जो निस्वार्थ भक्ति करता है उसे ही सब कुछ मिलता है : सांई नारायण दास

मेहड़ के मनठार,सिंध के,सरताज,कटनी के करतार,बिलासपुर के बक्शनहार,श्री सतगुरु बाबा थांवरदास साहिब, गुरु देव श्री का 242 वां अवतरण दिवस बिलासपुर में भक्ति रूप से धूमधाम के साथ मनाया गया कार्यक्रम 20 अप्रैल दिन शनिवार सुबह 7:00 बजे शोभायात्रा दरबार साहिब तोरवा से निकल कर गुरु नानक चौक सिंधु भवन से होते हुए वापस दरबार साहब पहुंची शोभायात्रा का जगह-जगह आतिशबाजी व फूलों की वर्षा के साथ स्वागत सत्कार किया गया रात्रि 8:00 बजे कार्यक्रम आरंभ हुआ 12:00 बजे समापन हुआ 242 दीप प्रज्वलित करके सत्संग कीर्तन की संत नारायण दास जी के द्वारा अमृत वर्षा की गई
कटनी मध्य प्रदेश से संत नारायण दास
जी ने अपनी अमृतवाणी में बाबा थांवरदास साहिब जी के जीवन के बारे में प्रकाश डाला कि वे किस तरह हमेशा भक्ति सिमरन नाम जपते थे वह स्थान आज भी मैहड सिंध में स्थित है उन्होंने बताया कि जैसे एक बड़े बॉक्स में आप छोटे-छोटे बॉक्स डालते हैं इस तरह वहां पर एक बड़ी हवेली के अंदर ही अंदर साथ हवेलिया थी

राम से बड़ा है राम का नाम , रोज सुने यह धुन , लिंक पर करें क्लिक :   https://www.youtube.com/watch?v=TIkGGHYTb_Y

जहां पर अंदर बैठकर बाबा थांवरदास साहब जी, तपस्या करते थे अंग्रेजों का शासन था उस समय कोर्ट में लोग बाबा थांवरदास साहेब जी की कसम खाकर सच बोलते थे उन्होंने एक सत्य कथा का भक्तों को रसपान कराया एक बार एक भक्त बहुत तपस्या करता है और फिर एक दिन अपने गुरु के पास आता है और सारी बात बताता है गुरु उसे अपने भक्त से बहुत प्रसन्न होता है वह अपने कुछ बाल तोड़कर उसे देता है और कहता है अपने घर ले जा इसको तीजोड़ी में रख ले वह भक्त गुरु की आज्ञा मानकर जैसे उन बालों को तिजोरी में रखता है दूसरे दिन से ही उसके दुख दर्द दूर होने शुरू हो जाते हैं वह, दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करने लगता है लक्ष्मी की वर्षा होने लगती है जगह-जगह वह प्रॉपर्टी जमीन खरीदता है कच्ची झोपड़ी की जगह 10 माले का पक्का मकान बन जाता है कई जगह दुकान हवेलिया खरीदना है एक फकीर से वह राजा बन जाता है शानो, शोंकत से वह अपना जीवन यापन करता है उसका पड़ोसी यह सब देखकर दंग रह गया उसने उससे पूछा की हकीकत क्या है यह सब कैसे हो गया चमत्कार तो उस भक्त ने सच बताया तो उस पड़ोसी के मन में भी लालच आ गया और वह संत के पास पहुंच गया और कहा कि मुझे आपके बाल चाहिए मुझे बोल दे दो संत ने कहा भाई तू ऐसे क्यों बात कर रहा है बाल कोई खाने की चीज है किया और तुम कौन हो कहां से आए हो तो उसने कहा वह सब मत पूछो बस मुझे अपने बाल दे दो संत ने उसे समझाया और उसे घर वापस भेज दिया पर उसे तो मोह और लालच उसके अंदर में समा गई थी उसकी रातों की नींद दिन का चैन हराम हो गया था उसने रात को कैंची उठाई वह दरबार साहब पहुंचा जब संत सो रहे थे तो पीछे से उसके जो लंबे बाल थे नीचे से काट दिए लाकर अपने घर के अलमारी में रख दिया और सो गया जब सुबह उठा तो चारों तरफ ,बाल ही बाल थे हर जगह से बाल बिखरे पड़े थे किचन में गया तो चाय पत्ती में बाल शक्कर में जगह बाल खाने में सामान की जगह बाल हर जगह सिर्फ बाल
ही बाल थे यह सब देखकर उसके परिवार वाले हैरान हो गए और परेशान हो गए और पूछा तुमने ऐसा क्या कर दिया है उसने सारी घटना बताई तो सब लोग पहुंचे उस दरबार में संत जी के पास संत जी ने कहा मैंने तो भाई कुछ नहीं किया है और अगर आपके पति ने गुरु घर का अपमान करेगा तो उसकी सजा त
बहुत ही पड़ेगी और सभी ने अपने किए पर पछतावा किया और माफी मांगी इस कहानी का तात्पर्य है कि बगैर लालच के अगर आप भक्ति सिमरन अन्य कार्य करेंगे गुरु के बताए मार्ग पर चलेंगे तो आपके सारे दुख दर्द दूर हो जाएंगे इस अवसर पर मेहड़ दरबार महिला समिति के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया

भगवान राम को अपना अपना राम – राम भेजें, हनुमान चालीसा अनुवाद सहित सुने , लिंक पर क्लिक करें : https://www.youtube.com/watch?v=rJDZQ4R9fYs

इसमें बच्चों के द्वारा भक्ति भरे गीतो में नृत्य की शानदार प्रस्तुति दि, वह एक से बढ़कर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया , एक नाटक का मंचन किया गया जिसमें उसमें बताया गया था कि अगर आप भगवान का नाम एक बार भी जप लेते हैं संत महात्मा का आपके उपर आशीर्वाद मिल जाता है तो आपका यह जीवन सफल हो जाता है उसे नाटक में एक लोभी लालची दुकानदार की कहानी थी युवा जीवन भर पैसा पैसा करता रहा और उसके पास में ही दुकान के पास दरबार से भजन कीर्तन संत महात्मा आते थे पर वह फिर भी वहां नहीं जाता था और एक दिन संत वहां से गुजर रहे थे तो उन्हें भी कह रहा था कि ऐसे करोगे तो मेरा धंधा कैसे चलेगा यहां से चले जाओ संत ने उसे आशीष दिया वहिं से अपने दुकान में ही अंतिम सांस ली दुकान में बैठे-बैठे ही हार्ट अटैक आ गया और चल बसा और सेठ का और कोई नहीं था जब आसपास भक्त लोगों को पता चला दरबार से लोग आए वह सेठ का अंतिम क्रियाकर्म किया यमराज के दूत उसे लेने आए और उसे किए गए कर्मों के हिसाब से उसे नर्क में छोड़ दिया नर्क में कई अन्य लोग थे जो अपने आप को मार रहे थे जब वह पहुंचा यह सब देखकर हैरान हो गया और सोचने लगा कि मैंने इतने पाप कीए है कि मुझे नर्क में जगह मिली है पर जब वह भगवान का नाम को याद किया तो वहां का माहौल भक्तिरस वाला बन गया यमदूत यह सब देखकर हैरान हो गया और
चित्रगुप्त के पास पहुंचा और सारी घटना का वर्णन किया, तब चित्रगुप्त ने कहा कि इसके सिर पर एक गुरु ने हाथ रखा था और उसने भगवान का नाम जप था अब इसका ऊद्धार हो गया है इसलिए इसे हम स्वर्ग में भी नहीं भेज सकते और नर्क में भी नहीं रख सकते हैं इससे तुम सचखंड में ले जाओ इसकी जगह वहीं पर है इस कहानी का तात्पर्य है कि जिस इंसान के ऊपर उसके गुरु का हाथ होगा वह मरने के बाद भी सचखंड में पहुंचेंगे और इसलिए अपने गुरु का हाथ कभी ना छोड़ो गुरु का घर कभी मत भूलो कार्यक्रम के आखिर में बाबा थांवरदास साहिब जी को 56 खाद्य सामग्री का भोग लगाया गया सन्त नारायण दास जी के द्वारा भक्तों के संग केक काटा गया भोग लगाकर साध संगत में विरण किया गया आरती की गई प्रसाद वितरण किया गया आए हुए सभी भक्तजनों के लिए आम भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्त जनो ने भंडारा ग्रहण किया इस अवसर पर हमर संगवारी के प्रधान संपादक विजय दुसेजा ,का सन्त नारायण जी के द्वारा शाल ओढाकर सम्मान किया व आशीर्वाद दिया आज के इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में मेहड़ दरबार सेवा समिति तोरवा बिलासपुर के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा