रामा वैली में चंद्र दिवस के अवसर पर एक शाम झूलेलाल के नामदिल में हो खुशी तो चेहरे पर रंग आ ही जाता है संतों का संग मिले तो जीवन संवर जाता है,,, संत सांई कृष्ण दास

पूज्य सिंधी पंचायत रामा वैली व आशीर्वाद वैली के द्वारा चंद्र महोत्सव के 1 वर्ष पूर्ण होने पर एक शाम भगवान झूलेलाल के नाम सत्संग कीर्तन भजन का आयोजन किया गया बाबा आनंद राम दरबार के संत सांई कृष्ण दास जी के द्वारा सत्संग कीर्तन कर साध संगत को निहाल किया गया सांई कृष्ण दास जी के आगमन पर आतिशबाजी व फूलों की वर्षा करके उनका भव्य स्वागत किया गया सांई जी ने कार्यक्रम की शुरुआत भगवान झूलेलाल व राधा कृष्ण जी के फोटो पर पुष्प अर्पण कर एवं दीप प्रज्वलित करके की गई पंचायत के छोटे बच्चों के द्वारा सिंधी गीतों पर शानदार नृत्य की प्रस्तुति दि गई बच्चों के द्वारा नाटक के माध्यम से ज्ञानवर्धक बातें बताई गई की बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ माता-पिता को खेल व अन्य कार्यक्रम में भी बच्चों को जाने दिया जाए वह पढ़ाई का ज्यादा बोझ ना डाला जाए बाल दिवस के अवसर पर भी कई छोटे-छोटे बच्चे अलग-अलग फैंसी ड्रेस पहन कर आए थे जिसमें कोई भारत माता पंडित जवाहरलाल नेहरू भगवान श्री राम लक्ष्मण माता सीता जी संतलाल सांई साधु वासवानी भक्त कंवर राम सांई टैऊ राम राधाकृष्ण बन कर आए थे अब वह घड़ी आ गई जिसका सबको इंतजार था संत सांई कृष्ण दास जी के द्वारा अपनी अमृतवाणी में भक्तों को सत्संग रूपी ज्ञान की वर्षा की सांई जी ने एक प्रसंग सुनाया

एक नगर में एक बार राजा ने एक बार अपने मंत्री से कहा की इस नगर में जो सबसे ज्यादा मुर्ख हो वह पागल हो उसे खोज कर हमारे पास लाया जाए मंत्री ने सैनिकों को आदेश दिया सभी सैनिक नगर में घूमने फिरने लगे पता करने लगे मंत्री भी खुद भी गए तब पता चला कि सामने एक झोपड़ी में आदमी रहता है वह मूर्ख है मंत्री उसे आदमी के पास पहुंचा वह पूछ क्या तुम मूर्ख हो तब उस व्यक्ति ने कहा मैं तो मूर्ख नहीं हूं पर लोग मुझे मूर्ख कहते हैं तब मंत्री ने कहा यही बड़ा मूर्ख है उसने कहा चलो राजा के पास तुम्हें बुलाया है मूर्ख राजा के पास पहुंचा राजा ने पूछा तुम मूर्ख हो तो उसने कहा महाराज मैं तो नहीं हूं लेकिन लोग मुझे ऐसा कहते है राजा ने कहा यही मूरख है राजा ने एक सोने की छड़ी उस मूर्ख को दी और कहा जब तुम्हें तुमसे भी बड़ा कोई मूरख मिले तो यह छड़ी उसे दे देना वह मूर्ख छड़ी लेकर चला गया कुछ समय बाद राजा की तबीयत खराब हो गई सभी डॉक्टर ने जवाब दे दिया की राजा का अंतिम समय आ गया है जैसे यह बात नगर में फैल गई सभी प्रजा राजा से मिलने के लिए दरबार पहुंचे जब यह बात उस मूर्ख को पता चली तो व भी उस राजा के पास पहुंचा और राजा से पूछा क्या बात है राजा ने कहा अब मेरा समय आ गया है अब मुझे यह सांसारिक यात्रा पूरी करके भगवान के घर जाना है तब उस मुर्ख ने कहा अकेले जा रहे हो की और कोई साथ नहीं जा रहा है क्या इतने सारे घोड़े हाथी हैं वह साथ नहीं ले जा रहे हो क्या राजा ने कहा है मूर्ख वहां पर अकेले ही जाना होता है और कोई साथ नहीं जाता है

मूर्ख ने पूछा कोई तो होगा जो साथ जाता होगा तुम्हारी धन दौलत इतनी सारी प्रॉपर्टी जमीन ज्यएदाद कुछ तो साथ जाता होगा तब उस राजा ने कहा है मूर्ख वहां पर सिर्फ भक्ति सिमरन वह सत्य कर्म की कमाई ही साथ जाती है और बाकी कुछ नहीं जाता है तो उस मूर्ख ने कहा है राजा आपको यह सब कुछ पता था तो आप ने ईसकी कमाई नहीं की किया
राजा ने कहा नहीं इस बात का तो पछतावा है कि मैंने ऐसा कुछ नहीं किया तब उस मूर्ख ने सोने की छड़ी उस राजा को हाथ में दे दी और कहा मेरे से बड़े मुर्ख तो आप हो जब आपको सब कुछ पता था फिर भी आपने वह कमाई नहीं की जो आपके साथ जाने वाली थी
राजा उस मूर्ख की बात सुनकर शांत हो गए और सोच में पड़ गए कि वाकई में बड़ा मुर्ख तो मैं खुद हूं इस प्रसंग का तात्पर्य यह है कि हमें सब कुछ पता है उसके बाद भी हम वह कमाई नहीं करते हैं जो मरने के बाद हमारे संग जाएगी बल्कि उस कमाई के पीछे पड़े रहते हैं जो हमारे साथ नहीं जाएगी

सांई जी ने अपनी अमृतवाणी में कई भक्ति भरे भजन गाए जिसे सुनकर उपस्थित सभी भक्तजन झूम उठे कार्यक्रम के आखिर में आरती की गई अरदास की गई पल्लव पाया गया प्रसाद वितरण किया गया एवं आए हुए सभी भक्तजनों के लिए आम भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्त जनों ने भंडारा ग्रहण किया
पूज्य सिंधी पंचायत रामा वैली आशिर्वाद वैली के पदाधिकारियों द्वारा सांई जी का फूलों की माला पहनाकर छाल श्रीफल से सम्मान किया गया आज के इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में पूज्य सिंधी पंचायत रामा आशीर्वाद वैली के अध्यक्ष व सभी पदाधिकारी महिला विंग एवम युवा विंग व सभी सदस्य जनों का विशेष सहयोग रहा