सिन्धी समाज में आक्रोश, भाजपा व कांग्रेस दोनों राष्ट्रीय पार्टीयों ने किया निराश

2023 के विधानसभा चुनाव में दोनों राष्ट्रीय पार्टीयों भाजपा व कांग्रेस ने सिंधी समाज को किया निराश
छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीट हैं जिनमें से लगभग हर समाज को दोनों पार्टियों ने टिकट दी है परन्तु सिंधी समाज को इस विधानसभा चुनाव में एक भी टिकट दोनों पार्टियों से नहीं मिली है जिससे सिंधी समाज में निराशा भी है वह आक्रोश भी है कम से कम छ.ग विधान सभा के 15 सीटों पर सिंधी समाज के मतदातओं का जबरदस्त प्रभाव है जिनमें कम से कम पांच/सात सीटें ऐसी हैं जिनमे सिंधी समाज किसी भी उम्मीदवार की हार और जीत का कारण बन सकता है
दोनों पार्टियों ने सिंधी समाज को सिर्फ अपना वोट बैंक समझा है भाजपा सोचती है कि सिंधी समाज हमारा वोट बैंक है वह कहां जाएगा‌
कांग्रेस सोचती है कि भाजपा का वोट बैंक है हमारा तो है नहीं तो हम क्यों ज्यादा प्रतिनिधित्व दें पर इन दोनों पार्टियों ने जो किया है इसका खामियांजा तो विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है क्योंकि इसका फायदा आम आदमी पार्टी, या मजबूत निर्दलीय प्रत्याशी उठा लेंगे ऐसा हो सकता है ?

सबसे ज्यादा विरोध अभी रायपुर में चल रहा है और बाकी शहरों में अंदर ही अंदर विरोध के स्वर उभर रहे हैं।
अब आगे देखना दिलचस्प होगा कि दोनों पार्टियां इस मुद्दे को कैसे मैनेज करती हैं ?
और कैसे सिन्धी समाज के लोगों को समझाती हैं एवं अपनी ओर आकर्षित करती हैं ‌।
एवं दोनों पार्टीयों के उम्मीदवार कैसे इस समस्या का समाधान निकालते हैं। यह तो वक्त ही बताएगा की सिंधी समाज का वोट किसके पास जाएगा यां वह अपने समाज के उम्मीदवार खड़ा करेगा यां निर्दलीय एव अन्य किसी पार्टी को सपोर्ट करेगा जिसमे जोगी कांग्रेस, आम आदमी पार्टी ,प्रमुख हैं यां किसी निर्दलीय को सपोर्ट करेगा यह सारे सवाल 1 तारीख के बाद पता चल जाएंगे कुछ पत्ते खुलेंगे कुछ बंद दरवाजे के अंदर रहेंगे पर होगा तो जरूर कुछ ना कुछ क्या होगा यह तो वक्त ही बताएगा पर दोनों पार्टियों ने मध्यप्रदेश में तो सिन्धी समाज को कांग्रेस तीन को ओर भाजपा ने दो टिकट दि टोटल
पांच टिकट दी परन्तु छत्तीसगढ़ में एक भी टिकट दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने सिन्धी समाज को नहीं दी। ऐसा क्यों हुआ यह अचंभित करने वाली बात है।
राजनीतिक वक्त के किस दिशा पर बैठीगी है यह तो समय बताएगा दोनों पार्टियों के राष्ट्रीय नेता क्या करते हैं और प्रदेश के नेता क्या सोचते हैं यह दो-चार दिन में समझ में आ जाएगा अगर सिंधी समाज के वोट इन दोनों पार्टी को नहीं मिलेगा उसका खामियांजा किस पार्टी को ज्यादा नुकसान पड़ेगा यह तो वक्त ही बताएगा?
कांग्रेस इस सोच में है कि ज्यादा नुकसान भाजपा को होगा? यह कॉन्फिडेंस कहीं कांग्रेस को भारी न पड़ जाए!
समाज के मुखिया और समाज के लोग अंदर ही अंदर बैठेको का दौर चल रहा है शह एवं मात का खेल भी जारी है।
भाजपा द्वारा समाज को टिकट नहीं दिए जाने का फायदा कांग्रेस चाहती तो उसका भरपूर फायदा उठा सकती थी अगर वह समाज के कम से कम दो व्यक्तियों को टिकट दे देती तो इसका फायदा उसे पूरे छत्तीसगढ़ के अलावा भी अन्य प्रदेशों में भी होता

परंतु ऐसा नहीं हुआ अब तो समय ही बताएगा कि सिन्धी समाज का वोट कहां जाएगा ?
परंतु यह तो सच है कि सिंधी समाज के वोटो के इस गड्ढे को दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के लिए पाटना आसान नहीं है जितना इनको दोनों पार्टी को लग रहा है क्योंकि एक सिंधी अकेला एक वोट नहीं है बल्कि उसके साथ चार वोट और जुड़े होते हैं!
सिन्धी समाज में अधिकांश व्यापारी वर्ग है।
वह अपने बलबूते पर वोटो को इधर से उधर कर सकता है इतनी क्षमता रखता है चार लोगों को रोजगार दे सकता है तो चार लोगों के वोट भी इधर से उधर पलटी कर सकता है इस बात को ही दोनों पार्टियां भूल चुकी हैं और उसका खामियाजा इन्हें भुगतना भी पड़ेगा? समय बलवान है अगर दोनों पार्टी अपनी गलती सुधार कर दे और उसे एक दो सीटों पर उम्मीदवार चेंज कर दे और समाज को प्रतिनिधि दे दे तो उसका फायदा दोनों पार्टी को हो सकता है पर क्या ऐसा होगा यह सोचने वाली बात है??