कोरबा :- छत्तीसगढ़ प्रदेश की ऊर्जा नगरी कहे जाने वाले कोरबा जिसे काले हीरे का शहर भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर सबसे अधिक मात्रा में कोयले की खदानें हैं और छत्तीसगढ़ को रोशन करने वाली बड़ी -बड़ी कंपनियों के बिजली केंद्र यही लगे हैं इसलिए ईसे ऊर्जा नगरी भी कहा जाता है ऐसी नगरी में रहने वाले सिंधी समाज के लोगों के द्वारा एकता में अनेकता की मिसाल पेश करते हैं जहां भी रहते हैं जिस जगह में रहते हैं वहीं पर सब लोगों के साथ में जुड़कर क्षेत्र का विकास में और धर्म कर्म के कार्यों में अपना तन मन धन लगा देते हैं पूज्य चालीहा साहब आरंभ होने के शुभ अवसर पर सिंधु अमरधाम आश्रम चकरभाठा के पिटाधीश्रवर, संत सांई लाल दास जी का दिव्य सत्संग का आयोजन श्री झूलेलाल सेवा समिति के द्वारा हेमू कॉलोनी नगर सिंधी धर्मशाला में आयोजित किया गया प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी चालीहा उत्सव आरंभ होने के पूर्व सत्संग का आयोजन किया गया था सांई जी के आगमन पर समिति के सदस्यों व भक्तों के द्वारा आतिशबाजी की गई फूलों की वर्षा की गई और फूलमाला पहनाकर सांई जी का स्वागत सत्कार किया गया


कार्यक्रम की शुरूआत भगवान झूलेलाल बाबा गुरुमुख दास जी के फोटो पर पुष्प अर्पण कर वरिष्ठ जनों के संग दीप प्रजवलित करके की गई पूज्य सिंधी पंचायत कोरबा सामाजिक धार्मिक संस्थाएं महिला विंग युवा विंग के सभी सदस्यों के द्वारा सांई जी का स्वागत सत्कार किया गया , इस अवसर पर संत बाजाराम दरबार के भाई साहब नारायण दास जाग्यासी जी भी विशेष रूप से आज के सत्संग के कार्यक्रम में शामिल हुए
रवि रूपवानी एवं अनिल पंजवानी के द्वारा कई धार्मिक भजन व गीत गाए गए जीसे सुनकर उपस्थित
भक्तजन झूम उठे
अब वह घड़ी आ गई जिसका सबको इंतजार था और साल भर रहता है प्रत्येक वर्ष में एक बार सत्संग होता है सांई जी का चालीहा ओर घाघर की महिमा बताने आते हैं की चालीहा उत्सव के अवसर पर घाघर
जो भी समाज के व्यक्ति रखना चाहते हैं उसकी विधि क्या है किस तरह से घाघर रखना चाहिए और किस तरह चालीहा का उपवास रखना चाहिए ओर क्या-क्या कार्य करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए इसकी पूरी जानकारी सतसंग के द्वारा अपने अमृत वचनों के माध्यम से देते हैं अपने अमृतवाणी में आए हुए सभी भक्तजनों को कई ज्ञानवर्धक बातें बताइए कई प्रसंग सुनाएं इनमें एक प्रसंग था हमारे बड़े बुजुर्ग एक बड़े विशाल पेड़ के समान हैं उनकी छत्र छाया में ही रहकर हम सुखी रह सकते हैं और उन्हें सुख देकर ही आगे का जीवन हम सुखी व्यक्तित्व कर सकते हैं और बड़े बुजुर्गों का महत्व बहुत बड़ा है हमने किताबी ज्ञान प्राप्त किया है पर उन लोगों ने प्रैक्टिकल ज्ञान प्राप्त किया है तो जो वह बात कहते हैं और समझाते हैं उसमें हमारा भला होता है ऐसा ही एक छोटी सी कहानी सुनाई,
एक नगर में लड़की देखने जाने वाले थे बिलासपुर में रहने वाले लोग गोविंद का रिश्ता रामपुर की रहने वाली मीराबाई की बेटी से हुआ था , लड़की के माता-पिता ने कहा हमारी एक शर्त है जब आप बारात लेकर आए तो आप अपने बड़े बुजुर्गों को या किसी भी बुजुर्गों को बारात में लेकर मत आए तभी हम अपनी बेटी की शादी करेंगे क्योंकि बड़े बुजुर्ग आते हैं तो
कुछ ना कुछ नुक्स निकालते हैं इसलिए उनसे चिड़ हो गई है और लड़के को लड़की पसंद थी और शादी भी करनी थी उसने


उनकी बात मान ली सभी दोस्त तैयार होकर पहुंचे बिलासपुर से रामपुर चलने के लिए पर गोविंद के दादा ने कहा की बेटा मुझे भी ले चलो और गोविंद ने कहा दादा आप चलोगे तो फिर मेरी शादी अटक जाएगी उसने कहा बेटा मैं कुछ नहीं बोलूंगा मुझे ले चलो एक काम करो एक बड़े संदूक में ले आओ मैं बाहर नहीं निकलुगा सब ने उनकी बात मान ली संदूक लाया संदूक में दादा को रखा और उसको बस में रखकर ले चले जैसे ही बस रामपुर पहुंची सभी बारातियों का स्वागत हुआ सत्कार हुआ फूलों की वर्षा के साथ बढ़िया सब खुश हुए पर अब एक बात आकर अटक गई लड़की घर वालों ने पिता और उनके चचाओं ने कहा शादी से पहले हमारी एक शर्त ओर है उसे अगर मानोगे तो हम शादी करेंगे अपनी बेटी की तुम्हारे साथ शर्त यह है कि तुम्हें हमारे गांव में दूध की नदियां बाहनी होगी यह बात सुनकर गोविंद और सभी उसके दोस्त हैरान हो गए दूध की नदी बाहनी होगी इसका जवाब क्या दिया जाए , उन्होंने आधे घंटे का समय मांगा उसके बाद बस के अंदर जाकर संदूक खुला और दादा को सारी बातें बताएं दादा ने कहा उनको बोलो दूध हमारे पास बहुत है पहले तुम नदी का पानी बाहर निकालो जैसे ही यह बात कही तो लड़की के पिता समझ गए कि यह जरूर किसी बुजुर्ग को अपने साथ लेकर आए हैं इस कहानी का तात्पर्य यह है कि बड़े बुजुर्गों का जो ज्ञान है वह हमसे बहुत सटीक और बड़ा है इसलिए उनका सम्मान करना चाहिए उनको खुश रखना चाहिए इसमें ही अपना अपने समाज का भी भला है चालीहा महोत्सव 22 नवंबर से आरंभ होने वाला है 31 दिसंबर को समापन होगा 1 जनवरी को नए वर्ष के अवसर पर बहराणा साहब दिवस मनाया जाएगा सभी भक्तजनों से सांई जी ने कहा कि 31 दिसंबर और नया वर्ष भगवान झूलेलाल के मंदिर में आकर मनाएं ,
न होटल जाएंगे न डिस्को जाएंगे न पार्लर जाएंगे, सिर्फ झूलेलाल के मंदिर जाएंगे यह संदेश दिया और 22 नवंबर से प्रारंभ होने वाले चालीहा महोत्सव
पर किस तरह घाघर रखना है उसकी विधि की पूरी जानकारी भक्तों को दी कार्यक्रम के आखिर में सांई जी के द्वारा भक्ति भरे भजन गाए इसे सुनकर भक्तजन भाव विभोर हो गए ,


प्रार्थना की गई पल्लो पाया गया प्रसाद वितरण किया गया आए हुए सभी भक्तजनों के लिए आम भंडारा का आयोजन किया गया बड़ी संख्या भक्तों ने भंडारा ग्रहण किया आज के इस सत्संग कार्यक्रम में कोरबा बालकों कटघोड़ा पाली वह आसपास के क्षेत्र से बड़ी संख्या में समाज के लोग आकर शामिल हुए इस पूरे कार्यक्रम का सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव प्रसारण किया गया घर बैठे हजारों लोगों ने आज के कार्यक्रम का आनंद लिया इस पूरे आयोजन को कवर करने के लिए बिलासपुर से विशेष तौर पर हमर संगवारी के प्रधान संपादक विजय दुसेजा, कोरबा पहुंचे ओर कार्यक्रम को कवर किया आज के इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में श्री झूलेलाल सेवा समिति एवं पूज्य सिंधी पंचायत कोरबा व सामाजिक धार्मिक संस्थाओं के सभी पदाधिकारीयो सदस्यों का विशेष सहयोग रहा