड़ा, बल्कि असली पत्रकारों की मेहनत भी सवालों के घेरे में आई।
हाईकमान का साफ संदेश

मीडिया संगठनों ने साफ निर्देश जारी किए हैं कि—

  • कोई भी व्यक्ति बिना वैध आईडी,
  • बिना नियुक्ति पत्र,
  • और बिना अधिकृत संगठन के कवरेज नहीं कर सकता।

ऐसे लोगों को तुरंत गतिविधियाँ रोकने और “बेड रेस्ट” लेने की सलाह दी गई है—अर्थात् पत्रकारिता से दूर रहने का निर्देश।

प्रदेश में बढ़ेगी जांच*

जानकारी के अनुसार, जिला स्तर पर भी अब फर्जी पत्रकारों की सूची तैयार की जा रही है। पुलिस और प्रशासन से समन्वय कर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रेस की पहचान का दुरुपयोग न हो।

सच्ची पत्रकारिता की महत्वता

वरिष्ठ पत्रकारों ने कहा कि पत्रकारिता एक जिम्मेदारी है, शौक या शोहरत पाने का साधन नहीं। फर्जी पहचान से समाज में भ्रम और गलत संदेश फैलता है, जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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मीडियाकर्मियों की नियुक्ति से पहले संपादकों को बरतनी चाहिए ये अहम सावधानियां

तेजी से बदलते मीडिया परिवेश में फर्जी पत्रकारों और संदिग्ध पहचान वाले लोगों की संख्या बढ़ने लगी है। ऐसे हालात में किसी भी मीडिया हाउस के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह अपने संवाददाताओं, रिपोर्टरों और प्रतिनिधियों को नियुक्त करने से पहले पूरी सतर्कता बरते। एक छोटी-सी लापरवाही न केवल संस्थान की साख पर असर डाल सकती है, बल्कि कानूनी और सामाजिक संकट भी खड़े कर सकती है।

1. पहचान और दस्तावेजों का गहन सत्यापन

नियुक्ति से पहले उम्मीदवार के आधार कार्ड, पैन कार्ड, शैक्षणिक प्रमाणपत्र और पूर्व अनुभव के दस्तावेजों का सही तरीके से वेरीफिकेशन जरूरी है। फर्जी प्रेस कार्ड बनाने वाले गिरोह सक्रिय रहते हैं, इसलिए जांच में ढिलाई संस्थान के लिए जोखिम बन सकती है।

2. पूर्व कार्य और आचरण की जांच

उम्मीदवार ने पहले किन मीडिया संस्थानों में काम किया, उसका व्यवहार कैसा रहा और क्या उसके खिलाफ कोई शिकायत दर्ज रही है—इन सबकी जांच आवश्यक है। यह जांच भविष्य में संस्थान को कई विवादों से बचा सकती है।

3. पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों की समझ

संपादकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नियुक्त होने वाला व्यक्ति मीडिया की आचार संहिता, प्रेस की मर्यादा और जिम्मेदारी को समझता हो। सनसनी फैलाने या दबाव में आने वाले व्यक्ति भविष्य में संकट पैदा कर सकते हैं।

4. पुलिस वेरिफिकेशन आवश्यक

मौजूदा समय में मीडिया कार्ड का दुरुपयोग बढ़ा है, इसलिए पुलिस सत्यापन करवाकर ही नियुक्ति देना एक सुरक्षित कदम माना जाता है। यह संस्थान की विश्वसनीयता बढ़ाता है।

5. नियुक्ति पत्र में स्पष्ट शर्तें

नियुक्ति पत्र में कार्यक्षेत्र, जिम्मेदारियाँ, आचार संहिता, शिकायतों की प्रक्रिया और दंडात्मक प्रावधान स्पष्ट रूप से उल्लेखित होने चाहिए। ताकि भविष्य में किसी भी विवाद की स्थिति उत्पन्न न हो।

6. सोशल मीडिया गतिविधि की जांच

नियुक्त उम्मीदवार सोशल मीडिया का किस तरह उपयोग करता है, यह भी आज के समय में महत्वपूर्ण है। आपत्तिजनक पोस्ट या भ्रामक सामग्री साझा करने वाले लोगों को नियुक्त करना संस्थान की छवि पर असर डाल सकता है।