दिल दुनिया से नहीं भगवान से लगाओ, दादा जेपी वासवानी

साधु वासवानी पुणे के ब्रहमलीन
संत दादा जेपी वासवानी जी का अवतरण दिवस क्षमा दिवस के रूप में विश्व भर में मनाया गया इसी कड़ी में साधु वासवानी सेंटर बिलासपुर इकाई के द्वारा भी दादा का अवतरण दिवस क्षमा दिवस के रूप में मनाया गया वह संतलाल सांई जी को व बिलासपुर के 10 स्कूलों में जाकर बच्चों को बेड बांधा गया वह सबने यह प्रतिज्ञा भी ली कि वह दादा के जन्म दिवस पर जिसने भी उनका दिल दुखाया है उन्हें क्षमा कर देंगे और जैसा कि दादा का संदेश है सबको क्षमा करो सबसे प्यार करो चाहे इंसान हो चाहे जानवर हो चाहे जीव जंतु हो चाहे पेड़ पौधे हो सबसे प्रेम करो और मेरे जन्मदिन पर अगर आप लोग सच्चे मन से मुझे कुछ गिफ्ट देना चाहते हैं तो यही गिफ्ट दे की सबको क्षमा करो सबसे प्रेम करो दादा के इसी संदेश को लेकर साधु वासवानी सेंटर बिलासपुर इकाई के द्वारा बेड सबको वितरण किया गया और दादा का संदेश सुनाया गया
आज तक लोग जन्मदिन पर पार्टी करते हैं मांस मदिरा का सेवन करते हैं वह होटल बार में जाते हैं पर सच्चा संत वही है जो अपने अवतरण दिवस पर इन सब चीजों से दूर रहे वह साध संगत को भी उनसे दूर रखें और उस दिन प्रभु को याद करें वह दीन दुखियों की सेवा करें ऐसे ही सच्चे संत थे हमारे दादा जेपी वासवानी जी जो अपने अवतरण दिवस पर सबको एक ही बात कहते थे सभी को क्षमा करो और सबसे प्यार करो ,
गोंदिया महाराष्ट्र के स्वामी टेऊराम आदर्श इंग्लिश स्कूल में भी दादा जेपी वासवानी का जन्म दिन शमा दिवस के रूप में मनाया गया सभी शास्त्र और शिक्षकों ने एक प्रतिज्ञा ली कि यदि उनसे कोई भी गलती हुई है तो एक दूसरे को क्षमा करेंगे और हर किसी से प्यार करेंगे रमेश तनवानी सुपरवाइजर वासनिक सर और सुपरवाइजर अथिया मैडम ने भी सभी से प्रतिज्ञा ली बिलासपुर के 10 स्कूल हरी मॉडल इंग्लिश मीडियम स्कूल सिंधु विद्या मंदिर स्कूल ज्ञानोदय स्कूल अनुराग स्कूल मदर प्राइड स्कूल , आदर्श स्कूल डीएसपी स्कूल शासकीय बालक स्कूल में भी शमा दिवस का संदेश दिया गया रामा वैली स्थिति साधु वासवानी सेंटर में भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया कार्यक्रम की शुरुआत दादा साधु वासवानी दादा जेपी वासवानी जी के फोटो पर पुष्प अर्पण कर दीप प्रजवलित करके की गई इस अवसर पर सपना कलवानी चित्रा पंजवानी के द्वारा नूरी अंजलि ग्रंथ को भोग लगाया गया वह भजन कीर्तन का आयोजन किया गया

सपना कलवानी चित्रि पंजवानी के द्वारा कई भक्ति भरे भजन व गीत गाए गए जिसे सुनकर उपस्थित भक्तजन भाव विभोर हो गए इस अवसर पर टिवी के माध्यम से दादा का संदेश सुनाया गया जिसमें दादा कहते हैं कि अगर प्यार करना है तो भगवान से करो दुनिया वालों से नहीं दुनिया वाले प्यार के बदले में प्यार देंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है पर भगवान से प्यार करोगे तो रिटर्न में प्यार मिलेगा और आपके जीवन को भव सागर पार लगा देंगे साधु वासवानी सेंटर पुणे की प्रमुख अंजलि दीदी के द्वारा सत्संग के माध्यम से दादा के संग बिताए हुए कुछ पल व प्रसंग सुनाए जिसमें दादा अपने जन्मदिन पर साध संगत के द्वारा एक केक लाया जाता है और एक मोमबत्ती जलाई जाती है जिसे कृष्णा दीदी जब छोटी थी उस मोमबत्ती को फुक मार के भूजाने की कोशिश करती है पर दादा उसे रोक देते हैं और कहते हैं की छोटी सी मोमबत्ती को अगर भुजा दौगी तो अंधेरा फैल जाएगा इसे भुझाना नहीं है बल्कि अंधेरे को दूर करना है कैसे तब दादा उस छोटे से मोमबत्ती को लेकर सिढी से ऊपर चढ़ते जाते हैं और उस मोमबत्ती को कहते हैं कि तुम्हें दुनिया को बचाना है वह नई रहा दिखानी है वह कहती है दादा मैं तो छोटी सी मोमबती हूं जो आपके हाथ में हूं और मेरी लोह भी बहुत छोटी है मैं कैसे रोशनी दिखाऊंगी कैसे अंधेरे को दूर करूंगी तो दादा कहते हैं तू चिंता मत कर अपने आप पर आत्मविश्वास रख भरोसा रख देख आगे क्या होता है बात करते-करते दादा ऊपर पहुंच जाते हैं मनी लाइट के पास और छोटी सी मोमबत्ती से वह मशाल को जलाते हैं और मशाल जलती ही चारों तरफ उजाला हो जाता है और सबसे ऊपर मंजिल में यह मशाल जलता है तो उसके ऊपर आसमान में हवाई जहाज इधर से उधर आना-जाना करते हैं वह मार्शल मचान इसलिए बनाया गया है ताकि हवाई जहाज को आने जाने का मार्ग पता चल सके वह आपस में एक दूसरे से टकराए नहीं एक छोटी सी मोमबत्ती ने उस मशाल को जलाकर दुनिया को नहीं रहा दिखाई इस कहानी का तात्पर्य है कि इंसान छोटा या बड़ा नहीं होता काम छोटा या बड़ा नहीं होता है हर एक चीज बहुत महत्वपूर्ण है चाहे वह चींटी हो चाहे वह हाथी हो अपने-अपने हिसाब से दोनों का महत्व अलग-अलग है और बहुत बड़ा है वक्त पर सबका महत्व पता चलता है इसलिए किसी को छोटा समझकर उसका अपमान ना करें और एक सिख और मिलती है की ज्योत से ज्योत जलती है और जब जलती है तो चारों तरफ उजाला फैलाती है इसलिए हमें भी अपने भीतर ज्योत जलानी है और वह जोत है प्रभु के भक्ति की प्रेम की अपने भीतर जलेगी तभी तो हम दूसरे के अंदर भी जला सकते हैं और इस तरह पूरी दुनिया में भगवान के प्रति हर इंसान एक दूसरे से प्रेम करेंगे और भक्ति भाव रखेंगे जब प्रेम की ज्योत जलेगी तब आत्मा से परमात्मा का मिलन होगा
कृष्णा दीदी ने एक और छोटा सा प्रसंग कथा के माध्यम से सुनाया की भगवान अपने घरों में फरिश्तों को बुलाते हैं सारे फरिश्ते पहुंचते हैं भगवान के घर में उसे दिन भगवान अपने जन्मदिन पर हर किसी को उपहार देना चाहते हैं तो वह घर के बाहर सुंदर से सुंदर वस्त्र तांग कर रख देते हैं और सबको कहते हैं कि जिसको जो पसंद है वह उसे उठा ले पहन ले

सभी फरिश्ते वस्त्र उठाकर पहनते हैं और बहुत प्रसन्न होते हैं एक दूसरे को दिखाते हैं पर एक फरिश्ता चुपचाप बैठे रहता है सबको देखते रहता है आखिरी में उठता है और उस वस्त्र को धारण करता है जिसे सब ने छोड़ दिया था और सब कहते हैं कि जब इतने सारे वस्त्र थे एक से बढ़कर एक तब तुमने नहीं उठाया और अब उठकर तुमने वह वस्त्र धारण किया है जीसे सब ने छोड़ दिया क्योंकि वह वस्त्र था इंसान का वस्त्र उसे वस्त्र का धारण करने के बाद दुख और सुख दोनों आते हैं और जैसे हर कोई पहनना नहीं चाहता था पर उस वस्त्र को जिसने पहना उसका नाम था दादा जेपी वासवानी उसने भगवान से कहा कि मैंने मानव जीवन का वस्त्र पहना है मुझे आप पृथ्वी पर भेजिए ताकि मैं प्रेम का संदेश, पृथ्वी में फैला सकूं भगवान ने प्रसन्न होकर दादा को पृथ्वी पर भेजा और दादा इस प्रेम को संदेश को लेकर पूरे विश्व भर में लोगों को सत्संग के माध्यम से प्रेम का संदेश दिया इंसानों के साथ-साथ पशु पक्षियों और जानवरों के प्रति भी प्रेम करो यह संदेश दिया और प्रेम से बड़ा कोई उपहार नहीं प्रेम से बड़ी कोई चीज नहीं और प्रेम करो तो दुनिया से नहीं भगवान से करो यह मानव जीवन मिला है आप इससे भी प्रेम करो अपने कर्तव्यों का पालन करो जो आपके कर्म है उन्हें करो जो आपका कर्तव्य हैं उन्हें करो पीछे नहीं हटाना है अपनी ग्रस्त जीवन को भी संभालना है घर दुकान को भी देखना है बच्चों को भी देखना है माता-पिता को भी देखना है सबकी देखभाल भी करनी है राष्ट्र से भी प्रेम करना है उसके कर्तव्य को निभाना है पर दिल लगाना सिर्फ भगवान के साथ है जैसे मीरा ने श्री कृष्ण से प्रेम किया जिसने भी सच्चा प्रेम किया है भगवान से उसने भगवान को पाया है तो भगवान को पाना है तो प्रेम भगवान से करना है इस दुनिया से नहीं
यहा सत्य की रहा पर चलना है सच्चे कर्म करने हैं धर्म कार्य करने हैं दीन दुखियों की सेवा करनी है और यह सब करते हुए प्रभु को भी पाना है
आखिर में आरती की गई अरदास की गई केक काटा गया भोग लगाया गया आए हुए सभी भक्तजनों में प्रसाद वितरण किया गया आज के इस पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में साधु वासवानी सेंटर बिलासपुर इकाई के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा इनमें प्रमुख है डॉक्टर रमेश कलवानी नानक पंजवानी चित्रा पंजवानी,सरिता पंजवानी डॉक्टर अभिषेक कलवानी डॉक्टर एकता कलवानी,
कविता चावला,अंजलि रोचवानी ,प्राची सजननी,चंदा मतानी ,प्राची भक्तानि