बिलासपुर :- विगत कई सालों से यह देखा जा रहा है की पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत के अध्यक्ष पद के चुनाव में मात्र 10% लोग ही वोटिंग कर सकते हैं क्या यह अन्याय नहीं है समाज के अन्य लोगों के साथ?
जब हम अपने वार्ड में वोट कर सकते हैं और अपने अध्यक्ष को चुन सकते हैं तो शहर के अध्यक्ष को क्यों नहीं चुन सकते हैं ?
सिर्फ एक घुट के द्वारा संचालित हो रही है पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत? और हर बार वही कुछ ना कुछ तिकड़म बाजी करके सत्ता पर काबिल हो जाते हैं?
जबकि नियम ऐसा होना चाहिए जो समाज का व्यक्ति अपने वार्ड पंचायत में मध्यान के रूप में सालाना पैसा जमा करता है और रसीद कटवाता है और अपने वार्ड के चुनाव की सूची में उसका नाम है तो वह व्यक्ति केंद्रीय पंचायत के चुनाव में वोट देने का अधिकार रखता है?
उसे वोट देने का अधिकार दिया जाना चाहिए पर यहां पर ऐसा नहीं किया जा रहा है क्यों?
सूत्रों का कहना है कि उन्हें डर है कि अगर उनको अधिकार दिया जाएगा वोट देने का तो सत्ता
हमारे हाथ से चली जाएगी जो 40 साल से सत्ता में काबिज एक ही घुट है , सत्ता से वह बाहर हो जाएगा , इसीलिए वह नहीं चाहते हैं कि सबको वोट देने का अधिकार दिया जाए हजारों लोगों को वोट से वंचित किया जा रहा है आखिर इसका जिम्मेदार है कौन?
क्या वह सत्ता के लोभी हैं जो सत्ता पर काबिज है और जो सत्ता को अपने हाथ में रखना चाहते हैं?
विगत 2 साल पूर्व हुए चुनाव में भी बेमानी की गई थी जिसका विरोध बहुत हुआ था पर पैसे की ताकत और सत्ता का घमंड ने सब बातों को अनसुना कर दिया?
जब चुनाव अधिकारी उनके होंगे तो निष्पक्ष चुनाव कैसे होगा?
यह सवाल बहुत महत्वपूर्ण है विगत चुनाव में हमने देखा है चुनाव अधिकारियों ने पक्षपात किया निष्पक्ष चुनाव नहीं कराया?
इसलिए इस बार यह बिलासपुर जनता की समाज के लोगों की मांग है की मत अधिकार का उपयोग हर उस व्यक्ति को मिलना चाहिए जो अपने वार्ड में मध्यान पताता है और अपने वार्ड में वोटर लिस्ट में उसका नाम है और इस चुनाव में पूज्य सिंधी पंचायत छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष से हम यह मांग भी करते हैं कि वह यहां पर दो पर्यवेक्षक भेजेगा, और साथ में चुनाव अधिकारी की नियुक्ति भी वहीं से की जाए, ताकि निष्पक्ष चुनाव हो सके?
क्योंकि हमें पूर्ण आशंका है कि विगत चुनाव की तरह इस बार भी बेईमानी और धांधली करके चुनाव जीता जा सकता है?
सत्ता के लोभी इसी फिराक में बैठे हैं ओर केसे भी कर के सत्ता वापस पाना चाहते हैं?
वै सेवा के लिए नहीं आ रहे हैं बल्कि धंधा और बिजनेस करने के लिए आ रहे हैं और उनको पता है की कुर्सी चली जाएगी तो हमारा धंधा बिजनेस आधा हो जाएगा इसीलिए वह सत्ता का मोह छोड़ नहीं रहे हैं?
उनका उद्देश्य सेवा से नहीं है उनका उद्देश्य धंधा और बिजनेस से हैं जो वह कर रहे हैं ?
कुर्सी पर बैठकर, समाज का हित ना सोचकर अपना हित कर रहे हैं और अपना हीत सोच रहे हैं? वह अपने चापलूसों का हीत तो सोच रहे हैं और उनके हित में ही कार्य कर रहे हैं?
क्या ऐसे लोगों को सत्ता में रहने का अधिकार है क्या ऐसे लोगों को चुनाव में वोट देने का अधिकार देना चाहिए?
अब वक्त की पुकार यही है इस बार निष्पक्ष चुनाव हो और प्रत्येक समाज के व्यक्ति को जो बिलासपुर में रहता है और जिसकी शादी हो चुकी है और जिसका नाम अपने पंचायत कि वोटर लिस्ट में है उसे वोट देने का अधिकार दिया जाए जब वह व्यक्ति अपने वार्ड का पार्षद चुन सकता है अपने शहर का विधायक चुन सकता है अपने क्षेत्र का सांसद चुन सकता है तो क्या अपने समाज का अध्यक्ष चुने का अधिकार उसे नहीं मिलना चाहिए?
सत्ता के लोभियों ने ऐसा आभामंडल तैयार किया है कि वह लोग वोट ना दे सके सिर्फ 10% ही लोग वोट दे सके और वह भी जो उनके इशारे पर काम करें इसीलिए वह अन्य लोगों को वोट देने का अधिकार नहीं देना चाहते हैं?
पर हम सरकार से भी यही मांग करेंगे क्योंकि पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत एक पंजीयन संस्था है तो उस संस्था का चुनाव निष्पक्ष होना चाहिए और वोट देने का अधिकार समाज के प्रत्येक नागरिक को मिलना चाहिए यह मांग हम सरकार से भी करते हैं पूज्य सिंधी छत्तीसगढ़ पंचायत से भी करते हैं और पंजीयन कार्यालय से भी करते हैं,
कि ईस और ध्यान दें और लोकतंत्र को और मजबूत बनाने के लिए हमें और वोट देने का अधिकार दें