लेखराज मोटवानी/इंदौर (म.प्र.) : सत्संग (संस्कृत सत् = सत्य, संग= संगति) का अर्थ भारतीय दर्शन में है (1) “परम सत्य” की संगति, (2) गुरु की संगति, या (3) व्यक्तियों की ऐसी सभा की संगति जो सत्य सुनती है, सत्य की बात करती है और सत्य को आत्मसात् करती है। सामान्य तौर पर यह समझा जाए की सही का साथ देना और सही लोगों का संग करना ही सत्संग है।
सिंधी समाज के संत स्वामी प्रीतमदास उदासीन की 18वीं पुण्यतिथि पर दो दिनी कार्यक्रम होंगे। गिरीश वाधवानी, बीडी कटारिया, त्रिलोक गुलानी ने बताया कि युवाओं में ऊर्जा, सेहतमंद जिंदगी, पैसे का सही इस्तेमाल और कई तरह की बीमारियों से बचाव के मुद्दे पर सेमिनार होगा। यह आयोजन 13 मई को रात नौ बजे से सिंधी कॉलोनी के प्रीतमदास सभागार पर रखा गया है। सेहत कैंप भी लगेगा। इससे पहले हनुमान चालीसा और भजन होंगे। रात साढ़े नौ बजे से संत भक्तिप्रिया के सत्संग- प्रवचन के बाद प्रसाद बांटा जाएगा। खंडवा रोड की समाधि पर 14 मई को सुबह ग्यारह बजे से सुखमनी साहिब का पाठ, आरती, अरदास और सत्संग-प्रवचन होंगे।