सम्पादकीय : हाल ही में हुए पांच प्रदेशों के विधानसभा चुनाव में तीन हिंदी बहुल राज्य छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश और राजस्थान में भाजपा ने प्रचंड बहुमत से विजय प्राप्त की है 7 दिनों तक तीनों प्रदेशों में मुख्यमंत्री के लिए राजधानी से लेकर दिल्ली तक दौड़ चलती रही हर कोई अपने-अपने हिसाब से गुणा भाग करता रहा कई नामो पर चर्चा भी होती रही मीडिया में भी खूब चर्चा हुई कई नाम पर हर किसी को चीत करते हुए मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने हर बार लोगों को चोकाया है इस बार भी उन्होंने तीनों प्रदेशों में ऐसे चेहरों पर दाव लगाया है जो सबके सोच से बदले हुए हैं उलट हैं जिस तरह छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय जी को मुख्यमंत्री बनाया है क्या वह भाजपा के पालनहार बन पाएंगे?
यह सोचने वाली बात है यह तो वक्त ही बताएगा क्योंकि जो भी गुणा भाग करके उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया है उनका पहला उद्देश्य यही है 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में 11 के 11 लोकसभा सिट भाजपा जीते और उसके बाद होने वाले नगरी निकाय और ग्राम पंचायत चुनाव में भी भाजपा का परचम लहराया जाए पहली बार दो उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं जो एक नया प्रयोग भी है वह अन्य जातियों को भी खुश करने का एक प्रयास है तीनों प्रदेशों में दो-दो उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं जो इसका सीधा सा कारण है हर प्रदेश में अन्य जातियों को भी खुश करने का एक प्रयास किया गया है और मुख्यमंत्री को पूरा पावर न देकर उनके नीचे में दो उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं मोदी की गारंटी पर कितने खड़े उतरते हैं यह तो लोकसभा चुनाव के बाद ही पता चलेगा और जो घोषणा भाजपा ने की है मोदी ने अपनी गारंटी में वादा किया है कि मेरी गारंटी है मोदी की गारंटी है सारे वादे पूरे होंगे अब देखना है उस पर कितना अमल हो पता है जनता को कितना खुश कर पाते हैं कितना विकास की गंगा बहा पाते हैं और 5 साल तक सत्ता से दूर रहे पार्टी के नेताओं को कितना जोड़ पाते हैं कितना सत्ता का सुख दे पाते हैं यह भी देखना लाजमी होगा प्रचंड बहुमत मिला है तो जो मंत्री नहीं बन पाएंगे उनकी भी महत्वाकांक्षाएं रहेगी क्या सभी को खुश कर पाएंगे या सभी को खुश करने के चक्कर में जनता को नाराज करेंगे यह मुख्यमंत्री पद तो मिला कांटो का ताज भी है गुलाब का फूल भी है तो अगल-बगल में कांटे भी हैं कैसे इन सब के बीच में समांज्य बैठा कर 2024 की नैया पार लगाते हैं यह देखना पड़ेगा कि कितना कांग्रेस की फुट का फायदा उठा पाते हैं कितना कांग्रेस की गुटबाजी का फायदा उठा पाते हैं यह उनके विवेक पर निर्भर करेगा
क्या कांग्रेस इन सब बातो में से उबड़कर 2024 की तैयारी में जुट जाएगी क्या पूरी ताकत के साथ क्षमता के साथ फिर से खड़ी हो पाएगी या आपस में लड़ाई झगड़ा व एक दूसरे को निपटाने के चक्कर में फंसकर लोकसभा 2024 के चुनाव में भी दो की जगह जीरो पर आ जाएगी यां दो से आगे बढ़ेगी यह तो वक्त ही बताएगा
भाजपा के विष्णु कांग्रेस के लिए कितने घातक साबित होते हैं या कितना उन्हें फायदा पहुंचाते हैं यह तो समय ही बताएगा इस बार का 2024 का लोकसभा चुनाव इन तीन प्रदेशों के मुख्यमंत्री के लिए भी परीक्षा की घड़ी है अगर इसमें पास हो गए तो कुर्सी कायम रहेगी और फेल हो गए तो कुर्सी जाने का खतरा बना रहेगा
अब मात्र 4 महीने मिलेंगे और काम ज्यादा करना है वादे बहुत किए हैं उन्हें भी पूरा करना हैं शुरुआत कहां से करनी है कैसे करनी है यह भी सोचना है और जल्दी से करना है कहीं देर ना हो जाए अगर जनता नाराज हो गई तो 2024 का लोक सभा चुनाव कंही भारी न पड़ जाए