दिवाली नहीं दीपोंवाली है”* आचार्य जयदेव शास्त्री।

बिलासपुर:- आज आर्य समाज बेहतराई  रोड के तत्वाधान में  घर-घर यज्ञ की प्रक्रिया में यज्ञ व सत्संग का कार्यक्रम आर्य  आदित्य गुप्ता जी के खमतराई स्थित निवास स्थान पर  रखा गया।
जिसमें सर्वप्रथम यज्ञ का कार्य आचार्य जयदेव शास्त्री जी के ब्रह्मत्व में प्रारंभ हुआ। यजमान के रूप में गुप्ता परिवार ने आहुतियां दी। यज्ञ के उपरांत वैदिक सत्संग का आयोजन किया गया जिसमें सर्वप्रथम आर्य समाज के संरक्षक श्री रूपचंद जीवनानी  जी ने और आर्या संध्या शर्मा ने एक – एक भजन प्रस्तुत किया। तत्पश्चात यज्ञ ब्रह्मा आचार्य जयदेव जी ने गुप्ता परिवार को आशीर्वाद दिया।और सभी आर्यों को और अन्य उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए नवसस्येष्टि अर्थात् दीपावली हम क्यों मनाते हैं और यह कब से प्रारंभ हुआ इसके विषय में बताते हुए कहा कि हमारा कोई भी पर्व निरर्थक नहीं होता उसके पीछे निश्चित ही  कोई ना कोई विज्ञान होता है ।शारदीय नवसस्येष्टि पर्व प्राचीन काल से चला आ रहा एक विशेष त्यौहार है । वर्षा की समाप्ति के पश्चात किसान की फसल  खेत में पककर तैयार हो जाती है और वर्षा के कारण कीट पतंग का प्रकोप भी कम हो जाता है और इसलिए घर और आसपास के वातावरण को स्वच्छ करके किसान अपनी प्रसन्नता को  नवसस्येष्टि पर्व के रूप में व्यक्त करता है। ईश्वर का धन्यवाद करता है जिसकी कृपा से धन-धान्य की प्राप्ति हुई है। किंतु त्रेता युग में इस पर्व को श्री रामचंद्र जी के आगमन को दीपोत्सव के रूप में मनाए जाने की परंपरा प्रारंभ हो गई। तब से दीपावली हुआ,अब दिवाली बोलतें हैं जिसमें जुवां खेलकर घरों को दिवाला बना रहे हैं
वर्तमान समय में यह त्यौहार अत्यंत विकृत हो चुका है जहां यह त्यौहार अन्नदाता किसान की प्रसन्नता का त्यौहार था वहीं अब यह लोगों की मानसिक दिवालापन को प्रदर्शित करता है त्योहार के आने के एक दो सप्ताह पहले से ही बाजार की रौनक बढ़ जाती है और लोगों में अनावश्यक सामानों को भी खरीदने की होड़ लगी रहती है जिसके कारण कई बार उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब हो जाती है और परिवारों में अशांति का वातावरण निर्मित होता है।देश की बचाने के परिवारों में संस्कृति और सभ्यता को बचाना बहुत जरूरी है l अनेक लोगों ने संकल्प कि जगह-जगह यज्ञ आदि का आयोजन करेंगे और उसमें नए अन्न की आहुति देकर परमपिता परमेश्वर का धन्यवाद करेंगे और उस अन्न  का सदुपयोग करते हुए अपने जीवन को उन्नत बनाने का प्रयास करेंगे। और यह तभी संभव है जब लोग वेद और वैदिक पर्व को सही ढंग से समझेंगे।
आर्य समाज बहतराई रोड लोगों को वेद ज्ञान से जोड़ने के लिए और वैदिक त्योहार तथा सिद्धांतों का  महत्व बताने के लिए  दो दिवसीय लघु का आयोजन करता है जिससे वर्तमान युवा वर्ग अपने सिद्धांतों को वैज्ञानिक ढंग से समझ सके और वेदों के अनुसार अपने जीवन को चला सके। अंत में आर्यसमाज के प्रधान आर्य रूपलाल चावला जी ने मंत्र बोलने वाले बच्चों को पुरस्कार देकर उत्साहवर्धन किया  l 
इस अवसर पर उपस्थित आर्य लोगों ने व अन्य लोगों ने कार्यक्रम की भूरी भूरी प्रशंसा की। आर्य कमलप्रकाश गुप्ता,आर्य दुःखभंजन जायसवाल जी,आर्य सूर्यकांत शर्मा,अमित जी,आर्य बसंत देवांगन, आर्य सुनील आहूजा,आर्य सूरज वस्त्रकार,आर्य प्रेम साहू,आर्य देव यादव,नंदलाल चावला,अश्वनी जायसवाल,छन्नू राजपूत,रोहित पटेल, सुनील सिंह,प्रताप पांडेय,n k गुरुद्वान आदि सपरिवार उपस्थित रहे