बिलासपुर:- वैसे तो शिक्षा का नाम आते ही बड़े-बड़े स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी ही आंखों के सामने दिखाई देती है पर जब नाम आता है गुरुकुल का तो बहुत लोग सोचते होंगे कि कोई नया स्कूल या कॉलेज खुला होगा पर जो पुराने लोग होंगे और जिन्होंने गीता रामायण भागवत पड़ी होगी या देखी होगी उन्हें इस बात का ज्ञान जरूर होगा कि उस समय जब अध्ययन करने के लिए भगवान , राम -कृष्ण पृथ्वी पर जब जन्म लिए थे और शिक्षा ग्रहण करने जाते थे जंगल में तो वहां पर ऋषि मुनियों का आश्रम होता था जिसे गुरुकुल कहते थे ऐसे ही आज के इस आधुनिक कलयुग में आज के इस आधुनिक दौर में समय में वैसा गुरुकुल तो नहीं बन सकता है पर वैसे ही शिक्षा देने का कार्य छोटे से रूप में प्रारंभ किया गया है साधु वासवानी सेंटर बिलासपुर के द्वारा एक सहारणीय प्रयास व कार्य है रामा वैली स्थित अपने निवास स्थान पर हर रविवार को यह गुरुकुल शिक्षा का आयोजन किया जाता है
आज की गुरुकुल कक्षा अत्यंत सुंदर और प्रेरणादायक रही। हमेशा की तरह, हमने मधुर कीर्तन से शुरुआत की, उसके बाद प्रार्थना हुई और हनुमान चालीसा का अर्थ सहित पाठ किया गया।

कक्षा का संचालन डॉ. एकता कलवानी द्वारा किया गया। उन्होंने “सही काम हमें क्यों करना चाहिए?” इस विषय पर एक अत्यंत सुंदर कथा सुनाई।
उनका संदेश हमें यह प्रेरणा देता है:
— सही का चुनाव करो
— सही कार्य करो
— सही महसूस करो
और सदैव याद रखो कि भगवान हमें देख रहे हैं।
इसके बाद मज़ेदार गतिविधियों की बारी आई।
सिम्मी भकतानी ने एक मेमोरी गेम खिलाया और “मेरी झोपड़ी में राम आएंगे” इस भजन पर तालियाँ बजाते हुए एक सरल और आनंदमय नृत्य स्टेप भी सिखाया, जिससे पता चलता है कि भक्ति से किया गया हर छोटा कार्य भी पूजा बन जाता है।
कक्षा का समापन स्वादिष्ट प्रसाद के साथ हुआ।
धन्यवाद दीदी, आपके आशीर्वाद से ही हम यह गुरुकुल कक्षा कर पा रहे हैं।
दादा को भी हृदय से कोटि–कोटि धन्यवाद।
आज के इस पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में दादा साधु वासवानी सेंटर बिलासपुर के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा,