चाहे कल का जन्मा शिशु हो, पर उसके जीवनकाल में प्रयागराज में लगने वाला 144 वर्षीय कुंभ दुबारा नहीं लगेगा।

कुंभ ( प्रयागराज ) 2025


दूसरी बात, कुंभ स्नान केवल जल का स्नान नहीं, यदि सत्संग प्रवचन ज्ञान सभा और साधु संगति के कुंभ में स्नान न किया तो केवल तन धुलेगा, मन आत्मा चेतना असंपृक्त, असंतुष्ट ही रहेगी।

अतः यदि कुंभ स्नान की कामना है तो मन को धोकर, शुद्ध सात्त्विक कर के वापस भौतिक सँसार में आइए।
समाज सँसार से छिपे बचे, अपनी साधना में रत कई संत महात्मा जो प्रयागराज में पधारेंगे, उनके प्रभाव क्षेत्र में भी यदि आते हैं तो कल्याण ही होगा। सो संत समागम अवश्य कीजिए।

और सबसे बड़ी बात, न स्वयं अस्वच्छता फैलाइये, न ही किसी और को कचड़ा फैलाते चुपचाप देखिए। तन मन स्थान, सब स्वच्छ सात्त्विक निर्मल रहे, तभी सत के ग्रहण की पात्रता बनेगी।

महातीर्थ कुंभ, निकट दूर सबके ऊपर आशीर्वाद रखते अपनी पवित्रता भक्तों तक पहुँचाएँ।