बिलासपुर : बच्चे मन के सच्चे होते है, उन्हें जैसा सिखाया जाता है वैसा ही वे सीख कर जीवन में उसका अनुसरण करते है। उक्त बातें बीके लता दीदी ने समर कैंप के समापन सत्र में उपस्थित बच्चो एवम अभिभावक से कहा। उन्होंने कहा की मनुष्य का बालय काल सीखने की अवस्था होती है, इस काल में सीखी कला हमे जीवन भर मदद देती है। ठीक ऐसे ही परमपिता शिव जो की हमारे माता पिता एवम शिक्षक है अभी हमे भी राजयोग के माध्यम से जीवन जीने की कला सीखा रहे है। राजयोग की शिक्षा मनुष्य के जीवन में प्रगति लाती है इसलिए इसे केवल बच्चे ही नही अपितु हर किसी को सीखना चाहिए। राजयोग मानव के जीवन में नैतिक मूल्यों के साथ आध्यात्मिक मूल्य भी लेकर आती है इसलिए हर किसी को यह राजयोग प्राप्त करना चाहिए जो की निशुल्क होता है। कार्यकम में 5 वर्ष का आर्यन उभरनी भी उपस्थित हुवा जिसे वंडर बॉय के नाम से जाना जा रहा है। आर्यन ने 89 का पहाड़ा सुनाया साथ साथ दुनिया जहान के देश एवम उनके राजधानी बताया जिससे उपस्थित सभी बेहद आश्चर्य चकित हुवे। बच्चे भी काफी प्रभावित हुवे। बेहतर प्रदर्शन करने वाले छात्रों को सम्मानित किया गया।
बीके उमा दीदी ने सभी को मेडिटेशन करवाया और उसके प्रभाव वा लाभ बताए। ग्रीष्मकालीन समर कैंप में छात्रों को डांस, म्यूजिक, योगा, सड़क सुरक्षा, चित्रकला व मुख्यतः मेडिटेशन के बारे में जानकारी दी गई। इसके साथ ही बच्चो से पर्यावरण और नैतिक मूल्यों के चित्रकला पर अपने विचार रखने को कहा गया। कार्यकम के मुख्य अतिथि शहर के समाज सेवी नारायण उभरनी जी ने कहा कि समर कैंप के माध्यम से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। बच्चो के लिए यह ऐसा समय है जो अमूल्य है, खेल खेल में सीख मिल जाती है। उन्होंने कहा कि समय के अर्थ को समझना चाहिए और अपने अमूल्य समय को व्यर्थ करने के स्थान पर अथक परिश्रम करना चाहिए। इस दौरान बेहतर प्रदर्शन करने वाले बच्चो को सम्मानित किया गया एवम् सभी को सांत्वना पुरुस्कृत किया गया। समरकैंप में पहुंचे अभिभावकों ने भी अपने विचार को व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन बीके आरती बहन ने किया। इस अवसर पर संस्था के बीके पूजा, बीके मुनीता, बीके आशा, बीके रानी, विमला उभरानी, बीके अमिता हलदार समेत अन्य मौजूद रहे।