यह मेरी अर्जी है मैं ऐसा बन जाऊं जैसी तेरी मर्जी है, , सारा जीवन तेरे नाम कर दिया झूलेलाल,सांई

बिलासपुर:- प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्री झूलेलाल मंदिर सिंधु अमर धाम आश्रम का 48 वां  स्थापना मेला उत्सव तीन एवं चार नवंबर को बड़े ही धूमधाम के साथ, संत लाल दास जी के सानिध्य में
झूलेलाल नगर चकरभाठा मैं मनाया गया
  इस अवसर पर
, सिंगर   दिव्यांश बालाजी के द्वारा भक्ति मय कार्यक्रम की प्रस्तुति दी एक से बढ़कर एक भक्ति भरे भजन गाए, जीसे सुनकर उपस्थित भक्तजन झूम उठे, सांई जी के द्वारा भक्तों के साथ सिंधी छैज की गई
कार्यक्रम के  आखिर में आरती की गई  पल्लो पाया गया प्रसाद वितरण किया गया  व आम भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्तों ने भंडारा ग्रहण किया

,,  4 नवंबर दिन सोमवार
दोपहर 12:00 बजे से 2:00 बजे तक ग्वालियर के मशहूर सिंगर दिव्यांश बालाजी द्वारा भक्ति मय संगीत मय कार्यक्रम 💃🎤 के प्रस्तुति दि
3:00 पूज्य संत लाल दास जी के द्वारा अमृत रूपी सत्संग में ज्ञान की वर्षा की उन्होंने 48 वर्ष पूर्व बाबा गुरमुख दास जी के द्वारा मंदिर की स्थापना की गई थी उससे पहले घर में एक दीवाल की अलमारी के कोने में छोटी सी भगवान  झूलेलाल की मूर्ति रखकर पूजा अर्चना करते थे और प्रत्यक शुक्रवार को लोग आते थे अपने दुख  दर्द बताते थे और वह पूछा देते थे फिर एक दिन सपने में भगवान झूलेलाल आए और कहा गुरमुख क्या तुम मुझे इस छोटे से अलमारी में रखेगा मेरे लिए बड़ा घर की व्यवस्था कर तब एक भक्त ने मंदिर के लिए जमीन दान में दी और ब भगवान  झुलेलाल जी के लिए
  छोटे से मंदिर का निर्माण हुआ और धीरे-धीरे वह मंदिर बड़ा बना उसके बाद बाबा जी के द्वारा बुजुर्गों के लिए  आश्रम मंदिर के अंदर में ही बनाया गया ,छोटे-छोटे बालकों के लिए  झूलेलाल विद्या मंदिर स्कूल खोला गया जो पहली से लेकर आठवीं तक कक्षा का था समय बितता गया वह हिंदी मीडियम स्कूल था लोगों को अब अंग्रेजी मीडियम  स्कूल  चाहिए शिक्षा और उचि चाहिए इसलिए वह स्कूल बंद हो गया जैसे ही बाबा जी ब्रह्मलीन हुए और गद्बी में संतलाल दास जी को बैठाया गया इससे पूर्व कुछ लोगों ने कहा कि पहले हमें भगवान झूलेलाल से परमिशन लेनी पड़ेगी तब हम उनके पुत्र को बैठाएंगे तब सांई जी  के कुल गुरु ने मंदिर में जाकर कपाट बंद करके भगवान झूलेलाल से प्रार्थना की वह  आज्ञा ली और जैसे उन्हें आज्ञा मिली तब लाल दास जी को मंदिर की बागडोर सौंपी गई उस समय मंदिर तो बड़ा था पर बाबा जी के जाने के बाद लोगों का आना भी काम हो गया पर सांई जी ने हार नहीं मानी और झूलेलाल के आराधना की प्रार्थना की भक्ति की धीरे-धीरे लोग वापस फिर से जुड़ने लगे ज्योत से ज्योत जलती है इस तरह सांई जी ने भी  सबको झूलेलाल से जोड़ने के लिए एक नया अभियान चलाया   लोग धीरे-धीरे जुडने लगे चालीहा महोत्सव आरंभ हुआ और लोगों का जुडाव होने लगा साइ जी की सुरीली मधुर आवाज में उनके गाए हुए भजन घर-घर पहुंचने लगे धीरे-धीरे संख्या भक्तों की बढ़ने लगी चकरभाठा से निकलकर छत्तीसगढ़  से निकलकर मध्य प्रदेश महाराष्ट्र प्रदेश के अन्य शहरों में मंदिर की  पहचान बढ़ने लगी अब भक्तों की संख्या बढ़ने लगी कार्यक्रम भी अब विशाल बड़े-बड़े होने लगे हैं तो मंदिर अब छोटा पड़ने लगा फिर इस मंदिर का नव निर्माण करके भव्य मंदिर बनाया गया यहां पर आज हजारों की  संख्या में लोग एक साथ बैठकर सत्संग कीर्तन और कार्यक्रम का आनंद लेते हैं घर बैठे सोशल मीडिया के माध्यम से लाखों लोग कार्यक्रम का आनंद लेते हैं 24 साल बाबा जी ने मंदिर की सेवा की और आज 24 साल मुझे भी हो रहे हैं इस मंदिर की सेवा करते हुए यह सब झूलेलाल की कृपा बाबा जी का आशीर्वाद और भक्तों का प्यार ही है जो यह मुझे शक्ति प्रदान करता है कि मैं चक्करभाटा  से निकाल कर देश-विदेश तक पहुंच गया भगवान झूलेलाल को घर-घर तक पहुंचाने के लिए अब भगवान, भारत के साथ साथ   विदेशों में भी पूजा जाता है और समाज के लोग श्रद्धा से भक्ति से आराधना पूजा करते हैं यह सिर्फ एक मंदिर नहीं है बल्कि सातक्षात  भगवान झूलेलाल विराजमान हैं जरूरत है उसे देखने की आप देखोगे तो पत्थर की मूर्ति लगेगी हम देखेंगे तो हमें सातक्षात भगवान झूलेलाल दिखाई देंगे ऐसा क्यों इसके पीछे दो कारण है आप इन आंखों से देखते हो और हम भक्ति के आंखों से देखते हैं और भक्ति की आंख आपको तब मिलेगी जब आप अपना  स्वार्थ छोड़कर भगवान झूलेलाल की आराधना में सिमरन में भक्ति में लग जाओगे तो आपको खुद भगवान हर जगह दिखाई देंगे हर मूर्ति में दिखाई देंगे हर व्यक्ति में दिखाई देंगे हर जल में ज्योत में दिखाई देंगे इसके लिए जरूरी है वह भक्ति करना पहले तो संत साधु महात्मा जो भक्ति करते थे भगवान को प्रसन्न करने के लिए हजारों साल करते थे अब तो आपको  साल भर भी नहीं करनी है कम समय करनी है पर वह कम समय भी जब भक्ति करोगे तो सिर्फ भगवान का ध्यान ही होना चाहिए भगवान का सिमरन होना चाहिए वह  निस्वार्थ       होना चाहिए तभी आपको भगवान मिलेंगे किस रूप में आएंगे यह तो हमें भी पता नहीं लेकिन मिलेंगे जरूर और उसे देखने के लिए मैंने पहले भी कहा था की भक्ति वाली आंखें ही चाहिए आज हजारों लोग आते हैं प्रत्येक शुक्रवार को अपने दुख को दर्द दूर करवाने के लिए कौन करता है अंदर बैठा भगवान  झूलेलाल   करता है मैं नहीं करता वह करता है मैं तो सिर्फ उपाय बताता हूं करने वाला वह है कराने वाला भी वह है चालीहा महोत्सव 2 दिसंबर से आरंभ हो रहा है गाघर की महिमा बताई गई वह हर घर में गाघर विराजमान करें तो आपके दुख दर्द अपने आप ही दूर हो जाएंगे बस जरूरत है श्रद्धा और भक्ति की स्वार्थी होकर, अगर आप कोई भी काम करेंगे तो वह कभी पूरा नहीं होगा और  निस्वार्थ से करेंगे तो जल्दी पूरा होगा  इस बात की गारंटी में लेता हूं कार्यक्रम के आखिर में पल्लो पाया गया प्रसाद वितरण किया गया आए वह सभी लोगो  के लिए आम भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्तों ने भंडारा ग्रहण किया आज के इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या  में लोग छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश महाराष्ट्र से आए थे इस पूरे आयोजन को सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव प्रसारण किया गया हजारों की संख्या में घर बैठे लोगों ने आज के कार्यक्रम का आनंद लिया इस पूरा  कार्यक्रम को सफल बनाने में बाबा गुरमुख दास सेवा समिति व श्री झुलेलाल महिला सखी सेवा ग्रुप के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा

भवदीय
विजय दुसेजा