बिलासपुर /चक्करभाटा:- श्री झूलेलाल मंदिर झूलेलाल नगर चकरभाठा में विगत दिनों शहर के मशहूर सर्जन डॉक्टर रौनक कलवानी के द्वारा मोटिवेशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसमें लोगों को मोटिवेशन किया गया था ,
श्री झुलेलाल मंदिर में चालिहा महोत्सव के अवसर पर इसे लोगों ने खूब पसंद किया था उस मोटिवेशन कार्यक्रम में उन्होंने जीवन कैसे जिया जाए इसके बारे में बताया था और अपने खाद्यपन पर ध्यान दिया जाए लोगों की मांग पर फिर से उन्होंने उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए एक मोटिवेशन कार्यक्रम ओर किया कार्यक्रम की शुरूआत भगवान झूलेलाल जी के और बाबा गुरमुख दास जी के फोटो पर पुष्प अर्पण करके की गई रौनक ने बताया कि जीवन को अगर प्रकृति के अनुसार जिया जाए और वैसे चला जाए तो जीवन आपका खुशनुमा रहेगा और लंबी उम्र का राज भी यही रहेगा और कोई बीमारी भी नहीं पकड़ेगी अगर जीवन आप प्रकृति के विपरीत जिओगे तो बीमारियों का घर भी बनेगा दुख तकलीफ भी आएगी और उम्र छोटी भी हो जाएगी उन्होंने एक प्रसंग और के माध्यम से बताया कि आज से हजारों साल पहले आदि मानव इस पृथ्वी में रहते थे और वह स्वास्थ्य दो-200, 300 साल 400 साल जीते थे कैसे एक नियम पांच आदतें जो उनका पालन करते थे जैसे सूर्य की पहली किरण के साथ उठाना और उस समय जंगल बहुत थे हरियाली बहुत थी और वह उठकर ही बाहर घूमने जाते थे कोई भी पेड़ में चढ़ के फल फ्रूट तोड़ के जो मिलता था खाते थे कभी-कभी खेतों में खोद-खोद कर कांदा निकलते थे कखड़ी निकलती थी गाजर निकलती थी उसे खाते थे और अपना जीवन यापन करते थे और संध्या होते ही घर पहुंच कर सो जाते थे कहने का तात्पर्य यह है कि वह ☀दिन भर चलते थे मेहनत करते थे चलना भी एक मेहनत है 🌴पेड़ में चढना पेड़ 🌳से उतरना यह मेहनत का काम था जिसमें हाथ पांव बहुत चलते थे शरीर कि नशे फ्री रहते थी और प्रकृति के हवा के साथ ताजे फल फ्रूट भी खाते थे और नियम से आकर संध्या घर पहुंच कर सो जाते थे जिसका शरीर को भी बहुत आराम मिलता था

शरीर एक मशीन की तरह है जो अंदर की मशीन है उसे भी विश्राम मिलता था और जो वह फल फ्रूट खाते थे उसमें विटामिन ज्यादा रहते थे तो उसे अंदर में 💪शक्ति उत्पन्न ज्यादा होती थी और वेस्ट पदार्थ कम निकलते थे पर जैसे-जैसे समय बदलता गया आदि मानव से मानव हुआ मानव से इंसान हुआ और इंसान से अब डिजिटल युग में आ गए तो आज की लाइफ और पहले की लाइफ में बहुत सारा अंतर आ गया है जंगल समाप्ति की ओर हैं शुद्ध हवा मिल नहीं रही है न साफ पानी मिल रहा है और ना ही शुद्ध खाद्य पदार्थ अभी लोगों को मिल रहा है जगह-जगह प्रदूषण और बड़े-बड़े बिल्डिंग व मकान बनते गये हैं तो यह सब प्रकृति से खिलवाड़ का नतीजा है आपने कुछ समय पहले जम्मू कश्मीर हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों में देखा था किस तरह पहाड़ों में ऐसा जलजला आज तक किसने देखा भी नहीं था पानी का आया और पूरा गांव का गांव को तबाह करके चला गया क्योंकि वह प्रकृति से खिलवाड़ कर रहे थे तो प्रकृति ने अपना रुद्र रूप दिखाया इस तरह हम भी प्रकृति के विपरीत जा रहे हैं इसलिए आजकल कम उम्र में भी कई लोगों को बहुत सारी बीमारियां पकड़ रही है और अब 50 साल के अंदर ही उनकी मौत हो जा रही है इसका कारण यही है खानपान हमें एक तो अपने नियम का पालन करना है ☀सूर्य की पहली किरण के समय ही हमें उठाना है और सूर्य उदय के बाद हमें सोना है साथ में खाने का विशेष ध्यान रखना है खाना आप चावल खाये रोटी खाएं कोई फर्क नहीं पड़ेगा पर कितना खाएं इस पर ध्यान देना जरूरी है खाने खाने का जो आधार है वह हमें देखना है कि कितना हम लिमिट में खाएंगे उतनी ऊर्जा ज्यादा बनेगी और वेस्ट पद्धति कम निकलेगा जितना ज्यादा हम खाएंगे उतना हमें शरीर को नुकसान है क्योंकि जो ऊर्जा बनेगी ज्यादा कुछ ऊर्जा हमारे शरीर के काम करते हुए काम आती है लेकिन बाकी ऊर्जा जो बच जाती है उपयोग उसका बाहर न होकर अंदर में ही वह रह जाती है जिससे हमारे शरीर का वजन बढ़ता है चर्बी बढ़ती है और कई सारी बीमारियों का कारण बनता है और हमारी मांसपेशियां भी अब वैसा काम नहीं कर पाती हैं क्योंकि हम चलते बहुत कम हैं अब आदत पड़ गई है गाड़ियों की कार की घर में आदत पड़ गई है ऐसी की तो आप प्रकृति के हवा नहीं खाएंगे भोजन नहीं खाएगे पेंदल चलेंगे नहीं तो हाथ पांव को मूमेंट मिलेगा नहीं मोमेंट तो इसका विपरीत असर आपके शरीर पर ही पड़ेगा और वही आजकल हो रहा है पहले लोग कच्चा फल खा लेते थे अब वह जूस पीते हैं जूस पीने के लिए पूरे छिलके उतार दिए जाते हैं जूस मशीन में पीसते हैं तो इस वजह से आधा विटामिन तो आपका ऐसे निकल जाता है तो ताकत कैसे मिलेगी अगर हम थोड़ी सी सावधानी बरतनी होगी और दिनचर्या पर ध्यान देंगे तो लंबी उम्र और स्वस्थ शरीर पा सकते हैं जैसे हमारे ऋषि मुनि थे हमारे बड़े बुजुर्ग थे आज भी जो हमारे बड़े बुजुर्ग हैं वह 100 साल जु रहे हैं लेकिन जो युवा पीढ़ी है वह 50 पर ही समाप्त हो जा रही है इसका कारण यही है कि दिन चर्चा में अंतर होना प्रकृति के विपरीत जाना खाने में हरी सब्जियों का सलाद का उपयोग अधिक करें और टाइम टेबल का ध्यान रखें खाना जो स्वादिष्ट है वह शरीर को ताकत देगा जरूरी नहीं है जिस भोजन में विटामिन है भली व स्वाद न दें लेकिन शरीर को वह ताकत देंगे उन भोजन को हमें ध्यान देना है आजकल हम सवाद के लिए खाना खाते हैं ना कि शरीर के लिए खाना हमारे शरीर को बीमारियों से गिरता है ज्यादा मीठा खाना ज्यादा नमक खाना और मीट मशीन का उपयोग करना यह सब बीमारियों का घर है अगर आप चाहते हैं की बीमारियां न हो और लंबी आयु हो तो प्रकृति के साथ जीवन को जीना सीखें प्रकृति को अपनाकर जीवन जीए प्रकृति को उखाड़ कर या बर्बाद करके नहीं

कार्यक्रम के आखिर में सांई जी के द्वारा डॉक्टर साहब का सम्मान किया गया कार्यक्रम का सोशल मीडिया का माध्यम से लाइव प्रसारण किया गया घर बैठे हजार लोगों ने आज के इस मोटिवेशन कार्यक्रम को देखा वह लाभ लिया
डॉ रमेश कलवानी ने संत सांई लाल दास जी का आभार व्यक्त किया और कहा कि बड़ी खुशी की बात है की चालिहा महोत्सव पर लोगों को भक्ति का रस तो पीने को मिल रहा है साथ में मोटिवेशन करते हुए अपने घर परिवार को अपने शरीर को कैसे सुंदर बनाएं स्वस्थ बनाएं एक रहें मस्त रहें इसकी भी जानकारी आपको मिल रही है आखिर में आरती कर प्रार्थना किए गए पल्लव पाया गया प्रसाद वितरण किया गया आए हुए सभी भक्तों के लिए आम मंडरा का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्तों ने भंडारा ग्रहण किया आज के इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में बाबा गुरमुख दास सेवा समिति झूलेलाल महिला सखी सेवा ग्रुप के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा