विजय दुसेजा/सम्पादकीय : जिस तरह राजनीतिक पार्टियां चुनावों में भगवान बजरंगबली के नाम का अपने-अपने पक्ष व विरोध में प्रचार कर रही थी व कर्नाटक के चुनाव में बहुत ही गर्म मुद्दा रहा जो नहीं होना चाहिए था चुनाव जनता के बीच में जाकर जो सामाजिक मुद्दे हैं जनहित के मुद्दे हैं जो राष्ट्रीय मुद्दे हैं उन्हें उठाकर लड़ना चाहिए ना कि भगवान के नाम पर भगवान किसी एक पार्टी का नहीं है भगवान सभी के हैं जो सच्चे मन से पूजा करेगा अर्चना करेगा उसे याद करेगा भगवान उनके हैं इतिहास को देखें या कोई भी धार्मिक ग्रंथ खोल कर पढ़ लीजिए जिसने भी सच्चे मन से तपस्या की है चाहे वह आम इंसान हो चाहे देव दानव हो भगवान ने सब को दर्शन दिए हैं सबको वरदान दिया है भगवान भी कहते हैं जो तपस्या करेगा भक्ति करेगा उसे फल मिलेगा।इंसान हो देव हो या दानव हो, यहां पर यह कहना कि यह भगवान मेरा है यह तेरा है, ना यह मेरा है न यह तेरा है, भगवान तो सब के है। चुनाव में हार जीत लगी रहती है पर जीत गए तो यह कहना कि बजरंगबली हमारे साथ है यह उचित नहीं है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत की वजह कई सारी हैं लोकल मुद्दे भी हैं व दक्षिण का राज्य है वहां पर उत्तर जैसी हवा नहीं चल सकती है वहाँ लोकल मुद्दे ज्यादा हावी रहते हैं और सबसे बड़ा मुद्दा जो था भ्रष्टाचार का था और वोटिंग भी उसी मुद्दे पर ज्यादा हुई है पार्टी कोई भी हो। अगर अच्छा कार्य करेगी जनता के हित के लिए कार्य करेगी तो वह सत्ता में दोबारा जरूर आएगी और दूसरी बात कर्नाटक में तीसरा विकल्प नहीं है भाजपा या कांग्रेश के अलावा इसलिए जनता बारी-बारी से दोनों पार्टियों को सत्ता सौंपती है। जेसे दिल्ली में आम आदमी पार्टी विकल्प बनकर उभरी पंजाब में उभरी जनता ने उन्हें सत्ता सौंपी ईस चुनाव में भी दूसरा विकल्प नहीं था तो वहां के मतदाता भी बारी-बारी से दोनों पार्टियों को सत्ता सोपते हैं। चुनाव में विजयी बनाते है। यूपी के नगर निगम चुनाव में देख लीजिए वहा पर भाजपा ने भारी विजय प्राप्त की है। भगवान को अपने नाम के लिए इस्तेमाल न करें सत्ता के लिए न करें जनता के भलाई के लिए कार्य करें सत्ता आपके पास खुद आ जाएगी जनता खुद आपको देगी। अगर बजरंगबली को पाना है तो राम भक्त बनो। बजरंगबली खुद आपके पास आ जाएंगे दर्शन देंगे। सिर्फ चिल्लाने से कहने से कुछ नहीं होगा करने से होगा अभी नवंबर दिसंबर में और कई प्रदेशों में चुनाव होंगे इनमें प्रमुख तीन प्रदेश है छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश राजस्थान अगर भाजपा वहां पर जीत जाती है तो क्या आप कहेंगे कि बजरंगबली भाजपा के साथ हो गए। जो सरकारें अच्छा कार्य करेगी जनता के हित में कार्य करेगी जनता उन्हें खुद सत्ता में भेजेगी इसलिए जनता के लिए सोचे जनता के लिए कार्य करें तभी सत्ता दोबारा मिल सकती है।