लेखराज मोटवानी/रायपुर : भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आस्था का केंद्र सनातन संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक पूज्य शदाणी दरबार तीर्थ (315 वर्ष प्राचीन) रायपुर के बोरिया कला में स्थित, यह प्रमुख दरबार है, इस दरबार में इस समय अवतरण महोत्सव की धूम है, क्योंकि शदाणी दरबार के संस्थापक संत श्री शदाराम साहिब जी, सातवें पीठाधीश्वर संत श्री राजाराम साहब जी व आठवें पीठाधीश्वर संत श्री गोविंद राम साहब जी का अवतरण महोत्सव दिनांक 25, 26 व 27 अक्टूबर को बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर देश व विदेश में स्थित शदाणी दरबारों के माध्यम से अनेक प्रकार के सेवा कार्य किए जा रहे हैं, जिसमें मुख्य रूप से अन्न वस्त्र वितरण, प्रसाद वितरण व मेडिकल कैंप आदि सेवा कार्य किये जा रहे हैं। शदाणी दरबार तीर्थ आध्यात्मिक तथा सामाजिक सेवा के कार्यों का अनुपम केंद्र है।
25 अक्टूबर शुक्ल पक्ष एकादशी को शदाणी संत परंपरा के सातवें पीठाधीश्वर संत श्री राजाराम साहब तथा आठवें पीठाधीश्वर संत श्री गोविंद राम साहब जी के अवतरण दिवस पर प्रातः संत राजाराम चौक पर प्रातः कालीन भजन कीर्तन सत्संग व संत प्रवचन के साथ प्रोग्राम का शुभारंभ हुआ नगर में अनेक स्थानों पर प्रसाद वितरण किया गया ।भंडारे के पश्चात् संत श्री गोविंदराम साहिब जी की समाधि पर छप्पन भोगों के साथ पंचामृत स्नान के साथ पूजा अर्चना की गई। मंचीय प्रोग्राम का शुभारंभ गोधूली बेला में किया गया, जिसमें प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ी भजन संध्या जिसमें लोक कलाकारों राजेश अवस्थी, विक्रांत सुरेशे, ह्यूमन साहू, किरण शर्मा एवं श्री अमित चिमनी ने विशाल जनसमूह को अपने सुरीले भजनों के माध्यम से मंत्र मुग्ध कर आत्मिक आनंद दिया। मंच की शोभा बढ़ा रहे संत महात्माओं में श्री सुदर्शनाचार्य जी (अलवर राजस्थान), श्री राजीव लोचन जी महाराज( छत्तीसगढ़), दीदी पुष्पांजलि( छत्तीसगढ़ ) तथा श्री भूपेंद्र भाई पंड्या ( मुंबई )एवं शदाणी दरबार के नवम् पीठाधीश्वर डॉक्टर संत श्री युधिष्ठिर लाल जी महाराज संतो के दर्शन, प्रवचन व भजन संध्या का मिश्रित आनंद श्रोताओं को अल्हादित् करता रहा, उपस्थित विशाल जनसमूह में तत्पश्चात् अन्न -वस्त्र वितरण किया गया। महाआरती के साथ नए सिरे से मंचीय प्रोग्राम प्रारंभ हुआ जिसमें मुख्य रूप से सांस्कृतिक प्रोग्राम शदाणी नगर वासी भक्तों द्वारा प्रस्तुत किया गया।
छात्र-छात्राओं में सनातन संस्कृति की समझ विकसित हो और उनका रुझान इस दिशा में बढ़े , इस उद्देश्य के साथ ही गूढ़ आध्यात्मिक विषयों को सरलता के साथ भक्तों के हृदय में अंकित किया जा सके ऐसी नवम् पीठाधीश्वर जी की भावना रहती है।
संत राजा राम साहब जी की माता जी को स्वप्न में शिव दर्शन हुए एवं बालक राजा राम जी का जन्म हुआ। जन्म के अवसर पर उपस्थित पंडित (ज्योतिष ) जी ने उनके चरणों में पद्म दर्शन कर उनके महान व्यक्तित्व की घोषणा की। कनखल हरिद्वार में संस्कृत की शिक्षा प्राप्त करने के दौरान उनकी विलक्षण प्रतिभा से प्रसन्न होकर हरिद्वार के आश्रम के महंत ने उन्हें संपूर्ण आश्रम सौंपना चाहा, लेकिन संत जी ने बड़ी विनम्रता से अपने को सिंध स्थित शदाणी दरबार की अमानत बताया और मना कर दिया। उन्हें करुणा मूर्ति करुणा के सागर के रूप में याद किया जाता है।
आठवें पीठाधीश्वर दया के सागर संत गोबिंद राम साहिब जी ने वर्तमान् में रायपुर स्थित भव्य शदाणी दरबार तीर्थ का निर्माण करवाया। सिंध पाकिस्तान स्थित हिंदुओं को सनातन से जोड़े रखने के लिए पाकिस्तान तथा हिंदुस्तान की सरकारों के मध्य जत्थों के आदान-प्रदान के लिए प्रयास कर एग्रीमेंट करवाया। अद्भुत प्रतिभा के धनी संत जी बचपन से ही भक्तों का कल्याण करते थे उनके पास आने वाले खाली हाथ नहीं जाते थे। शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि 27 अक्टूबर शुक्रवार शदाणी दरबार के संस्थापक संत श्री शदाराम साहिब जी के अवतरण के अवसर पर अनेक सेवा कार्यों के साथ भजन,कीर्तन, भंडारा और महा मंडलेश्वर संतो के प्रवचन जिसमें मुख्य रूप से श्री जितेंद्र नाथ जी एवं श्री भूपेश भाई पंड्या जी मानव मात्र के कल्याण हेतु अपने प्रवचनों का अमृत पान श्रद्धालुओं को कराएंगे।