डीजे की कानफोडू ध्वनि से आमजन खासे परेशान; प्रतिबंध की मांग

बिलासपुर। बिगड़े हुए पर्यावरण के इस दौर में शहरों में गांव में, शादीघरों के आसपास बसीं कालोनियां और यहां रहने वाले लोगों को अनावश्यक ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मानकों की धज्जियां उड़ाते हुये डी.जे. संचालकों द्वारा अत्याधिक ध्वनि प्रदूषण फैलाया जा रहा है। इस सम्बन्ध में ह्यूमन राईट एक्टिविस्ट सुरेश सिंह बैस ने जिलाधिकारी को एक पत्र भेजा है। जिसमें उन्होंने डी. जे. संचालकों द्वारा ध्वनि प्रदूषण के मानकों पर अमल कराये जाने और लोगों को हो रही अनावाश्यक परेशानियों को दूर किये जाने की मांग उठाई है। कलेक्टर को भेजे पत्र में सुरेश सिंह बैस ने बताया कि नगर क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से नगर क्षेत्र में विवाह, पार्टियों और आयोजनों में अत्याधिक तेज आवाज में डी.जे. साउण्ड सिस्टम बजाया जा रहा है, जिससे स्थानीय निवासियों, विद्यार्थियों, बुजुर्गों व छोटे बच्चों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। विवाह के सीज़न में खासकर के जूना बिलासपुर, गोल बाजार, सदर बाजार, गांधी चौक, शिव टॉकीज चौक, गोडपारा, तेलीपारा, के इलाके जो अत्यधिक व्यस्त व भीड़भाड के इलाके उपर से संकरी सड़क के कारण राहगीरों को इन कानफोडू आवाज से अक्सर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। राहगीरों का रास्ता भी जाम हो जाता है जिससे और भी समस्याएं पैदा होती है। मानकों की धज्जियां उड़ाते हुये डी.जे. संचालकों द्वारा रात में अत्याधिक आवाज में साउण्ड सिस्टम बजाये जाने से रात में स्थिति और भयावह हो जाती है। उन्होंने ‌केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व उच्च न्यायालय,सर्वोच्च न्यायालय से उन्होंने मांग उठायी है कि शहर क्षेत्रों में डीजे से हो रहे अत्याधिक ध्वनि प्रदूषण की जांच कराये जाने, आयोजकों को नियमों व समय-सीमा का पालन सुनिश्चित कराये जाने, रात्रि 10 बजे के बाद किसी भी प्रकार के डीजे/तेज ध्वनि के उपकरण उपयोग पर प्रभावी रोक लगाने की कार्यवाही हो। निर्धारित मानकों से अधिक ध्वनि होती है। शिकायत में उन्होंने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम व ध्वनि प्रदूषण (नियमन व नियंत्रण) नियम 2000 का हवाला दिया है।शहर और ग्रामीण इलाकों में लगातार बढ़ते कानफोडू डीजे की आवाज से आम नागरिकों का जीना मुश्किल होता जा रहा है। त्योहारों, बारातों और निजी आयोजनों में तेज आवाज में बजने वाले डीजे लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रहे हैं। इसके चलते बुजुर्ग, बीमार लोग और पढ़ाई करने वाले बच्चों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।स्थानीय निवासियों के अनुसार, रात देर तक चलने वाली तेज ध्वनि न केवल नींद में खलल डालती है बल्कि सिरदर्द, तनाव, ब्लड प्रेशर बढ़ने जैसी समस्याएं भी पैदा कर रही है। डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय तक ऊँची आवाज के संपर्क में रहना कानों की शक्ति पर भी बुरा प्रभाव डाल सकता है।स्कूल-कॉलेज के छात्रों ने बताया कि परीक्षा नजदीक होने के बावजूद आसपास के इलाकों में बजने वाला तेज डीजे उन्हें पढ़ाई पर ध्यान लगाने नहीं दे रहा। कई छात्र देर रात तक शोर के खत्म होने का इंतजार करते हैं, जिससे उनकी दिनचर्या प्रभावित हो रही है।स्थानीय प्रशासन द्वारा समय-समय पर ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए नियम बनाए गए हैं, जिनके अनुसार रात 10 बजे के बाद तेज आवाज में संगीत बजाना पूरी तरह प्रतिबंधित है। लेकिन इन नियमों का पालन कई जगहों पर नहीं हो रहा। नागरिकों ने मांग की है कि प्रशासन इस दिशा में कड़े कदम उठाए ताकि आम लोगों को राहत मिल सके।ध्वनि प्रदूषण विशेषज्ञों ने भी चेतावनी दी है कि अगर स्थिति पर नियंत्रण नहीं किया गया तो इसके दीर्घकालिक परिणाम बेहद हानिकारक हो सकते हैं। उन्होंने आयोजकों से भी अपील की है कि जरूरत से ज्यादा तेज संगीत से बचें और सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए नियमों का पालन करें।कुल मिलाकर, कानफोडू डीजे की समस्या अब महज असुविधा नहीं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक और स्वास्थ्य मुद्दा बन चुकी है। नागरिक उम्मीद कर रहे हैं कि नियमों के सही ढंग से लागू होने के बाद उन्हें जल्द ही इस समस्या से राहत मिलेगी।

00 अक्सर शहरों में खासकर देखा जा रहा है कि कोई भी अवसर हो चाहे विवाह समारोह का ,बर्थडे पार्टी का या अन्य विभिन्न आयोजन ,राजनीतिक आयोजनों में तेज आवाज में डीजे चला दिया जाता है। जिससे बुजुर्ग और बीमार व्यक्तियों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कानफोडू आवाजों से कई बुजुर्गों व Truth लोगों को शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इन नियम विरुद्ध गतिविधियों पर प्रशासन को कड़ाई से पालन कराना जरूरी है।
– सुरेश सिंह बैस
ह्यूमन राईट एक्टिविस्ट
बिलासपुर