बांये नाक से सांस लेते व छोड़ते हुए ही करें अनुलोम विलोम की शुरुआत अंत – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

बिलासपुर टिकरापारा :- बांये नाक से श्वान्स लेना व छोड़ना चंद्र स्वर कहलाता है और दाहिना स्वर सूर्य स्वर कहलाता है। चंद्रमा शीतलता का व सूर्य ऊष्मा का प्रतीक है इसलिए अनुलोम विलोम की शुरुआत बाई नाक से सांस लेते हुए और रुकते समय बाय नाक से श्वास छोड़ते समय ही रुकना चाहिए। इससे शीतलता बनी रहेगी।

आज वसंत विहार स्थित वसंत क्लब में एसईसीएल द्वारा आयोजित बूट कैंप में योग प्रशिक्षण देते हुए ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने साधकों से यह बात कही। दीदी ने योग दिवस पूर्व योग की सही विधियों से अवगत कराते हुए हर आसनों के पद बताए।

इस अवसर पर योग प्रदर्शन के लिए ब्रह्माकुमारी गायत्री बहन, प्रीति बहन, राकेश भाई व गायत्री परिवार से इंदू बहन उपस्थित रहे। संदीप बलहाल, ब्र.कु. ईश्वरी बहन व बीके अमर भाई ने निरीक्षण करते हुए साधकों को योग अभ्यास करने में सहयोग दिया।
मंजू दीदी ने योग सिखाने के बाद अंत में योग से संबंधित कुछ प्रश्न पूछे जैसे शीतली प्राणायाम के लाभ क्या हैं पेट के बल लेटकर किये जाने वाले आसनों में विश्राम की स्थिति किस आसन में होती है इत्यादि। सही उत्तर देने वाले को पुरस्कृत भी किया गया।