धूमधाम से मना वर्सी महोत्सव। सारी सृष्टि, सारी प्रकृति और सर्व सिद्धियाँ ब्रह्मज्ञानी सन्तो की दासियां – स्वामी हंसदास।

लेखराज मोटवानी/रीवा (मप्र) : प्रभु-परमात्मा के प्यारे, जो संतजन हैं, सारी सृष्टि, सारी प्रकृति और ऋद्धियाँ-सिद्धियाँ दासी बनकर उनकी सेवा में तत्पर रहती हैं। हिसक से हिंसक प्राणी भी उनके आगे नतमस्तक हो जाते हैं, और उनकी आज्ञा का अक्षरशः पालन करते हैं। महान संत पुरुषों के जीवन दर्शन में ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं। पूर्ण ब्रहमज्ञानी महापुरुष स्वामी होतूराम साहिब जी के यहां एक 5-6 साल का बालक दौड़ता – दौड़ता आया। वह बहुत डरा हुआ था। आते ही कहने लगा- बाबाजी-बाबाजी मेरी दुकान की छत से एक भयानक काला सर्प लटक रहा है। मेरे पिताजी मुझे दुकान पर बैठाकर खुद घर गए है। मुझे बहुत डर लग रहा है, इसीलिये मैं आपके पास आया हूँ। बाबाजी ने चावल के कुछ दाने देते हुए कहा- बेटा! डरो मत। उस सर्प से जाकर कहो- जाओ तुम्हें बाबा ने बुलाया है। और ये चावल के दाने उसके ऊपर छिड़क देना। डरते-डरते बालक वापस आया। चावल के दाने छिड़क कर सांप को बाबाजी की आज्ञा सुना दी।

सुनते ही सांप नीचे उतरा और सीधे आश्रम में आकर बाबा होतूराम साहब जी के चरणों के पास आकर आज्ञाकारी शिष्य की तरह बैठ गया। बाबाजी ने कहा- आज से तुम इसी आश्रम में रहना और किसी को भी तंग मत करना। वो सर्प कई वर्षों तक आश्रम में दिखता रहा, पर उसके द्वारा हुई कोई भी अप्रिय घटना सुनने में नहीं आई। बालक से वृद्ध हुआ बाबाजी का वो भक्त जीवन-पर्यंत अपने जीवन की अविस्मरणीय घटना और गुरु महिमा बड़े प्रेम से सुनाता रहा। उक्त उद्गार श्री सद्गुरुदेव स्वामी होतूराम साहिब जी के पावन पुण्यतिथि दिवस पर चिरहुला कॉलोनी में स्थापित श्री सच खंड धाम उदासीन सनातन मन्दिर में आयोजित कार्यक्रम में पूज्य स्वामी हंसदास और स्वामी सरूपदास उदासी जी ने सत्संग प्रवचन के दौरान व्यक्त किये। वर्सी महोत्सव के उपलक्ष्य में श्री गुरु सिद्धांत सागर ग्रन्थ साहिब की पवित्र वाणी का भोग साहिब सम्पन्न हुआ। मधुर भजनों और सारगर्भित प्रवचनों के माध्यम से उपस्थित भक्त मण्डल ने पूज्य गुरुदेव जी का स्मरण कर सदैव-सर्वत्र मंगलमय वातावरण की कामना करते हुए उनके पावन श्री-चरणों मे कोटि-कोटि नमन-वन्दन अर्पित किया।

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इस अवसर पर पूज्य सेंट्रल पंचायत के अध्यक्ष दादा प्रह्लाद सिंह जी 75वां जन्मदिवस भी धूमधाम से मनाया गया। केक का भोग लगाकर शाल श्रीफल प्रदान कर आश्रम की तरफ से उनके सुखी और स्वस्थ जीवन की शुभाशीष प्रदान की गई। आरती, पल्लव (प्रार्थना) और भण्डारा प्रसाद वितरण के पश्चात कार्यक्रम का अत्यंत सुखद समापन हुआ। कार्यक्रम में मुख्य रूप से श्री सन्तधाम के भाई कृपालदास जी, सर्वश्री सरदार प्रह्लाद सिंह, रमेश कुंजवानी, राजकुमार टिलवानी, महेश ठारवानी, अशोक रोहड़ा, अशोक मन्जानी “पप्पू”, शंकर सहानी, सुरेश पंजवानी “पप्पन”, श्रीचन्द्र कोटवानी, नरेश काली, प्रकाश खिलवानी, अशोक बजाज, सचिन डुडानी, गुलाब सहानी, लेखराज मोटवानी, मुकेश ठारवानी, किशोर ठारवानी, राम नारवानी, हरीश वाधवानी, महेश हिरवानी, गोपाल मन्जानी, घनश्याम आहूजा सहित सैकड़ों की संख्या में महिलाएं एवं पुरूष समिल्लित हुए।