भारत कभी फूलों का बगीचा था, सुख ही सुख था: बीके पूर्णिमा
बिलासपुरः प्रभु दर्शन भवन टिकरापारा में पाजिटिव थिंकिंग की क्लास चल रही है। बीके पूर्णिमा ने कहा कि आज से पांच हजार साल पहले यही भारतखंड फूलों का बगीचा अर्थात स्वर्ग था। अथाह सुख ही सुख था। आज दुख ही दुख है। कांटो के जंगल को फूलों का बगीचा बनाने का कार्य एक परमात्मा ही कर सकते है। सुख शांति की दुनिया मे जाने के लिये परमात्मा सहज रास्ता बताते है कि अपने को आत्मा समझ मुझ परमात्मा को यथार्थ रूप मे याद करो।

आगे कहा कि जैसी स्मृति वैसी स्थिति। देवी देवताओं के आगे जाकर स्वयं को नीच, पापी समझने से हम दुखी बन गये है। अब परमात्मा स्मृति दिलाते है कि पाच हजार पहले भारत स्वर्ग था तब हम ही देवी देवता थे। इसके लिये आत्मा पर निश्चय होना आवश्यक है। अब समय है इस अंतिम जन्म मे दैवीय गुणों को धारण करे। पवित्रता की धारणा से सभी गुण सहज आ जाते है। ज्ञानसागर परमात्मा के ज्ञान का भंडार सभी के लिये खुला है।इस खजाने से मालामाल होने से सर्व प्राप्ति से भरपूर हो जाते है।