अयोध्या —संगोष्ठी व काव्य गोष्ठी
यदि आर एस एस न होता तो विभाजन के नाम पर की गई लूट में पूरे भारत पर विधर्मियों का कब्जा होता।
संघ द्वारा किया गया सनातन प्रेमियों का नेतृत्व एसा था कि उस समय संघ के शीर्ष नेता गुरु गोलवरकर जी स्वयं सीमांत क्षेत्रों में घूम घूम कर एसे निर्दोष भारत वासियों की रक्षा और सेवा में लगे थे जिनको लूटने, हत्या करने व महिलाओं से बलात्कार का लक्ष्य लेकर विधर्मी सड़कों पर थे।यह विचार अयोध्या में आयोजित संगोष्ठी विभाजन की विभीषिका व काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे संबोधित करते व्यक्त किया राष्ट्र धर्म निदेशक मनोजकांत जी मिश्र ने।




इस अवसर पर मुख्य वक्ता व मुख्य अतिथि आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण जी ने कहा कौन से घर में बंटवारा नहीं होता,
सवाल किया कि बंटवारे में क्या एक दूसरे की हत्या, लूट और बलात्कार होता है? क्या घर से दूर भगा दिया जाता है, क्या अपनों को दुश्मन मान लिया जाता है,
एसे तत्कालीन सत्ताधीश जिनमें राष्ट्र का नेता व विश्व का नेता बनने की होड़ थी पर उन्हें वे लाखों भारतीयों की हत्या लूट और बलात्कार व पलायन नहीं दिख रहा था।
या इसे समझा जाय कि उनके की सहमति से भारत के एक अंग को नोच कर काट कर फेंक दिया गया
आचार्य जी ने प्रस्ताव रखा कि विभाजन -विभाजन नहीं एक संगठित लूट कहा जाना सर्वथा उचित होगा।
जिसे सर्वसम्मति से उपस्थित सैकड़ों विद्वत जनों ने एक स्वर से पारित किया।
राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद द्वारा आयोजित विभाजन विभीषिका पर संगोष्ठी व काव्य गोष्ठी का आयोजन अयोध्या में
सिंधु एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसायटी के तत्वावधान में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करने वाले विद्वानों प्रो अनूप कुमार निदेशक संत कंवरराम सिंधी भाषा अध्ययन केंद्र डा राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, प्रो सत्य प्रकाश त्रिपाठी विभागाध्यक्ष बी एन के बी महाविद्यालय अंबेडकर नगर, सरल ज्ञाप्रटे वरिष्ठ साहित्यकार पत्रकार,डा अभय सिंह पूर्व प्राचार्य साकेत महाविद्यालय,डा महेंद्र पाठक पूर्व विभागाध्यक्ष इतिहास साकेत महाविद्यालय, सरदार सुरेंद्र सिंह राने प्रधान गुरु नानक पुरा, प्रो आर के सिंह अवध विश्वविद्यालय देवबक्श वर्मा अध्यक्ष ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन,डा असीम त्रिपाठी, प्रमोद कांत मिश्र ने एक स्वर से विभाजन को संरक्षण देने वाले तत्कालीन जिम्मेदारों को मानवता की हत्या का अपराधी घोषित करने की भी बात कही।

कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर मुख्य अतिथि आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण, कार्यक्रम अध्यक्ष मनोजकांत मिश्र , राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद शिक्षा मंत्रालय,सदस्य प्रतिनिधि विश्वप्रकाश”रूपन” अध्यक्ष व संचालन कर्ता सुमित माखेजा आदि द्वारा किया गया। तत्पश्चात कार्तिक लखमानी द्वारा गणेश वंदना की सुरमयी प्रस्तुती बांसुरी वादन कर की गई।
इस अवसर पर आयोजित काव्य गोष्ठी में स्वदेश मल्होत्रा ने विभाजन विभीषिका को चित्रित करती कविता का पाठ किया कहा कि
” लोग विभाजन का वह मंजर सदियों भूल नहीं सकते
हिंसा का वह काल भयंकर
सदियों भूल नहीं सकते”
तो वहीं राजीव पाण्डेय”सरल “
ने कविता पाठ करते देश की अखंडता व गौरव को याद किया
कार्यक्रम को सफल बनाने में विभिन्न भूमिकाओं में समर्पित ncpsl सदस्य विश्व प्रकाश रूपन ने कविता पाठ करते उस समय के दृश्य को दर्शात वर्तमान सरकार की संवेदनशीलता को भी प्रणाम किया कहा कि
“सिंध का हर वीर, था क्रांतिवीर
पर देश के तत्कालीन सत्ता के संरक्षण में वामपंथी गवाते रहे
कि आजादी मिली बिना खड्ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल”
प्रसिद्ध कवि एवं व्यंग्यकार ताराचंद्र “तनहा ” ने विभाजन के समर्थकों को तगड़ा आईना दिखाती कविता प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में अपनी गरिमा पूर्ण उपस्थित से कार्यक्रम सफल बनाने वाले विद्वान आगंतुकों में प्रमुख रूप से पवन जीवानी, देवकुमार क्षेत्रपाल, धर्मपाल रावलानी, सरदार सुरेंद्र सिंह राने,सरल ज्ञाप्रटे, उपमहापौर रहे बिजेंद्र सिंह, पार्षद अजीत सिंह,डा महेंद्र पाठक,डा असीम त्रिपाठी,दीपक सावलानी, पुरुषार्थ तोलानी,महेश आहूजा,पंकज गुप्ता,कमल कौशल, शैलेन्द्र सोनी रामू, सुनील सिंह, राकेश गुप्ता, पार्षद नंदलाल गुप्ता,कवि रामबाबू बेबस,सुरेश मोदनवाल,अचल गुप्ता, संतोष सेहता, विकास आहूजा, कपिल कुमार, साक्षी वासवानी,कोमल लखमानी, नरेंद्र क्षेत्रपाल,धनेश बजाज,सी पी आहूजा, अर्जुन चावला,
आशा गौड़,अजीत मेघानी, सत्य प्रकाश राजपाल, कार्यवाह विवेकानंद नगर प्रेम प्रकाश टेकचंदानी आदि सैकड़ों विद्वानों ने इस आयोजन की व राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद की भूरि प्रशंसा की।
कार्यक्रम के अंत में सहभोज का भी वृहद आयोजन आयोजन समिति द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन सिंधी सेंट्रल पंचायत शहर अयोध्या के मुखिया पवन जीवानी ने व संचालन संस्कृति विभाग के उद्घोषक विश्व प्रकाश रूपन ने बहुत ही सुव्यवस्थित रूप से किया।
विश्व प्रकाश रूपन