नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में भी सिंधी समाज को प्रतिनिधित्व नहीं मिला क्यों ?

विजय  की  ✒कलम

(संपादकीय)





भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक लाल कृष्ण आडवाणी  जिन्होंने दो सीटों से 200 तक  पहुँचाया था और पार्टी को सत्ता तक पहुंचाया भले ही गठबंधन सरकार थी अटल बिहारी वाजपेयी की पर सरकार तो भाजपा चला रही थी प्रधानमंत्री बीजेपी का था अपनी मेहनत लगन से उन्हें पार्टी को खून पसीने से मजबूत किया और विस्तार किया उसका सिला उसे क्या मिला 2014 के बाद हाशिए पर हैं ना उनका मान सम्मान किया गया अगर किया जाता तो उन्हें राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति बनाया जाता प्रथम कार्यकाल में ऐसा नहीं हुआ दुसरे दफा भी ऐसा कुछ नहीं हुआ क्या अब तीसरी बार के अवसर में कोई उम्मीद बाकी है ? आज तीसरे कार्यकाल में मोदी को पहले दफा गठबंधन सरकार चलानी पड़ रही है इसकी वजह क्या है ? उन्होंने कभी सोचा है शांति से बैठकर जरूर सोचिए पता चल जाएगा .
2014 मैं तो कोई सिंधी सांसद नहीं था तो बात समझ में आती है अगर चाहते तो पार्टी आज भी जिस तरह हारे हुए प्रत्याशी को मंत्री बना सकती है तो किसी भी सिंधी समाज के व्यक्ति को जो पार्टी का कार्यकर्ता हो उसे मंत्री बना सकती थी और राज्यसभा से  संसद भेज सकती थी  पर ऐसा नहीं किया गया जब एक विदेश मंत्रालय देने के लिए एक सरकारी पूर्व अधिकारी को राज्यसभा सदस्य बनाकर विदेश मंत्री बनाया जा सकता है तो ऐसा  यहां पर भी कर सकते थे बातें बहुत है लेकिन जो करना चाहता है तो रास्ते भी बहुत है और जो नहीं चाहता है तो उसके लिए बहाने बहुत है 2019 और 24 में पूरे देश में मात्र एक टिकट  सिंधी समाज को दी गई वह भी मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से  समाज के उस व्यक्ति का नाम है शंकर लालवानी जो   2019 में भी 5 लाख से ज्यादा वोटो से उन्होंने, जीत हासिल की थी और 2024 में तो उन्होंने पूरे देश में रिकॉर्ड कायम कर दिया सबसे ज्यादा वोटो से जीतने वाले वह एक मात्र प्रत्याशी हैं प्रथम 11 लाख से ज्यादा वोटो से उन्होंने चुनाव जीता है अपने पार्टी का अपने समाज का अपने प्रदेश का अपने शहर का नाम उन्होंने गर्व से ऊंचा किया है ऐसे मिलनसार हंसमुख व्यक्तित्व के धनी, ईमानदार कार्यकर्ता को मोदी जी के इस तीसरे कार्यकाल में मंत्री नहीं बनाया गया क्या यह दुखद बात नहीं है कहते हैं समाज की राजनीति और जाति की राजनीति नहीं करते हैं पर हकीकत में देखा जाए तो हर कोई वही करता है आज हर राजनीतिक पार्टी जातियों के आधार पर गुणा भाग करके सिटो का बंटवारा करती है और जीत के बाद पद बांटे जाते हैं इस तीसरे कार्यकाल में  हर जाति को ध्यान में  रखते हुए उनके समाज के लोगों को जाति के लोगों को मंत्री बनाया गया है पर सिंधी समाज से मंत्री नहीं बनाया गया आखिर क्यों?
क्या मोदी जी को सिंधी समाज के लोगों से कोई तकलीफ है परेशानी है ?
यां कोई अन्य बात है क्या उन्हें शंकर लालवानी पर भरोसा नहीं था?
विश्वास नहीं है कि वे  मंत्री बनेंगे तो वह अपने कर्तव्यों का पालन बिल्कुल ठीक से नहीं  करेंगे ?
अगर उन्हें शंकर लालवानी पसंद नहीं है तो किसी दूसरे व्यक्ति जो  समाज का हो उन्हें मंत्री बना दीजिए संसद में राज्यसभा टिकट देकर भेज दीजिए किसने मना किया है आप सर्वे  सरवा है सब कुछ कर सकते हैं जब पंजाब को प्रतिनिधि देने की बारी आई तो एक हारे हुए प्रत्याशी को मंत्री बना दिया गया और यहां जीते हुए प्रत्याशी को बैठा दिया गया यह अन्याय क्यों ?
जबकि सिंधी समाज आजादी के बाद से ही संघ  व जब बीजेपी पार्टी बनी तो उसके साथ हैं आज उन पर ठप्पा लगा हुआ है कि सिंधी समाज बीजेपी के कट्टर वोटर हैं 80% और जब एक साथ गिरते हैं तो सोच लो उस पार्टी को कितनी मजबूती मिलती है हाल ही में जो विधानसभा चुनाव हुए छत्तीसगढ़ में उसमें भी एक भी सिंधी प्रत्याशी को टिकट नहीं दी गई उसके बाद भी समाज ने पार्टी का साथ दिया जीसके कारण सिंधी बाहुल्य  सीटों में  पार्टी जीत पाई वरना पार्टी जीत नहीं सकती थी इस बात को पार्टी भी महसूस करती हैं जो समाज देना जानता है जिसे  पुरुषार्थी ,कहा जाता है आज वह अपने हक के लिए ठीक से बोल भी नहीं पा रहा है क्योंकि उन्होंने कभी मांगा ही नहीं है हमेशा देना सीखा है और जो आज अगर उन्हें मंत्री पद दिया भी जाऐगा  तो कुछ खैरात नहीं है वह उनका हक है और वह उसके काबिल भी है जिस समाज के लोग आज भारत की  अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा योगदान देने वालों में आते हैं जो हमेशा शांत स्वभाव के होते हैं ऐसे समाज का प्रतिनिधित्व 0% हो तो क्या यह देश के लिए पार्टी के लिए उचित होगा जब आप 2047 की बात करते हैं अपना एक विजन लेकर चलते हैं वह जरा सोचिए उस  विजन  को पूरा करने में अगर आप इस समाज के प्रतिनिधि को शामिल करेंगे तो कैसे स्पीड नहीं मिलेगी आपके सारे काम जल्द से जल्द होंगे जरा ईस ओर भी ध्यान दीजिए
तो 2029 का नजारा ही कुछ और होगा और जो आपका सपना है 400 पार वह समाज के लोग ही पूरा करके दिखा देंगे बाकी!?  आप समझदार हैं


भवदीय
विजय दुसेजा