जैसे ही दिवाली गुजर गई अब चुनाव की घड़ी नजदीक आ गई 2 दिन बाद ही चुनाव होगा दोनों पार्टियों खासकर उनके प्रत्याशी टेंशन में है की
ऊंट किस करवट बैठेगा जनता किसे अपना वोट देकर विधानसभा भेजेगी सभी अपना अपना गणित लगा रहे हैं पर इन सब में जो चर्चा हो रही है वह सिंधी समाज की क्योंकि विगत 2018 में सिंधी समाज ने ही भाजपा का साथ छोड़ा था जिसके कारण कांग्रेस के उम्मीदवार शैलेश पांडे ने विजय प्राप्त की थी इसलिए इस बार ना वैसे कोई बदलाव की लहर है ना वैसे कोई चर्चा है सभी समाज व जनता शांत है पर दोनों प्रत्याशी सभी समाज के लोगों से मिल रहे हैं खासकर सिंधी समाज से युवाओं से भी बैठक की बड़ों से भी भेंट की मुखिया से भी भेंट की और समाज के लोग भी दोनों प्रत्याशी को बराबर सम्मान दे रहे हैं पर कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ ऐसी बातें जरूर है जो सामने दिखाई नहीं दे रही है पर अंडर खाने बहुत कुछ बदलने वाली है क्या इस बार भी सिंधी समाज कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग करेगा या इतिहास दोहराएगा भाजपा के पक्ष में वोट करेगा कितना पर्सेंट भाजपा में जाएगा कितना परसेंट कांग्रेस में जाएगा यह तो समय ही बताएगा पर दबी जुबान से यह बात जरूर कहीं जा रही है भाजपा में कहीं ना कहीं अभी भी असमर्थ की स्थिति है उन्हें एक डर है कि समाज के लोग पिछली बार की तरह इस बार कहीं कांग्रेस पार्टी के पक्ष में न झुक जाए पिछली बार बदलाव की लहर थी सभी एक तरफ झुक गए थे और विरोध भी था पर कांग्रेस के प्रत्याशी शैलेश पांडे ने कोई भी ऐसा कार्य नहीं किया है जिससे विरोध हो बल्कि उन्होंने तो बेहतरीन कार्य किया है अच्छा कार्य किया है विकास के लिए सड़क से लेकर दिल्ली तक लड़ाई लड़ी है अपनी पार्टी से भी लड़े हैं बिलासपुर के विकास के लिए बिलासपुर के हक के लिए उन्होंने काम करके दिखाया भी है अपनी मेहनत ईमानदारी मिलनसार से अपना एक अलग स्थान बिलासपुर की जनता के दिलो में बनाया है उनके खिलाफ कोई भी आरोप नहीं लग सकता है कि उन्होंने काम नहीं किया है जनता के बीच में रहकर जनता के साथ मिलकर विकास के कार्य को आगे बढ़ाया है जनता के हर सुख-दुख में साथ रहे हैं यही बात भाजपा को खटक रही है की कहीँ पासा उल्टा ना पड़ जाए इसीलिए वह मोदी के नाम पर वोट मांग रही है समाज के ही तीन निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव लड़ रहे हैं पर उनका अस्तित्व न के बराबर है वह ज्यादा वोट नहीं काट पाएंगे जो लड़ाई है भाजपा व कांग्रेस के बिच में है और एक सिंधी चार वोट की ताकत रखता है इसलिए इस समाज को कम आंका नहीं जा सकता है
और यह गलती 2018 में भाजपा कर चुकी हैं ओर ईस लिए अब भाजपा दोबारा गलती नहीं करेगी
खास कर उनकी नजर सिंधी समाज और उनके वोटरों पर ज्यादा है
क्योंकि इस समाज का वोट एक साथ किसी भी पार्टी के पक्ष में डलते हैं
इन दो दिनों में क्या बदलाव होगा यह तो समय ही बताएगा पर ऐसा लगता है बहुत कुछ होने वाला है जैसे तूफान आने से पहले शांत रहता है इस तरह चुनाव के दो दिन पूर्व यह शांत वाला माहौल अब कुछ गर्मी पैदा करेगा
और सिंधी समाज का वोट जिस पार्टी के उम्मीदवार को मिलेगा वही बाजी मारेगा चुनाव में विजय श्री उसे ही प्राप्त होगी