बिजली (संशोधन) विधेयक 2025 -उपभोक्ता, किसान और कर्मचारी हितों के बीच संतुलन या टकराव?
बिजली (संशोधन) विधेयक 2025 -बिजली चोरी और भ्रष्टाचार पर लगाम व वितरण कंपनियों का विस्तार,ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया – वैश्विक स्तरपरभारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में बिजली न केवल आर्थिक प्रगति का आधार है, बल्कि सामाजिक न्याय और समान अवसर का माध्यम भी है। औद्योगिकीकरण,कृषि, सेवा क्षेत्र, शिक्षा, और घरेलू जीवन, सभी क्षेत्रों की नींव ऊर्जा पर टिकी है। लेकिन बीते कुछ दशकों में यह क्षेत्र गहरे संकट से जूझता रहा है,भ्रष्टाचार, चोरी, घाटा, और जवाबदेही की कमी।इन्हीं चुनौतियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने बिजली (संशोधन) विधेयक 2025 का मसौदा जारी किया है तथा मिनिस्ट्री ऑफ़ पावर ने 9 अक्टूबर 2025 को बिल का मसौदा विरोध आम जनता के सुझाव अनुशंसा दर्ज करने के लिए जारी किया था,सुझाव भेजने की अंतिम तिथि 8 नवंबर 2025 थीं।भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत बिजली (संशोधन) विधेयक 2025 ऊर्जा क्षेत्र में सबसे बड़े सुधारों में से एक माना जा रहा है।इसका उद्देश्य है, बिजली वितरण में पारदर्शिता लाना, उपभोक्ताओं को अधिकार देना, बिजली चोरी और भ्रष्टाचार को समाप्त करना, और देश को “ऊर्जा न्याय” की दिशा में ले जाना।यह विधेयक केवल एक प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि ऊर्जा शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।इसका उद्देश्य न केवल वितरण प्रणाली को सशक्त बनाना है,बल्कि उन “छिपे हुए रिसावों” को रोकना भी है जो दशकों से बिजली विभाग की जड़ों को खोखला कर रहे हैं।यह बिल इस विचार पर आधारित है कि जब तक सिस्टम पारदर्शी, डिजिटल औरजवाबदेह नहीं बनेगा, तब तक उपभोक्ता चाहे किसान हो, गृहस्थ हो या उद्योगपति,वास्तविक न्याय से वंचित रहेगा। बिजली कर्मचारी संगठन ने 30 जनवरी 2026 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है।उनका कहना है कि यह बिल निजीकरण की राह खोलता है और सरकारी कंपनियों को कमजोर करेगा। मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र यह मानता हूं कि निजीकरण का खतरा या प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता?कर्मचारी संगठनों की सबसे बड़ी आपत्ति “निजीकरण”पर है। उनका डर है कि यह बिल निजी कंपनियों को बिजली वितरण के क्षेत्र में प्रवेश दिलाकर सरकारी ढांचे को कमजोर करेगा।परंतु वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देखें तो कई देशों,जैसे ब्रिटेन,जर्मनी,जापान ने प्रतिस्पर्धी वितरण प्रणाली से सेवा गुणवत्ता में सुधार किया है।भारत में भी यदि यह व्यवस्था नियामक निगरानी के साथ लागू की जाए,तो यह निजीकरण नहीं बल्कि “साझा उत्तरदायित्व मॉडल” बन सकती है।सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि उद्देश्य सरकारी ढांचे को खत्म करना नहीं बल्कि दक्षता बढ़ाना है।

साथियों बात अगर हम बिजली संशोधन बिल 2025 को समझने की करें तो,यह 2003 के इलेक्ट्रिसिटी एक्ट, में व्यापक संशोधन लाने वाला प्रस्ताव है। इस विधेयक के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं (1)बिजली वितरण में प्रतिस्पर्धा लाना- अब एक ही क्षेत्र में एक से अधिक कंपनियाँ बिजली सप्लाई कर सकेंगी।यानें उपभोक्ता को यह अधिकार होगा कि वह किस कंपनी से बिजली लेनी है, यह स्वयं तय करे। (2) बिजली चोरी रोकने के लिए कड़े दंड-विधेयक में बिजली चोरी, लाइन टैपिंग और फर्जी बिलिंग के मामलों में कठोर दंड और आर्थिक दंड का प्रावधान है। (3)नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा- कंपनियों को अपनी बिजली सप्लाई में एक निश्चित प्रतिशत ग्रीन एनर्जी (सौर, पवन) शामिल करनी होगी।(4) स्मार्ट मीटर अनिवार्यता-देशभर में धीरे-धीरे स्मार्ट प्रीपेड मीटर प्रणाली लागू करने की दिशा में यह बिल बड़ा कदम है, जिससे उपभोक्ता अपने बिजली उपयोग और भुगतान पर वास्तविक नियंत्रण पा सके।(5) राज्य विद्युत विनियामक आयोगों की शक्ति बढ़ाना- पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए नियामक संस्थाओं को अधिक अधिकार दिए गए हैं।(6) डिजिटल ट्रैकिंग और बिलिंग सुधार-भ्रष्टाचार व घूसखोरी रोकने हेतु डिजिटल मीटरिंग, ऑनलाइन भुगतान और उपभोक्ता सेवा पोर्टल को बढ़ावा मिलेगा।सरकार का तर्क है कि यह विधेयक “उपभोक्ता केंद्रित सुधार” है,जो बिजली क्षेत्र में दक्षता,जवाबदेही औरपारदर्शिता को नई दिशा देगा।यह बिल इलेक्ट्रिसिटी एक्ट, 2003 में व्यापक संशोधन करता है। इसमें उपभोक्ताओं को यह अधिकार दिया गया है कि वे अपनी पसंद की बिजली वितरण कंपनी चुन सकें, यानी अब एक ही क्षेत्र में एक से अधिक कंपनी बिजली सप्लाई कर सकेंगी। साथ ही स्मार्ट मीटरिंग, ऑनलाइन बिलिंग, और ग्रीन एनर्जी को अनिवार्य बनाया गया है।बिल का सबसे अहम हिस्सा है l,बिजली चोरी और भ्रष्टाचार पर कठोर दंड का प्रावधान।
साथियों बात अगर हम बिजली चोरी और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, “तारों से ईमानदारी तक” को समझने की करें तो भारत में बिजली चोरी का इतिहास बहुत पुराना है।“कांटा लगाना”,“मीटर से छेड़छाड़ करना”,“लाइन से सीधे कनेक्शन जोड़ना”,ये सब ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में आम प्रथाएँ बन चुकी थीं।2025 का संशोधन विधेयक अब इन सभी को अपराध की श्रेणी में लाता है और कठोर दंडात्मक प्रावधानों के साथ इसे रोकने की दिशा में ठोस तंत्र बनाता है। पहले,विभागीय कर्मचारी, लाइनमैन, इंजीनियर और स्थानीय ठेकेदारों की मिलीभगत से बिजली चोरी न केवल संभव थी बल्कि कई बार “सिस्टम का हिस्सा” बन चुकी थी।अब बिल में स्वचालित मीटर रीडिंग सिस्टम रिमोट डिसकनेक्शन फीचर, और एआई आधारित निगरानी व्यवस्था को शामिल किया गयाहै,जैसे ही किसी उपभोक्ता के मीटर में असामान्य पैटर्न दिखेगा, सिस्टम अपने आप उसे चिन्हित करेगा और स्वचालित जांच प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।इसका एक बड़ा सामाजिक प्रभाव यह होगा कि अब भ्रष्टाचार का “मानव चेन” टूटेगा लाइनमैन से लेकर इंजीनियर और उच्चाधिकारी तक, जिनकी मिलीभगत से चोरी को संरक्षण मिलता था, अब डिजिटल निगरानी और जवाबदेही के घेरे में आएंगे।यह विधेयक इस बात को भी स्वीकार करता है कि विभागीय भ्रष्टाचार का बोझ अंततः उपभोक्ताओं पर पड़ता है। जब हजारों यूनिट चोरी होती है, तो विभाग घाटे में जाता है और फिर उस घाटे की भरपाई बिजली दरों में बढ़ोतरी के रूप में ईमानदार उपभोक्ता से की जाती है। इसीलिए, चोरी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना सिर्फ प्रशासनिक सुधार नहीं बल्कि सामाजिक न्याय की प्रक्रिया है।
साथियों बात अगर हम बिजली वितरण व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही के युग को समझने की करें तो बिजली संशोधन बिल 2025 का सबसे बड़ा लक्ष्य है, वितरण प्रणाली में पारदर्शिता स्थापित करना। वर्षों से बिजली वितरण कंपनियों पर यह आरोप लगता रहा है कि वे घाटे में हैं, जबकि समानांतर में चोरी और भ्रष्टाचार का जाल पूरे विभाग में फैला हुआ है।नई व्यवस्था में स्मार्ट मीटर, डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम, और उपभोक्ता आधारित रियल टाइम बिलिंग प्रणाली का समावेश किया गया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बिजली के हर यूनिट की खपत और राजस्व का सीधा रिकॉर्ड बने, जिससे कोई भी बीच में “मीटर से खेल” न कर सके। सरकार के मुताबिक, मीटरिंग, बिलिंग और कलेक्शन का डिजिटलीकरण अबअनिवार्य होगा। इससे “मानव हस्तक्षेप” घटेगा, और वही तत्व जो अब तक “मीटर पीछे करने” या तारों पर कांटा लगाकर चोरी करने जैसी पुरानी तकनीकों से विभाग को नुकसान पहुंचाते थे, उनकी भूमिका स्वतः समाप्त हो जाएगी।अब हर खपत का डेटा क्लाउड सर्वर पर दर्ज होगा। यह न केवल राज्य विद्युत नियामक आयोगों को निगरानी में सहायता देगा, बल्कि उपभोक्ता को भी यह देखने की सुविधा देगा कि उसे कितना और क्यों बिल आया है।यह टेक्नोलॉजी आधारित पारदर्शिता उपभोक्ता के विश्वास को मजबूत करेगी।

साथियों बात अगर हम उपभोक्ता और किसान हित में प्रतिस्पर्धा, निजीकरण और स्मार्ट सिस्टम का लाभ को समझने की करें तो इसमें सबसे मुख्य बात यह है कि निजीकरण और प्रतिस्पर्धा के माध्यम से उपभोक्ताओं को शक्ति देना।यह विधेयक एक देश,अनेक सप्लायर के सिद्धांत को आगे बढ़ाता है। अब उपभोक्ता को यह अधिकार होगा कि वह यह चुन सके कि उसे किस सप्लायर से बिजली लेनी है।पहले जहां एक ही सरकारी वितरण कंपनी का एकाधिकार होता था, अब निजी कंपनियों के आने से उन्हें सेवा सुधारने की मजबूरी होगी।किसानों के लिए भी यहपरिवर्तन अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा।स्मार्ट मीटर और स्मार्ट कार्ड आधारित सब्सिडी सिस्टम से उन्हें सब्सिडी सीधे कार्ड में मिलेगी, न कि किसी अफसर या विभागीय प्रक्रिया के भरोसे।इससे “घाटे का भार उपभोक्ताओं पर डालने की प्रवृत्ति” समाप्त होगी। अब किसान को उसकी खपत और सब्सिडी का पूरा पारदर्शी रिकॉर्ड मिलेगा।बीस वर्ष पहले की स्थिति को देखें तो, हजारों यूनिट बिजली लाइनमैन व इंजीनियरों की मिलीभगत से “पीछे” कर दी जाती थी। विभाग को घाटा होता था,और उस घाटे की भरपाई ईमानदार उपभोक्ता से ली जाती थी। इस संशोधन से वह युग समाप्त होता प्रतीत होता है,जहाँ भ्रष्टाचार एक सामान्य व्यवस्था बन चुका था।अब बिजली बिल का भुगतान, मीटर रीडिंग और कनेक्शन सब कुछ डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर होगा,जैसे कि यूपीआई या आधारआधारित भुगतान व्यवस्था ने बैंकिंग में क्रांति लाई, वैसे ही बिजली क्षेत्र में डिजिटल क्रांति इस विधेयक के ज़रिए दिखाई देगी।
साथियों बात अगर हम उपभोक्ताओं और किसानों के लिए राहत व भ्रष्टाचार पर निर्णायक वार को समझने की करें तो, उपभोक्ताओं को अब अपने सप्लायर बदलने की स्वतंत्रता मिलेगी, जैसे मोबाइल सेवा प्रदाता बदलने में होती है।इससे कंपनियों पर प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और सेवा की गुणवत्ता में सुधार होगा। इस बिल की सबसे बड़ी उपलब्धि है,भ्रष्टाचार पर डिजिटल प्रहार।अब मीटर रीडर की “मर्जी” या लाइनमैन की “सेटिंग” से बिल कम नहीं किया जा सकेगा।डिजिटल डेटा ट्रैकिंग से हर यूनिट का हिसाब सिस्टम में दर्ज रहेगा।इससे घरेलू, व्यावसायिक और औद्योगिक स्तर पर वर्षों से चल रही “अंदरूनी समायोजन संस्कृति” का अंत संभव है।विधेयक 2025 में इन सब पर सख्त डिजिटल निगरानी और दंड के प्रावधान हैं,स्मार्ट प्रीपेड मीटर से हर यूनिट का रियल-टाइम रिकॉर्ड रहेगा, जिसे छेड़ना लगभग असंभव होगा।बिजली चोरी पकड़े जाने पर भारी जुर्माना और जेल की सजा होगी।ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम से हर कनेक्शन की खपत पर नजर रखी जाएगी।यह प्रणाली मीटर पीछे करने, लाइन पर तार लगाने और विभागीय मिलीभगत जैसी पुरानी चोरी की परंपरा को लगभग असंभव बना देगी।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि बिजली(संशोधन) विधेयक 2025 भारतीय ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में संरचनात्मक बदलाव का दस्तावेज़ है। यह बिल न केवल बिजली चोरी और भ्रष्टाचार पर कठोर प्रहार करेगा, बल्कि उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम भी है।कर्मचारी संगठनों का विरोध लोकतांत्रिक अधिकार है, परंतु इस विरोध को जनहित और व्यक्तिगत हित में भेद कर देखना आवश्यक है। यदि यह बिल ईमानदारी से लागू होता है,तो किसानों को पारदर्शी सब्सिडी,उपभोक्ताओं को सटीक बिल और बेहतर सेवा,और कर्मचारियों को जवाबदेह प्रशासनिक ढाँचा मिलेगा।हाँ, यह भी सच है कि किसी भी सुधार की सफलता केवल कानून से नहीं,बल्कि ईमानदार क्रियान्वयन से तय होती है।यदि सरकार, नियामक आयोग और उपभोक्ता सभी इस बदलाव को साझी जवाबदेही के रूप में स्वीकार करते हैं, तो बिजली (संशोधन) विधेयक 2025 भारत को एक ऊर्जा-सशक्त, पारदर्शी और भ्रष्टाचारमुक्त भविष्य की ओर ले जाने वाला ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा

-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 9226229318