विजय की ✒कलम
समाज के लोगों को बेवकूफ बनाने का और चूना लगाने का अच्छा कार्यक्रम का आयोजन शुरू किया गया है,?
सिंध का मेला,
लगता है भारतीय सिंधु सभा भी सेंट्रल पंचायत के नक्शे कदम पर चलने लगी है और चलेगी भी क्यों नहीं आधे आदमी तो उसी के भरे पड़े हैं ,?
खरबूजा खरबूजे को देखकर रंग बदलता है यह कहावत पुरानी है
पर अब यहां पर हकीकत में सच हो रही है जैसा ऊपर वाला बौस कहता है वैसे ही लोग जी हजूरी करके काम करते हैं नाम समाज का लेते हैं और जैब अपनी भरते हैं ? समाज का नाम लेना अब बंद कर देना चाहिए और कहना चाहिए सिर्फ बड़े पैसे वालों के लिए ही कार्यक्रम हम करते हैं और अपने लोगों के लिए करते हैं ठेका भी अपने लोगों को देंगे बुलाएंगे भी उसे जिसे हम सुनना चाहे हम देखना चाहे हम मिलना चाहे काम भी उसे मिलेगा जो हमारा गुणगान करेगा चापलूसी करेगा जी हजूरी करेगा वैसे भी शहर में अब ऐसी संस्थाएं नहीं बची होगी , जीसे चालाक लोमड़ी ने कब्जा न किया हो या अपने लोगों को ना बैठाया हो बची थी ,मात्र एक संस्था भारतीय सिंधु सभा अब वह भी उसके अधीन हो गई ? और उसकी जी हजूरी में चलने लगी जीस पर समाज को नाज था समाज का कार्य करती थी अब वह भी बिजनेस करने लग गई पिछले साल 2024 में कुंदन पैलेस में सिंध का मेला का आयोजन किया गया और ₹50 टिकट रखा गया अंदर जाने का एंट्री फीस खाने-पीने का अलग रेट था अंदर में जो खाने पिने का,रेट था,हाई था,
जो लोग गए थे वह भी रेट सुनकर थोड़ा उनको भी अच्छा नहीं लगा ऊपर से पानी 💦गिरा तो सारी कसर पूरी कर दी इस बार कुंदन पैलेस की जगह साइंस कॉलेज किया गया
क्योंकि पिछली बार थोड़ा ज्यादा माल कमा लिया और लालच आ गई और ज्यादा कमाने की इच्छा जागृत हो गई और बड़े-बड़े शहरों में जाकर प्रोग्राम देख लिए तो इसको भी बुलाना है उसको भी बुलाना है पैसा कौन सा अपनी जैब से जाना है समाज को भरना है एंजॉय हमको करना है यही सोचकर साइंस कॉलेज में कार्यक्रम किया गया है जहां तक सूत्रों से जानकारी मिल रही है 22 से 25 लाख तक खर्च किया है, इतना बजट तो डांडिया का भी नहीं था इतना बजट तो चेटीचंड की शोभा यात्रा का भी नहीं है और फिर एक दिन के लिए इतना बजट इतना खर्चा एक कार्यक्रम पर क्यों?
सिर्फ चंद लोगों की खुशी के लिए शर्म आती है मुझे ऐसे लोगों पर जो सत्ता पर बैठे हैं और बाकी लोग जी हजूरी कर रहे हैं कब तक आखिर समाज को बेवकूफ बनाते रहोगे समाज के नाम लेकर जैब भरते रहोगे?
बंद करो यह सब ढोंग धोखा फरेब और विश्वास घात ? महिला विंग,युवा विग, को भी अपने साथ मिला लिया है ,? लोग जानते हुए भी आंखें बंद करके बैठे हैं और इस पाप की 🚤नाव में सवार होकर आगे बढ़ते जा रहे हैं याद रखना यह 🚣नाव बीच मझंदार में डूब जाएगी ,
ना इस पार आएगी ना उस पार,पहुंच पाएगी,
सीधा ऊपर पहुंच जाएगी?
और इस बार रेट रखा ₹250 रूपये हर व्यक्ति अंदर जाने का और एक पास नहीं मिलेगा combo पास मिलेगा चार लोगों का पास मिलेगा हजार रुपए में ताकि गरीब वर्ग मध्यम वर्ग, न जा सके अरे जब तुमको कार्यक्रम अपने लिए करना है तो समाज का नाम लेकर क्यों समाज के लोगों को धोखा दे रहे हो,गुमराह कर रहे हो ?
चेटीचंड्र का नाम लेते हैं अरे चेटीचंड्र का मतलब समझते हो भगवान झूलेलाल का जन्म उत्सव भगवान झूलेलाल जी ने जन्म किस लिए लिया था पापियों के नाश के लिए तो आप खुद पाप कर रहे हो भगवान झूलेलाल का नाम लेकर झोलिया भर रहे हो?
समाज के लोगों के लिए अगर आप यह सिंध का मेला करना चाहते तो निशुल्क करते ताकि अधिक से अधिक लोग पहुंच कर कार्यक्रम का मेले का आनंद लेते, और कोई जरूरी नहीं है फिल्मी हीरोइन या बड़े कलाकार को बुलाने का अपने ही शहर में आसपास में कई ऐसे प्रतिभाशाली लोग हैं जिन्हें एक प्लेटफार्म की जरूरत है एक मौके की जरूरत है और कम पैसे में अच्छा प्रोग्राम हो सकता था ?
लेकिन ऐसा आप लोगों ने नहीं किया क्योंकि आपको जरूरत इन समाज के लोगों की नहीं है आप नहीं चाहते हो कि गरीब वर्ग मध्यमवर्ग पहुंचे आप चाहते हो कि हमारे जैसे बड़े, धन्यवान,सेठ ,हि सिर्फ आपके कार्यक्रम में आए ओर इंजॉय करें,
चंद लोग मुट्ठी में समाज की खुशी को बंद करके रखे है? और जो सच बोलता है उसे समाज विरोधी कहते हैं? उसे संस्थाओं से पंचायत से किनारा करके, या निकाल देते हैं? क्योंकि उसने सच कहा था,
एक मध्यम वर्गीय गरीब बेचारा दिन रात मेहनत करता है वह एक दिन के लिए ₹1000 खर्च कैसे कर सकता है ओर अंदर जाने के लिए, अंदर जाकर खाने-पीने का रेट अलग है वहां पर भी किसी मध्यम वर्ग को स्टाल नहीं दिया गया है, बल्कि एक बड़े होटल वाले को पूरे स्टॉल दिए गए हैं और बड़ा होटल वाला रेट तो अपने होटल का ही रखेगा, ना की बाजार में मिलने वाला रेट, आपको देगा, खाने पीने का सीधा सा मतलब है
यह सिंध का मेला नहीं है बल्कि बिजनेस का मेला है?
चैटीचंद्र पर चंदा वसूली जोरो पर चल रही है ?और बड़े र्शम की बात है कि चंदा ले रहे हैं उसके बदले में भगवान झूलेलाल का छायाचित्र यां कोई, स्टीकर पहले लगाते थे, वह भी इस बार बंद कर दिया, ? ताकि वह भी पैसे बच जाए और अपनी जेब में चल जाए ?वाह रे वाह गुलामी की भी एक हद होती है चापलूसी की भी हद होती है यहां तो सब हदें पार कर दि ,? समाज का बेड़ा गर्क कर दिए?
लूट सको तो लूट लो कोई मना नहीं है सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं?
मिल बैठ कर खाएंगे समाज को ठेंगा दिखाएंगे,
समाज का नाम लेंगे अपनी जेबें भरेंगे?
मेला तो समाप्त हो गया एक दिन में इसके पीछे कई सारे प्रश्न छोड़ गया कई सारी बातें हैं जो लोगों के दिल में दिमाग में चल रही है और वह सच जानना चाहते हैं ऐसे ही कुछ बातें मेला समाप्त होने के बाद दूसरे तीसरे दिन हमें लोगों से सुनने को मिली और सूत्रों से भी जानकारी मिली की मेले से पहले कुछ लोगों ने सुझाव दिया था कि भाई जैसे आप वीआईपी लोगों को फ्री पास देते हैं उस तरह जो समाज में निर्म वर्ग के लोग हैं हर वार्ड में पता करके कम से कम 15 से 20 पास अगर उन परिवार को दिया जाए तो वह भी आकर प्रोग्राम देख सकेंगे एंजॉय कर सकेंगे पर समिति के ही कुछ बड़े धनवान लोगों ने इसका विरोध किया और कहा कि जिसके पास ₹1000 नहीं है पास लेने के लिए न आये ? ओर कौन कहता हैं कि गरीब आए हमारे कार्यक्रम में ? और कुछ लोगों ने यहां तक कहा कि अगर हम फ्री में पास देंगे तो वह गरीब लोग शराब पीकर गांजा पीकर अंदर आएंगे ?
क्या शराब गांजा गरीब लोग पीते हैं अमीर लोग शराब नहीं पीते गंजा नहीं पीते?
हमने भी डांडीया का प्रोग्राम किया था निशुल्क किया था तब तो कई गरीब परिवार आए थे कोई गांजा पीके नहीं आया था कोई शराब पीकर नहीं आया था सब फैमिली सहित आए थे ओर सबने इंजॉय किया था,
झूठा आरोप निर्म वर्ग के लोगों को पर लगाया गया ताकि ?उन्हें फ्री पास ना दिया जाए?
₹1000 पास का रेट रखा गया उसका विरोध किया गया कुछ बड़े लोगों ने किसी की नहीं सुनी चंद लोग ही फैसला करने लगे ? जैसा कि हमने पहले भी कहा है कि अंदर में जो स्टाल लगे थे वह एक होटल वाले को ठेका दिया गया था जिसमें खाने का रेट बहुत महंगा था संस्था के सदस्यों ने भी विरोध किया? इतना रेट नहीं होना चाहिए और किसी एक व्यक्ति को न देकर अलग-अलग स्टॉल देने चाहिए पर जैसा कि हमने कहा चलेगी पैसे वालों की और जो जी हजूरी करेगा,ओर पूरी संस्था का बेड़ा र्गक कर दिया सिर्फ एक व्यक्ति ने? जो संस्था 50 साल से ज्यादा पुरानी है जिसके गीत में ही कहा जाता है कि देश के लिए जिएंगे देश के लिए मरेंगे और समाज के लिए धर्म के लिए कार्य करेंगे ऐसी संस्था को भी बिजनेस मेंन संस्था बना दिया धंधा करने के लिए लगा दिया ऐसा क्यों हुआ ?
वह एक व्यक्ति ऐसा भस्मासुर है जो जहां जाता है वहां पर पाप का बीच बोना शुरू कर देता है और लोगों को भी इसकी लत लगा देता है चाहे महिला विंग हो चाहे और कई संस्थाएं हो जो पहले कितना अच्छा कार्य करती थी समाज हित के लिए आज उन संस्थाओं का हाल क्या है मुझे बताने की जरूरत नहीं है वह जग जाहिर है पर इस संस्था में भी अब उस भस्मासुर पाखंडी के लोग अंदर घुस गए हैं ? जो अंदर ही अंदर उसे खोखला कर रहे हैं अभी भी वक्त है उस संस्था के जो पुराने सीनियर लीडर हैं उनसे हम यही आशा करते हैं कि वह इस गंदगी की सफाई करें और संस्था का जो नाम था और जो कार्य था सामाजिक के लिए निशुल्क सच्ची सेवा करने का उसे वापस आरंभ करें इसमें ही उसे संस्था का और समाज का भला होगा (संपादकीय)