स्वर्गीय माता दुर्गा देवी सिदारा के आत्मा के शांति के लिएअखंड पाठ साहब हुआ आरंभ

स्वर्गीय पूज्यनीय मां दुर्गा देवी सिदारा जी के आत्मा की शांति के लिए व्यापार विहार स्थित उनके निवास स्थान मे उनके सुपुत्रों हरगुन दास सिंदारा ,लव सिदारा सुरेश कुमार सिदारा, एवं सिदारा परिवार के द्वारा
परम पूजनीय माता जी के आत्मा के शांति के लिए श्रद्धा पूर्वक अखंड पाठ साहब का आयोजन किया गया।
जिसका प्रारंभ भाई वरियाराम दरबार के भाई साहब अमरलाल वाधवानी के सानिध्य में उनके द्वारा विधि विधान के साथ पाठ साहब प्रारंभ किया इस
अवसर पर बाबा आनंद राम दरबार के सेवादार भाई गोपी हीरवानी के द्वारा सत्संग कीर्तन के माध्यम से उन्होंने फरमाया कि इंसान को अपने गुरु के बताए हुए मार्ग पर चलना चाहिए वह गुरु के दिखाए हुए राह पर देखना चाहिए वह सत्संग में बताए हुए एक-एक बातों पर अमल करना चाहिए जब भी समय मिले एक सप्ताह में 15 दिन में महीने में गुरु के घर जरूर जाना चाहिए गुरु के दरबार जरूर जाना चाहिए और जो नहीं जा पाते हैं किसी कारण वश वह अपने घर में ही बैठकर नाम का सिमरन जरूर करें अगर कोई अपना दुखी है परेशान है तकलीफ में है तो उससे मिलकर उसके दुख तकलीफ को दूर करें अगर भगवान ने हमें कुछ दिया है

ओर पैसा ज्यादा कमाया है तो उसका सदुपयोग करें अगर कोई मित्र भी परेशानी में है तो उसकी भी मदद करें आज के समय में घर तो बहुत बन गए पर संपूर्ण घर एक दो ही हैं अर्थात सिर्फ मिट्टी से ही बने मकान को घर नहीं कहते हैं बल्कि उसमें रहने वाले इंसान एक दूसरे से प्रेम करें प्यार करें सबका देखभाल करें उसे घर कहते हैं पर आजकल तो एक ही घर में चार-चार घर बन गए हैं बाप अलग रह रहा है बेटा अलग रह रहा है तो पोता अलग रह रहा है कोई पड़ोस में रह रहा है तो कोई दूसरे मोहल्ले में रह रहा है इससे प्रेम कम हो रहा है दूरियां बढ़ रही हैं इन दूरियों को कम करने के लिए प्रेम को बढ़ाने के लिए जरूरी है कि हम सब किसी न किसी तीज त्यौहार में मिलते रहे व एक साथ त्यौहार मनाए या चंद्र के दिन कार्यक्रम का आयोजन करें और सब मिलकर उसे मनाए वह मिल बैठकर खाना खाएं जिससे छोटे से लेकर बड़े तक का प्रेम बना रहेगा वह एक दूसरे को दुख तकलीफ बता सकते हैं बांट सकते हैं

कीर्तन आरती पश्चात परमपिता परमात्मा से श्रद्धेय माताजी स्व: श्रीमती दुर्गा देवी के दिव्य आत्मा को, अपने श्री चरणों में स्थान बक्शने बैकुंठ वास देने एवं समस्त सिदारा परिवार को इस असिम दुख को सहने की शक्ति प्रदान कर करने के लिए अरदास की गई।
पश्चात प्रसाद वितरण किया गया
इस अवसर पर सिदारा परिवार, नाते रिश्तेदार भारी संख्या में उपस्थित रहे।