विजय दुसेजा : इतिहास गवाह है जब जब सत्ता की लालच और कुर्सी की भूख ने , अहंकार, ने कई परीवारो को , कई शहरों को कई प्रदेशों को कई देशों को बर्बाद कर दिया है अधिकाल से यह सब चले आ रहा है चाहे वह त्रेता युग हो, चाहे द्वापर युग हो, चाहे अब कलयुग हो ,जब जब सत्ता या कुर्सी की बात आती है मन में एक अलग ही भाव उत्पन्न हो जाता है आजकल लोग सेवा कम और मेवा ज्यादा खाना चाहते हैं। पहले तो यह सारी बातें राजनीतिक में होती थी पर दुर्भाग्यवश, यह सारी बातें समाज में घुस गई है । पहले समाज मे आपसी प्यार ,एकता, अपनत्व, एक दूसरे के प्रति मान सम्मान जो रहता था उसमें कुछ स्वार्थी लोग जो समाज हित की बात नहीं सिर्फ अपने हित की बात सोचते हैं ऐसे लोगों के कारण समाज में भी राजनीति होने लगी है, जिसका नतीजा आप सभी देख रहे हैं समाज में आपसी मनमुटाव एवं बिखराव पैदा हो रहे हैं आपसी बिखराव,मनमुटाव के कारण समाज की एकता पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है। और आज इससे कोई अछूता नहीं रहा है। आज अपने व्यक्तिगत स्वार्थ लालच ने रिश्तो को तार-तार कर दिया। मैंने पहली बार ऐसा देखा है? जो मैंने आज तक नहीं देखा था एक छोटे से पद के लिए छोटी सी कुर्सी के लिए ऐसी गंदी राजनीति ऐसे गंदे शब्दों का उपयोग यह सब देख कर दिल बहुत दुखता है क्या हमारे पूर्वजों ने कभी ऐसा सोचा था कि उसके वंशज उनके जाने के बाद ऐसा करेंगे पैसा तो खूब कमाया , जिस के नशे में संस्कार भूल गए मान सम्मान भूल गए छोटे बड़ों का प्यार, अपनत्व तो भाईचारा भूल गए, एवं अपनी मर्यादाओं को भी भूल गए, पहले कहा जाता था पंच परमेश्वर है याने पंच को भगवान का रूप माना जाता था।
लेकिन जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो जनता क्या करे। इंसान खाली आता है खाली जाता है वह एक चीज अपने साथ ले जाता है वह लोगों का प्यार ,सम्मान , अपने संस्कारों एवं अच्छे कर्मों से की गई कमाई। किसी भी इंसान को इतना भी अहंकार घमंड नहीं करना चाहिए कि उसका वजूद ही खत्म हो जाए। इतिहास गवाह है जिस जिस ने अहकार किया है उसका सर्वनाश हुआ है। अहंकार ऐसा कीड़ा है वह इंसान को क्या बड़े-बड़े बड़ों को दीमक की तरह खोखला कर उसका सर्वनाश कर देता है अहंकार घमंड ने रावण जैसे महाज्ञानी एवं महाबली जिसे देवताओं का भी वर मिला हुआ था उनका भी अहंकार एवं घमंड के कारण ही सर्वनाश हुआ था। व्यक्ति के पास पद एवं पैसा आता है जाता है लेकिन अपना मान सम्मान प्रतिष्ठा अपने संस्कार को हमेशा संभाल कर एवं संज कर रखना चाहिए। अगर इस बात को हम समझ गए तो आने वाली पीढ़ी खुशहाल जिंदगी गुजार देगी वह हमें दुआएं देगी। अब फैसला आपको करना है सोच समझ कर करना है कि आगे क्या करना है?
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