बिलासपुर :- सिंधी फिल्म फेस्टिवल का आयोजन बिलासपुर में 9 मई से 15 मई तक किया गया है जिसमें 13 मई को रात्रि 7:00 बजे से 10:00 बजे तक सिंधी फिल्म सिमरन का प्रसारण किया गया इस फिल्म की हीरोइन सिमरन आहूजा विशेष रूप से मुंबई से बिलासपुर पहुंची वह दोपहर को पत्रकारों से चर्चा की रात्रि 7:00 बजे 36 मॉल में पहुंचकर दर्शकों को बीच में बैठकर फिल्म को देखा दर्शकों से मुलाकात की कार्यक्रम की शुरुआत संध्या 7:30 बजे भगवान झूलेलाल के फोटो पर पुष्प अरपढ़ कर दीप प्रज्ज्वलित करके की गई इस अवसर पर समाज सेवी सिंधी युवक समिति के संरक्षक कैलाश मलघानी अमर बजाज, अध्यक्ष मनीष लहोरानी, विनोद चावला राज केसवानी

हरीकिशन गंगवानी मोहन मंदवानी राजू धामेचा राजू कलवानी एवं अन्य समाजसेवी और बड़ी संख्या मे गणमान्य नागरिकों ने सिमरन आहूजा का फूलों का गुलदस्ता देकर बधाई और शुभकामनाएं दी
दर्शकों के बीच सिमरन आहूजा ने लिए फिल्म देखी जब फिल्म समापन के बाद दर्शन बाहर निकल रहे थे
तब हमर संगवारी के प्रधान संपादक, विजय दुसेजा ने उनसे चर्चा की फिल्म के बारे में तो दर्शकों का अच्छा रिस्पॉन्स रहा उन्होंने कहा बहुत अच्छी और बेहतरीन पिक्चर है कहानी भी अच्छी है दिल को छु गई, और गाने भी अच्छे हैं जो धीरे-धीरे जुबान पर चढ़ते हैं पर सुकून देते हैं फिल्म कि हीरोइन सिमरन आहूजा का भी अच्छा रोल रहा उन्होंने अच्छी एक्टिंग की और ऐसी फिल्में बननी चाहिए यह प्रेरणा दायक फिल्म है

और इस फिल्म के माध्यम से बताया गया है कि अपने बड़े बुजुर्गों का सम्मान करो उनका अपमान मत करो और उन्हें विद्वाआश्रम में मत छोड़ो ओर उनका अपमान मत करो, आज आप उनके साथ ऐसा करते हो तो कल आपके बच्चे भी आपके साथ ऐसा ही कर सकते हैं और अपनी गलती को जल्द से जल्द स्वीकार करें वह क्षमा मागें, और माफी मांगने का भी एक समय होता है जब इंसान चला जाए तब आप माफी मांगे तो इसका महत्व नहीं रह जाता है इसलिए समय रहते हुए माफी मांग ले और क्षमा कर ले तो उसका महत्व अलग ही होता है

राज केसवानी ने जानकारी दी की प्रतिदिन हम अलग-अलग फिल्म यहां पर लगा रहे हैं और लोगों की पसंद को देखकर हम फिल्म को लगा रहे हैं और हर फिल्म में कुछ ना कुछ संदेश है समाज को और लोगों के लिए हमारे सिंधी फेस्टिवल को बहुत अच्छा रिस्पांस मिल रहा है उसके लिए सभी सहयोगियों को धन्यवाद करता हूं सिमरन आहूजा ने भी कहा कि मैं प्रथम बार बिलासपुर आई हूं और जैसा कि कहते हैं छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया यह कहावत बिल्कुल सटीक है

और सही है यहां के लोग बिल्कुल भोले भाले हैं और जितना प्रेम मुझे यहां बिलासपुर आकर मिला है उसके लिए मैं बिलासपुर वासियों का शुक्रगुजार हूं और उन्हें धन्यवाद करती हूं कि मुझे उन्होंने बहुत प्रेम दिया और मेरी फिल्म को भी प्रेम दिया और मैं कोशिश करूंगी की अगली कोई फिल्म बने तो उसकी शूटिंग बिलासपुर में जरूर हो और बिलासपुर के कुछ चुनिंदा लोगों को जो अच्छे कलाकार है उनको भी मौका मिले, जो प्यार बिलासपुर ने दिया है उसको मैं कभी भी नहीं भुलूंगी और नई फिल्म के साथ फिर मैं बिलासपुर वासियों से आकर मिलुगी तब तक के लिए अलविदा बिलासपुर
