विजय की कलम ✒
बिलासपुर –::पत्रकारिता किसी भी दौर में आसान नहीं थी आजादी के पहले से लेकर आज के समय में कलम को हमेसा अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा है.जब जब सच्चाई किसी ऐसे व्यक्ति की सामने आई है जिसका सीधा संबंध सत्ता और शासन से हो तब तब सच्चाई को जनता के बिच लाने वाले पर आरोपों कि बेड़ियाँ लगनी प्रारंभ हो जाती है .ये बेड़ियाँ चाहे कोई समाज सेवी हो या प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकार हो सब पर आरोप और सवाल करने में शासन आगे आ जाता है ,जिससे अपराध करने वाले का मनोबल बढ़ जाता है और सच के लिए आवाज़ उठाने वाले का मनोबल गिर जाता है, उल्टा शासन प्रशासन उसको ही गलत साबित करने में अपनी ताकत लगा देता है और सच और सच्चाई के लिए आवाज़ उठाने वाला दोनों परेशान हो जाता है इसलिए कहा जाता है कि
( सच परेशान हो सकता है पराजित नहीं )
जैसा कि मैंने पहले भी कहा था कि मैं सच लिखता रहूंगा और सच बोलूंगा और देश और समाज हित के लिए कार्य करता रहूंगा किन्तु किसी भी समाज के मठाधीशों की गुलामी एवं दलाली नहीं करूंगा
( मेरी ✒कलम बिकाऊ नहीं है)
और ना ही इसे कोई खरीद सकता है निडर होकर सच्चाई के लिए लिखता रहूँगा चुप कराने की कोशिश बहुत की गई पर नाकाम रहे और
(गलत आरोपो की बेड़ियों से मुझे जकड़ने कि लगातार कोशिसे जारी है)
दरअसल खबर उस व्यक्ति की है जो कि हमारे सिंधी समाज बिलासपुर के एक बड़े लैंड क्रूज़र कालोनी डेवलपर है.
कहने को तो ये टी एन सी रेरा पंजीकृत कालोनियां बनाता है किन्तु धरातल में इन कालोनियों की सच्चाई कुछ और होती है.
इनके द्वारा निर्मित कालोनियों में भारी अनियमितताऐं है जिसका पूरा रिकार्ड का अवलोकन करने के बाद कार्यवाही निश्चित है जिससे बचने के लिए
(मेरी कलम पर बेड़ी लगाने की कोशिस चरम पर है )
मैं चैलेंज करता हूं उस बिल्डर और उसकी पूरी टीम को कि वह अपनी द्वारा निर्मित कालोनियों सही साबित करके दिखा दे अगर सच्चे हो ईमानदार हो तो कॉलोनी वासियो द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब दो “बिल्डर ईमानदारी का सबूत दे “..?
भवदीय
विजय दुसेजा