श्री झूलेलाल मंदिर का 47 वां स्थापना दिवस झूलेलाल नगर चक्कर भाटा में बड़े ही धूमधाम के साथ संपन्न हुआ

श्री झूलेलाल मंदिर का 47 वां स्थापना दिवस झूलेलाल नगर चक्कर भाटा में बड़े ही धूमधाम के साथ संपन्न हुआ
दो दिवसीय इस आयोजन में संत महात्माओं ने पहुंचकर अपने दर्शन देकर साध संगत को निहाल किया कार्यक्रम की शुरुआत प्रथम दिन 14 नवंबर को 12:00 बजे भगवान झूलेलाल एवं बाबा गुरमुख दास जी की मूर्ति पर पुष्प अर्पण कर पूज्य बहराणा साहब की अखंड ज्योत प्रजवलित करके की गई इस अवसर पर देवपुरी दरबार रायपुर से चोले वाली अम्मा पूज्य मीरा देवी साहिबा जी विशेष रूप से मंदिर पहुंची अपने रूहानी दर्शन देकर साध संगत को निहाल किया इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित सभी भक्तजनों को दीपावली व मंदिर स्थापना दिवस की बहुत-बहुत बधाइयां और शुभकामनाएं दी अपनी अमृत वाणी में सत्संग कीर्तन कर भक्तों को निहाल किया 2:00 बजे आम भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या भक्तजनों ने भंडारा ग्रहण किया वह प्रसाद वितरण किया गया
शाम 4:00 बजे बहराणा साहब को डोल बाजे के साथ मंदिर से निकलकर तलाब ले गये विधि विधान के साथ सांई जी के द्वारा विसर्जन किया गया अखंड ज्योत को तराया गया

15 नवंबर को दोपहर 12 से 2:00 बजे तक झूलेलाल म्यूजिकल पार्टी कटनी के आकाश वह रवि रुपवानी के द्वारा भक्ति भरे भजनों की शानदार प्रस्तुति दी गई जिसे सुनकर उपस्थित भक्तजन झूम उठे इस अवसर पर वरुण साइ जी ने भी भक्ति भरे भजन गए दोपहर 3:00 बजे संत लाल सांई जी के द्वारा अपनी अमृतवाणी में साध संगत को मंदिर स्थापना एवं दीपावली की बधाइयां व शुभकामनाएं दी सत्संग में सांई जी ने एक प्रसंग सुनाया एक गांव रामपुर में एक परिवार रहता था रामू और उसकी पत्नी सुनीता दोनों सुखी रहते थे पर पत्नी पूजा पाठ में विश्वास करती थी वह संतों के संग में रहना सत्संग सुनना उससे बहुत अच्छा लगता था शादी से पूर्व भी वह मंदिर जाना पूजा पाठ करना उसके दिन चर्चा में था पर शादी के बाद पति को यह सब पसंद नहीं था उसने कहा यहां रहना है तो सत्संग कीर्तन मत जाना चुपचाप घर का काम धाम करना पर सुनीता को यह सब पसंद नहीं था सत्संग कीर्तन में ही उसे आनंद आता था पर पति की आज्ञा को मानकर घर को बैठ गई और से हां कह दिया कुछ दिन बाद जैसे ही पति काम में जाते तो सुनिता घर का काम करके तुरंत सत्संग सुनने चली जाती वह संत से नाम दान भी ले लिया वह घर में अकेले समय पर नाम का सिमरन करती पूजा अर्चना करती समय बितता गया एक दिन उसका पति दूसरे शहर गया समान खरीदारी के लिए तो सुनिता सत्संग कीर्तन में चली गई कुछ समय बाद उसे फोन आया कि आपके पति को हाथ अटैक आया है वह उनकी मृत्यु हो गई है आकर अपने पति का शव ले जाए सुनीता सत्संग से उठी संत को प्रणाम कर के
चल पड़ी रामपुर से बस पकड़ कर रानी गांव जो रामपुर से 10 से 12 घंटे की दूरी पर था वहां से अपने पति को शव को एंबुलेंस में भरकर बैठकर अपने गांव के लिए निकली पति के सर को अपने गोद में रखकर नाम का सिमरन करने लगी 5-6 घंटे के बाद अचानक उसकी आंख लग गई उसने एक सपना देखा की स्वर्ग से चार देवदूत जमीन पर उतर रहे हैं

वह उसकी पति के आत्मा को अपने साथ ले जा रहे हैं जिसमें एक देवदूत ने कहा तू इतना पापी है कि तुझे तो नर्क में जगह नहीं मिलनी चाहिए पर तेरी पत्नी के पुण्य के कारण तुझे स्वर्ग लेकर जा रहे हैं इतना सपना देखने के बाद उसकी आंख खुल गई और वह हैरान हो गई और मन ही मन अपने प्रभु को अपने संत को याद करने लगी और उन्हें धन्यवाद कहने लगी कि मुझ जैसी अभागिन पर भी आपने इतनी कृपा की की मेरे पति को अपने चरणों में स्थान दिया इस प्रसंग का तात्पर्य है कि जब तक भगवान की कृपा नहीं होती है तब तक संत महात्माओं का संघ भी आपको नहीं मिलता है जब उसकी कृपा होती है तभी आपको सत्संग का लाभ मिलता है संत महात्मा के दर्शन होते हैं तो उसे भगवान की कृपा को यूं ही व्यर्थ बर्बाद ना करें चोरासी लाख योनियों के बाद यह मानव जीवन मिला है सिर्फ खाना खाने के लिए अच्छे कपड़े पहनने के लिए मोबाइल चलाने के लिए टीवी देखने के लिए और पैसा कमाने के लिए नहीं मिला है बल्कि सत्य कर्म करने के लिए भक्ति सिमरन करने के लिए भी मिला है अंत समय में सब कुछ नहीं छोड़ कर जाना है यह नाम की कमाई ही आपको स्वर्ग तक पहुंचाएगी यह धन दौलत आपको नर्क में भी नहीं ले जाएगी

पैसा कमाए पर उसका दुरुपयोग ना करें अहंकार ना करें अहंकार बड़े से बड़े ज्ञानी का भी अंत कर देती है फिर आप तो एक मानव हो इसीलिए हमेशा प्रभु का शुकराना करें और अपने इष्ट देव को ना भूले इसमें आपके परिवार का भला है कार्यक्रम के आखिर में आरती की गई प्रार्थना की गई पल्लो पाया गया प्रसाद वितरण किया गया आए हुए सभी भक्त जनों के लिए आम भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या मे लोगों ने भंडारा ग्रहण किया आज के इस दो दिवसीय आयोजन में बड़ी संख्या में भक्तजन शामिल होने के लिए बिलासपुर चकरभाटा बिल्हा कोरबा रायगढ़ मुंगेली तखतपुर भाटापारा तिल्दा दुर्ग गोंदिया व अन्य कई शहरों से पहुंचे थे इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में बाबा गुरमुख दास सेवा समिति श्री झूलेलाल महिला सखी सेवा ग्रुप के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा