सतगुरु बाबा थावार दास साहेब जी का 244 वां ” अवतरण दिवस हर्षों उल्लास के साथ मनाया गया बिलासपुर में

सिंध के संरताज सिंध की आत्मा संत शिरोमणि सतगुरु बाबा थावर दास साहेब जी का 244 ” वां,अवतरण दिवस मैहड़ दरबार तोरवा बिलासपुर में तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया 23,24 ,25 मई को विधिवत रूप से अलग-अलग कार्यक्रम का आयोजन किया गया प्रथम दिन तीन दिवसीय अखंड पाठ साहब, अखंड सुखमणि साहब ,अखंड वाहेगुरु नाम जाप, आरंभ हुआ दित्य दिन, आकाश म्यूजिकल पार्टी के द्वारा संगीत मय भक्ति मय कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई दादी साहिबा जी के द्वारा अपनी अमृतवाणी में साध संगत को सत्संग के माध्यम से निहाल किया , तीसरे दिन, तीन दिवसीय अखंड पाठ साहब संपूर्ण हुआ भोग लगाया गया तत्पश्चात आरती की गई अरदास की गई विश्व🌏 कल्याण के लिए पल्लव पाया गया आए हुए

संत महात्मा व भाई साहब का सम्मान किया गया रात्रि 8 से 8:30 बजे रामधुनी का आयोजन किया गया 9:00 बजे से 12:00 बजे तक सिंधु भवन तोरवा में विधिवत कई कार्यक्रम आयोजित किए गए सर्वप्रथम महेड़ दरबार से गुरु नानक देव साहब जी की पालकी यात्रा ढोल बाजे के साथ निकाली गई जो सिंधु भवन पहुँच कर समाप्त हुई , संत नारायण साईं जी के द्वारा अपने अमृतवाणी में आए हुए सभी साध संगत को भजन कीर्तन सत्संग के माध्यम से निहाल किया उन्होंने अपनी अमृतवाणी में बताया कि श्री हनुमान चालीसा की शुरुआत संत तुलसीदास जी ने की थी और वह भी जेल में रहकर की थी जब संत तुलसीदास जी जगह-जगह ,नगर नगर जाकर भजन कीर्तन करते थे

राम कथा सुनाते थे धीरे-धीरे यह बात चारों तरफ फैल गई एक दिन एक मुस्लिम राजा ने उन्हें संदेश भिजवाया कि हमारे दरबार में भी आकर तुम गीत गाओ तो संत तुलसीदास जी ने कहा मैं कोई कलाकार नहीं हूं जो दरबार में आकर गाना या गीत गाउ ओर आपका मन बहलाऊं मैं तो एक छोटा सा राम भक्त हूं जो राम भक्ति में लीन रहता है भजन कीर्तन करता है तो मैं नहीं आ सकता हूं राजा ने कई बार संदेश भिजवाया पर संत तुलसीदास जी ने मना कर दिया तो उस राजा को बहुत गुस्सा आया और उसने संत तुलसीदास जी को पकड़ कर अपने जेल में केद खाने में बंद कर दिया जहां पर कोई भी उसे छुड़ा ना पाए तब संत तुलसीदास जी ने सोचा कि अब इस जेल से मुझे आजाद कौन कराएगा तो उन्होंने सोचा कि भगवान रामचंद्र जी को पुकारता हूं फिर ध्यान आया कि छोटे से काम के लिए प्रभु को तकलीफ क्यों दूं उनके सेवक हनुमान जी को ही बोलता हूं तो उन्होंने जेल में ही रहकर हनुमान चालीसा लिखना शुरू किया और उसका पाठ किया जब हनुमान चालीसा का पाठ समापन हुआ वैसे ही पूरे राजा के महल में बंदरों ने धावा बोल दिया पूरे महल में हर जगह बंदर ही बंदर और सब सामान को इधर-उधर फेंकते रहे

राजमहल में घुस गए राजा और सैनिक सब परेशान हो गए रात भर बंदरों से इतना उत्पाद मचाया बंदरों ने सुबह हुई तो एक मंत्री ने कहा कि आपने संत तुलसीदास जी को कारागार बंद किया है उसे तुरंत आजाद कीजिए नहीं तो यह राज्य भी नहीं बचेगा ,राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ उसने सह सम्मान तुलसीदास जी को बाहर निकाला अपने किए पर माफी मांगी और जैसे तुलसीदास जी बाहर आए अपने राज्य से घर जाने लगे वैसे ही सब बंदर गायब हो गए जहां से आए थे वहीं चले गए उसके बाद कई चालीसा आरंभ हुए, दुर्गा चालीसा ,वह कई संत महात्माओं के भी चालीसा आरंभ हुए हैं और आज भी बाबा थावरदास दास साहेब जी का चालीसा का पाठ किया गया 244 दीपक जलाए गए भक्तों के द्वारा दादी साहिब जी के द्वारा केक काटा गया वह 56 भोग लगाया गया बाबा थावरदास साहिब जी को आए हुए सभी साध संगत में केक को 56 भोग का प्रसाद वितरण किया गया दादी साहिबा ने सभी

भक्तजनों को बाबा थावरदास साहेब जी के अवतरण दिवस की बधाइयां और शुभकामनाएं दी मैहड़ दरबार महिला समिति के द्वारा सुंदर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया कई भक्ति भरे भजनों पर छोटे बच्चे महिलाएं वह युवतियों के द्वारा सुंदर नृत्य प्रस्तुति दी नाट्य मंचन भी किया गया इसमें दरबार की महिमा के बारे में बताया गया भक्त और भगवान के बारे में बताया गया कि भगवान एक है उनके रूप अलग-अलग है

तो कोई भी भक्त कहता है कि मैं सिर्फ इस भगवान कोई मानता हूं अन्य भगवान को नहीं मानूंगा ऐसा ना करें सच्चा भक्त होगा तो उसको हर भगवान में अपना ही भगवान नजर आएगा इसलिए सभी भगवानों की पूजा अर्चना करे ओर मान सम्मान करना चाहिए सभी भगवानो ने संनातन धर्म के रक्षा के लिए ही उन्होंने ” पृथ्वी पर जन्म लिया था और सभी हमारे पूजनीय है आखिर में सभी बच्चों को दादी की साहिबा के द्वारा पुरस्कार दिया गया

वह आए हुए सभी भक्तों के लिए आम भंडारा का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्तों ने भंडारा ग्रहण किया इस तीन दिवस , पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में मेहड़ दरबार सेवा समिति बिलासपुर के सभी सेवादारियों का विशेष सहयोग रहा ,3 दिन तक लगातार हमर संगवारी के प्रधान संपादक विजय दुसेजा के द्वारा पूरे कार्यक्रम को कवर किया दादी साहिबा और संत नारायण सांई जी के द्वारा उनकाे आशीर्वाद दिया गया,