शिक्षा विभाग में चल रहा बेखौफ घोटालों का सिंडिकेट

  • सुरेश सिंह बैस
    बिलासपुर। जिला शिक्षा विभाग में करोड़ों की छात्रवृत्ति वितरण प्रक्रिया पर बेहद गंभीर और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। संवेदनशील ऑनलाइन छात्रवृत्ति सिस्टम, जिसे विभागीय नियंत्रण में होना चाहिए, वास्तव में एक निजी व्यक्ति के हाथों संचालित हो रहा है। देवरीखुर्द के लोक सेवा केंद्र संचालक को विभाग के कमरा नंबर 16 में बैठाकर उसी से पूरा ऑनलाइन संचालन कराया जाता है। यह स्थिति न सिर्फ विभागीय नियमों के खिलाफ है बल्कि करोड़ों
  • रुपये के वित्तीय प्रवाह को जोखिम में डालती है।

प्रभारी की कमजोरी-निजी व्यक्ति का नियंत्रण

छात्रवृत्ति प्रभारी कंप्यूटर संचालन में दक्ष नहीं हैं। इसी वजह से विभाग ने लोक सेवा केंद्र संचालक को अपने कमरे में बैठाकर ऑनलाइन छात्रवृत्ति भुगतान, सत्यापन और संकलन जैसे अत्यंत संवेदनशील कार्य उस पर छोड़ दिए हैं। पूरे जिले की छात्रवृत्ति उसी के हाथों से निकलती है। यह स्थिति विभाग के भीतर एक तरह के अनौपचारिक ‘सिस्टम कब्जे’ की तस्वीर पेश करती है।

छात्रवृत्ति वितरण में करोड़ों की हेराफेरी

शासन द्वारा प्रतिवर्ष बिलासपुर जिले के लिए करोड़ों की छात्रवृत्ति राशि जिला शिक्षा विभाग के खाते में भेजी जाती है। यह राशि उचित प्रक्रिया से बच्चों तक पहुंचनी चाहिए, परंतु विभाग के भीतर इसकी ऑनलाइन प्रक्रिया एक निजी ऑपरेटर के हाथ होकर जाती है। सूत्रों के अनुसार, उक्त संचालक पर विभागीय अधिकारियों का इतना भरोसा बन गया है। यह भरोसा एक दिन सूरजपुर की ही तरह टूटेगा। क्योंकि बाहरी लोग तो उसे शिक्षा विभाग का कर्मचारी समझते हैं । लेकिन ताज्जुब की बात तो यह है कि कार्यालय के लोग भी उसे सरकारी कर्मचारी मान बैठे हैं । वह कार्यालय में एक नियमित कर्मचारी की तरह अधिकारपूर्वक बैठता है।

70 प्रतिशत प्राचार्यो की लॉगिन इसी के पास

जिले के लगभग 70 प्रतिशत स्कूल इंटरनेट और कंप्यूटर संचालन में सक्षम नहीं हैं। शिक्षक और प्राचार्य तकनीकी रूप से दक्ष न होने के कारण अपने-अपने लॉगिन और पासवर्ड भी इसी लोकसेवा केंद्र संचालक को सौंप देते हैं। इसका अर्थ यह है कि छात्रों का पूरा डेटा, लॉगिनऔर पासवर्ड भी उसी को सौंप देते हैं। इसका अर्थ यह है कि छात्रों का पूरा डेटा, लॉगिन, पासवर्ड और बैंक लिंकिंग-एक निजी व्यक्ति के नियंत्रण में है। यह व्यवस्था किसी भी समय बड़े वित्तीय दुरुपयोग की शक्ल ले सकती है।

प्रति छात्र 10 रुपये तक वसूली.. कमरा नंबर 16

सूत्रों के अनुसार, ये विवादित केंद्र संचालक प्रति छात्र 10 रुपये तक लेता है। जबकि कैमरा, बिजली, पानी, कंप्यूटर सब कुछ शासन का है। जिससे वह हर वर्ष लाखों रुपये के बराबर की कमाई कर लेता है। आश्चर्य यह कि यह सब विभागीय कर्मचारियों के सामने, बिना किसी भय के होता है। छात्रवृत्ति जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया का इस तरह का निजी नियंत्रण अपने आप में बड़ा प्रश्न खड़ा करता है कि क्या विभाग इस अनियमित व्यवस्था से अनजान है या अनदेखी कर रहा है?

विभागीय बैठकों में सरकारी कर्मचारी जैसी ठसक

सूत्र बताते हैं कि ये लोकसेवा केंद्र संचालक न केवल कार्यालय का संचालन करता है बल्कि विभागीय समीक्षा बैठकों में भी शामिल होता है। उसकी मौजूदगी ऐसी होती है मानो वह विभाग का नियमित कर्मचारी हो। कई बार उसकी सलाहों पर प्राचार्य, शिक्षक और यहां तक कि अधिकारी भी निर्भर दिखते हैं। छात्रवृत्ति जैसी संवेदनशील प्रणाली में इस तरह का बाहरी प्रभाव प्रशासनिक ढांचे के लिए स्पष्ट खतरा माना जा रहा है।

सूरजपुर में छात्रवृत्ति घोटाला – नौ जिलों में जांच

सूरजपुर में इसी मॉडल की गड़बड़ी से छात्रवृत्ति घोटाला उजागर हुआ। जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी तक को निलंबन झेलना पड़ा। इसी तरह के मामलों पर प्रदेश के नौ जिलों में जांच जारी है। विशेषज्ञों के अनुसार, बिलासपुर की स्थिति इन जिलों से भी ज्यादा जोखिमपूर्ण है, क्योंकि यहां पिछले कई वर्षों से छात्रवृत्ति संचालन पूरी तरह एक निजी व्यक्ति के हाथों में है।

बिलासपर ‘अगला सूरजपुर बनने की कगार पर

अब बड़ा सवाल सामने है- क्या जिला प्रशासन इस पूरी व्यवस्था पर ध्यान देगा? क्या करोड़ों की छात्रवृत्ति का सिस्टम किसी निजी व्यक्ति के भरोसे चलता रहेगा? क्या समय रहते कार्रवाई न होने पर बिलासपुर भी सूरजपुर की तरह किसी बड़े घोटाले की गिरफ्त में आ सकता है?सूत्रों का दावा है कि आज यदि जांच शुरू हो जाए, तो विभाग के भीतर कई गंभीर अनियमितताएं उजागर हो सकती हैं-जो पूरे सिस्टम को हिला देंगी।